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जानिए निर्वाचन अपराध क्या हैं? (1)

 कल कानूनी सलाह के बक्से में किसी पाठक जतिन का एक पत्र मिला कि धारा-170 ख की जानकारी चाहिए।  इस पत्र में न तो संदर्भ था और न ही कानून का
उल्लेख तो मैं ने उन्हें पूछा कि आप को किस कानून की धारा्-170 ख की जानकारी चाहिए।  अभी तक जतिन का उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है।  लेकिन मुझे लगता है वे 171 के स्थान पर 170 लिख गए हैं।  भारतीय दंड संहिता की धारा-171 क से ले कर धारा-171झ तक निर्वाचन अपराधों के संबंध में है। ये सब धाराएँ मिल कर भारतीय दंड संहिता का अध्याय 9क गठित करती हैं।  लोकसभा निर्वाचन के काल में इस अध्याय के अपराधों के संबंध में जिज्ञासा होना स्वाभाविक है।  वैसे भी प्रत्येक नागरिक को इन अपराधों की जानकारी होना चाहिए।  हम आज से इन अपराधों के संबंध में बात करना प्रारंभ कर रहे हैं। 


धारा-171 क.”अभ्यर्थी”, “निर्वाचन अधिकार” परिभाषा– इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए-
(क) “अभ्यर्थी” से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जो किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्दिष्ट किया गया है;
(ख) “निर्वाचन अधिकार” से किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी  के रूप में खड़े होने या खड़े न होने या अभ्यर्थना से अपना नाम वापस लेने या मत देने या मत से विरत रहने का किसी व्यक्ति का अधिकार अभिप्रेत है। 

171A. “Candidate”, “Electoral right” defined 

For the purposes of this Chapter- 

(a) “Candidate” means a person who has been nominated as a candidate at any election;

(b) “Electoral right” means the right of a person to stand, or not to stand as, or to withdraw from being, a candidate or to vote or refrain form voting at an election.

धारा-171 ख. रिश्वत- (1) जो कोई –
(।) किसी व्यक्ति को इस उद्देश्य से परितोषण देता है कि वह उस व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को किसी निर्वाचन अधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्प्रेरित  करे या किसी व्यक्ति को इसलिए इनाम दे कि उसने ऐसे अधिकार का प्रयोग किया है; अथवा
(।।) स्वयं अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई परितोषण ऐसा किसी अधिकार को प्रयोग में लाने के लिए या किसी अन्य को ऐसे किसी अधिकार को प्रयोग में लाने के लिए उत्प्रेरित करने या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करने के लिए इनाम के रूप में प्रतिग्रहीत करता है।
वह रिश्वत का अपराध करता है;
परन्तु लोक नीति की घोषणा या लोक कार्यवाही का वचन इस धारा के अधीन अपराध न होगा।
(2) जो व्यक्ति परितोषण देने की प्रस्थापना करता है या देने को सहमत होता है या उपाप्त करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करता है, यह समझा जाएगा कि वह परितोषण देता है।
(3) यो व्यक्ति परितोषण प्राप्त करता है या प्रतिग्रहीत करने को सहमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करने के लिए, जिसे करने का उस का आशय नहीं है, हेतु स्वरूप, या जो बात उसने नहीं की है उसे करने के लिए इनाम के रूप में परितोषण प्रतिग्रहीत करता है, यह समझा जाएगा कि उस ने परितोषण को इनाम के रूप में प्रतिग्रहीत कर लिया है।

Section 171B. Bribery 

(1) Whoever

(i) Gives a gratification to any person with the object of inducing him or any other person to exercise any electoral right or of rewarding any person for having exercised any such right; or

(ii) Accepts either for himself or for any other person any gratification as a reward for exercising any such right or for inducing or attempting to induce any other person to exercise any such right;

commits the offence of bribery:

Provided that a declaration of public policy or a promise of public action shall not be an offence under this section.

(2) A person who offers, or agrees to give, or offers or attempts to procure, a gratification shall be deemed to give a gratification.

(3) A person who obtains or agrees to accept or attempts to obtain a gratification shall be deemed to accept a gratification, and a person who accepts a gratification as a motive for doing what he does not intend to do, or as a reward for doing what he has not done, shall be deemed to have accepted the gratification as a reward.

 कानून की इन धाराओं की व्याख्या की आवश्यकता नहीं है।  फिर भी कोई बात समझ न आए अथवा कोई प्रश्न उत्पन्न हो तो बिना झिझक टिप्पणी में उसे लिखें। उस का उत्तर देने का प्रयत्न किया जाएगा।

भारतीय दंड संहिता के अध्याय 9क की सभी धाराओं को यहाँ प्रस्तुत किए जाने तक यह श्रंखला जारी रहेगी। 
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