Category: व्यवस्था
Judicial Reform
पिछली पोस्ट पर पुराणिक जी की टिप्पणी थी “हम तो जी एक बार ही अदालत गये थे,वहां से पांच विषय निकले थे व्यंग्य के। पर एक भी ना
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Judicial Reform
पिछली कड़ी में हम ने देखा था कि हमारे देश में दस लाख की जनसंख्या पर मात्र 10.9 जज हैं और एक जज के पीछे वकीलों की संख्या
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देश में कुल आठ लाख वकील। और अदालतें? चौदह हजार मात्र। याने एक अदालत में काम करने को औसतन 57 वकील। जज केवल बारह हजार। याने 66 वकीलों
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Judicial Reform
मैं ने कहा था कि संसद और विधानसभाऐं कानून बनाती रहती हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उन में सजा के लिये
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Judicial Reform
भारत की न्यायपालिका को बचाएं, देश बचाएं अब यह सब के सामने है कि पर्याप्त साधनों के अभाव में भारत की न्यायपालिका देश में हो रहे विकास की
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System
संसद और विधानसभाएं कानून बनाती हैं। ये कानून किताबों में दर्ज हो जाते हैं। बहुत सारे पुराने कानून हैं और हर साल बहुत से कानून बनते हैं। नयी
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System
तीसरा खंबा ने विगत दो माह में जो काम किया है वह महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से कि उस ने यह खोजने का प्रयास किया कि हमारी न्याय
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Judicial Reform
आजादी के साठ साल बाद हमारे देश की न्याय प्रणाली आज किस मुकाम पर खड़ी है इस की राजनैतिक समीक्षा होना जरुरी है। हमारी संसद और विधान सभा
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Judicial Reform
विगत कुछ वर्षों से न्याय जगत में घट रही घटनाऐं मेरे मानस पटल को लगातार झकझोर रही थीं। २००७ में ही मैं हिन्दी ब्लॉगिंग के सम्पर्क में आ
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Judicial Reform
आज हम न्याय प्रणाली के क्षरण के प्रभावों की परीक्षा करेंगे। पिछली पोस्ट में हमने न्याय प्रणाली के क्षरण पर अराजकता के उत्पन्न होने पर बात की थी।
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