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Category: व्यवस्था

न्यायपालिका की आलोचना के लिए माफी मांगने के बजाय जेल जाना पसंद करेंगे

पिछले दो दिनों से सुरेश चिपलूनकर ने सुप्रीमकोर्ट के जजों के संदिग्ध आचरण के बारे में अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया है। यह सब बहुत पहले से तहलका
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वैवाहिक विवादों का निपटारा शीघ्रता से और समझौतों के माध्यम से किया जाना चाहिए

यह भारत का दुर्भाग्य है कि सरकार जनता को न्याय प्रदान करने के काम को अपने काम का हिस्सा नहीं मानती। वह समझती है कि यह जिम्मा देश
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यौन उत्पीड़न पर एक और कानून, क्या कुछ बदल पाएगा?

यौन उत्पीड़न से स्त्रियों की रक्षा के लिए एक और कानून आने को है, मंत्रीमंडल ने इस के लिए अनुमति प्रदान कर दी है। किसी भी सामाजिक समस्या
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विवाह की प्रकृति का संबंध क्या है? लिव-इन-रिलेशन से वह कैसे भिन्न है?

अखबारों में उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय की बहुत चर्चा है जिस में लिव-इन-रिलेशन में गुजारा भत्ता दिए जाने के मानदंड तय करने का उल्लेख है। यह एक
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भ्रष्टाचार अनमाप अनियंत्रित

सुप्रीम कोर्ट ने कल  पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा आयकर निरीक्षक मोहनलाल शर्मा को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए प्रस्तुत की गई सीबीआई की याचिका को
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अदालतों की भाषा वही होनी चाहिए जो उस के अधिकांश न्यायार्थियों की भाषा है

आज भी यह एक प्रश्न हमारे माथे पर चिपका हुआ है कि अदालतों का काम किस भाषा में होना चाहिए? सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों का काम अंग्रेजी
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पर्याप्त संख्या में अदालतें स्थापित करने को धन की आवश्यकता है, इस बात को सरकार औऱ संसद के सामने रखने से कानून मंत्रालय को कौन रोक रहा है।

अदालतों की कमी अब सर चढ़ कर बोलने लगी है और कानून मंत्रालय सीधे-सीधे नहीं तो गर्दन के पीछे से हाथ निकाल कर कान पकड़ने की कोशिश कर
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जब जनता प्रश्न पूछने लगेगी तब सरकारें क्या करेंगी?

अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनाज को सड़ने के लिए छोड़ देने के स्थान पर उसे गरीबों को मुफ्त वितरित कर देने के आदेश से उत्पन्न विवाद की गूंज
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