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Category: व्यवस्था

उन्हें बेशर्म कहने से तो बेशर्मी भी अपमानित हो जाएगी

संयुक्त परिवार के किसी बुजुर्ग के बारे में परिवार के किसी कमाऊ सदस्य से पूछा  जाए कि उन के बारे में आप का क्या कहना है। वह कहेगा,
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चैक अनादरण के मामले में चैक प्रदाता को नोटिस प्राप्त होना प्रसंज्ञान लेने के लिए जरूरी नहीं

शकील पूछते हैं____________ क्या एक मजिस्ट्रेट धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (NI ACT) में कानूनी नोटिस चैक प्रदाता को पहुँचाए बिना अपराध का प्रसंज्ञान ले सकता है? जब
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दिल्ली हाई कोर्ट को मौजूदा मुकदमों के निपटारे में लगेंगे 466 साल

हमारी अदालतों की हालत का इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि दिल्ली हाईकोर्ट में वर्तमान में इतने मुकदमें लंबित हैं कि जितने जज इस समय
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इतने क्यों नाराज हैं वकील ? -बनाम- वकीलों का गंभीरतम अपराध

“इतने क्यों नाराज हैं वकील” यह उस आलेख का शीर्षक है जो 17 मार्च को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुआ है, जिसे लिखा है सुधांशु रंजन ने।  इस
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हताश और क्रोधित वकील समुदाय और श्री कृष्णा आयोग की अंतरिम रिपोर्ट

मद्रास उच्चन्यायालय में पुलिस द्वारा किए गए संहार और वकीलों की जारी काम बंदी के बीच जस्टिस श्री कृष्णा आयोग की अंतरिम रपट आ गई।  जब से उसे
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नियुक्तियों के अभाव में रिक्त पड़ी अदालतें और भटकते न्यायार्थी

तीसरा खंबा लगातार यह बताता रहा है कि न्यायालयों की कमी के कारण किस तरह आम न्यायार्थी को बरसों तक न्याय नहीं मिल पा रहा है।  विगत दिनों
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न्याय व्यवस्था से टूटता मोह : सरकारें जल्दी चेत जाएँ ___

जिस बात का मुझे कुछ बरसों से अंदेशा था वह सामने आ ही गई।   आज अदालत ब्लाग पर खबर  है कि चंडी गढ़ में चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन
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ई-कोर्ट प्रोजेक्ट से काम न चलेगा, अदालतों की संख्या तो बढ़ानी होगी

27 जनवरी से 8 फरवरी तक कोटा से बाहर रहा, अंतर्जाल से दूर भी। परिणाम कि तीसरा खंबा पर बीच में केवल 1 फरवरी को ही एक ही
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न्याय रोटी से पहले की जरूरत है, न्याय प्रणाली की पर्याप्तता के लिए आवाज उठाएँ

26 जनवरी, 1950 को भारत ने गणतंत्र का स्वरूप धारण किया।  गणतंत्र का अर्थ है देश का शासक अब चुनी हुई सरकार करेगी।  उस दिन जिस संविधान को
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