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Category: व्यवस्था

अदालतें बाढ़ग्रस्त हैं। ‘कितने मरे? कितने चिकित्सालय में भरती हैं?’

मैं ने कहा था कि संसद और विधानसभाऐं कानून बनाती रहती हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उन में सजा के लिये
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वकीलों, न्यायाधीशों और चिट्ठाकार साथियों से विनम्र निवेदन

भारत की न्यायपालिका को बचाएं, देश बचाएं अब यह सब के सामने है कि पर्याप्त साधनों के अभाव में भारत की न्यायपालिका देश में हो रहे विकास की
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”अंधेर नगरी-चौपट राजा” और सर्वत्र फैली हुई अराजकता।

संसद और विधानसभाएं कानून बनाती हैं। ये कानून किताबों में दर्ज हो जाते हैं। बहुत सारे पुराने कानून हैं और हर साल बहुत से कानून बनते हैं। नयी
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तीसरा खंबा का सहयोगी अँग्रेजी ब्लॉग "JUDICATURE INDIA" आज से प्रारंभ

तीसरा खंबा ने विगत दो माह में जो काम किया है वह महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से कि उस ने यह खोजने का प्रयास किया कि हमारी न्याय
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राजनीति न्याय प्रणाली की उपेक्षा न करे

आजादी के साठ साल बाद हमारे देश की न्याय प्रणाली आज किस मुकाम पर खड़ी है इस की राजनैतिक समीक्षा होना जरुरी है। हमारी संसद और विधान सभा
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क्या ‘तीसरा खंबा’ भारतीय न्याय प्रणाली का उत्प्रेरक बनेगा ?

विगत कुछ वर्षों से न्याय जगत में घट रही घटनाऐं मेरे मानस पटल को लगातार झकझोर रही थीं। २००७ में ही मैं हिन्दी ब्लॉगिंग के सम्पर्क में आ
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मुकदमे का फैसला कितने सालों में?

आज हम न्याय प्रणाली के क्षरण के प्रभावों की परीक्षा करेंगे। पिछली पोस्ट में हमने न्याय प्रणाली के क्षरण पर अराजकता के उत्पन्न होने पर बात की थी।
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