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Category: विधिक इतिहास

नंदकुमार के मामले में उठे विधि के प्रश्न : भारत में विधि का इतिहास-33

राजा नन्दकुमार को फोर्ट विलियम के नजदीक कुली बाजार में सार्वजनिक रूप से  दी गई फाँसी की सजा ने भारतीय जनमानस में अंग्रेजी न्याय व्यवस्था के प्रति घृणा
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राजा नंदकुमार की न्यायिक हत्या का मामला : भारत में विधि का इतिहास-32

भारत के विधिक इतिहास में राजा नन्दकुमार का मामला बहुत ही चर्चित रहा है। इस मामले ने गवर्नर जनरल और उस की परिषद के मतभेदों, न्यायालय व कानून
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रेगुलेटिंग एक्ट की निष्फलता और मह्त्व : भारत में विधि का इतिहास-31

परिषद और गवर्नर जनरल के बीच मतभेद रेगुलेटिंग एक्ट भारत में कंपनी प्रशासन को व्यवस्थित करने के लिए पारित हुआ था। लेकिन इस ने अनेक गड़बड़ियाँ पैदा कर
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कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना : भारत में विधि का इतिहास-30

रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 से इंग्लेंड के सम्राट को कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट स्थापित करने का अधिकार प्राप्त हुआ। सम्राट जॉर्ज द्वितीय ने 26 जुलाई 1774 को चार्टर जारी
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अदालतों की संख्या पर्याप्त करें, स्वतंत्र अन्वेषण ऐजेंसियाँ के गठन की ओर बढ़ें : जनता को नववर्ष का तोहफा दें, सरकारें

धरती के भीतर उबल रहा लावा लगातार ऊपरी सख्त परत को धक्के मारता रहता  है। जब भी उसे कमजोर जगह  मिलती है तो उसे तोड़ कर वह ज्वालामुखी
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रेगुलेटिंग एक्ट (विनियम अधिनियम)1773 : भारत में विधि का इतिहास-29

पूर्व परिस्थितियाँ कोई भी ब्रिटिश नागरिक या कंपनी दुनिया के किसी भी भूक्षेत्र पर संप्रभुता हासिल नहीं कर सकती  थी। ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय क्षेत्रों में जो भी
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वारेन हेस्टिंग्स की न्यायिक योजनाएँ : भारत में विधि का इतिहास-28

अप्रेल 1772 में वारेन हेस्टिंग ने बंगाल के  गवर्नर के रुप में फोर्ट विलियम में अपना काम  संभाला और  अपनी न्यायिक  योजना  की घोषणा की। उस ने तीनों
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लार्ड क्लाइव के कारनामे और वारेन हेस्टिंग के पूर्व की परिस्थितियाँ : भारत में विधि का इतिहास-27

हम 1771 के बंगाल के अकाल की परिस्थितियों के प्रकाश में आज के हालात पर विचार कर सकते हैं, जब कि वर्षा के अभाव से देश में कृषि
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भारतियों के लिए न्याय प्रशासन और 1953 की न्याय व्यवस्था की समीक्षा : भारत में विधि का इतिहास-26

भारतियों के लिए न्याय प्रशासन1753 के चार्टर में भारतीय व्यक्तियों के लिए मेयर न्यायालय की अधिकारिता से छूट मिल जाने और रीति रिवाजों के अनुसार निर्णायकों द्वारा न्याय
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मद्रास फ्रांसिसियों के कब्जे में और न्यायालय की स्वायत्तता का अंत भारत में विधि का इतिहास-25

मद्रास पर फ्रांसिसियों का कब्जा14 सितंबर 1746 को मद्रास पर फ्रांसिसियों ने कब्जा कर लिया जो तीन वर्षों तक बना रहा। वहाँ न्यायिक व्यवस्था निलंबित हो गई। 1749
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