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Category: हिन्दू

विधवा व उसके बच्चों के पति की संपत्ति में अधिकार

समस्या- मेरे पिता (62 वर्ष) द्वारा अपनी संपत्ति  का बटवारा नहीं करने के कारण 2014 से हम लोगों से अलग और दूर रह रही हमारी विधवा भाभी ने
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शीघ्र निर्णय ही एक मात्र रास्ता है।

समस्या- हमारे परिवार का बंटवारा सन 1975 में आपसी सहमति से जिला न्यायालय में हो चुका है। जिसकी डिक्री पारित हुई थी। बंटवारे में पिताजी के बड़े भाई,
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अपने अधिकार बचाने और प्राप्त करने के लिए कानूनी कार्यवाही करें।

समस्या- मेरी शादी को करीब 25 वर्ष हो गए हैं, मेरे पति ने शादी के बाद से ही मुझे मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देना शुरू कर दिया था।
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दत्तक ग्रहण मौखिक साक्ष्य तथा सहायक दस्तावेजी साक्ष्य को साबित किया जा सकता है।

समस्या- एक आदमी  दत्तक अधिनियम 1956 प्रभावी होने से पहले किसी अन्य के गोद/ दत्तक चला गया। वह रेल्वे में नोकरी करता था। उसके दस्तावेज जैसे वोटर कार्ड,
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सहदायिक संपत्ति के पिता के विभाजित हिस्से में संतानों का कोई हक नहीं।

समस्या- मेरे दादाजी के तीन बेटे हैं और 1974 में आपसी बँटवारे के समय  एक खेत और दुकान दादाजी के नाम से उनके पास रहने दिया। बाकी सब
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पुत्री जीवित होने पर लड़की को दत्तक ग्रहण नहीं किया जा सकता।

समस्या- मेरा जन्म राँची झारखंड में हुआ था। जन्म के 2 साल बाद मेरे को मेरे मम्मी-पापा ने हज़ारीबाग मेरे नाना-नानी के यहाँ भेज दिया था। जब मेरे
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माता बच्चे को अपने पति को दत्तक ग्रहण करा सकती है।

समस्या- एक महिला के पति की मृत्यु हो गई। उस विधवा महिला के अपने मृत पति से एक पुत्र है। उक्त विधवा महिला ने एक अन्य पुरूष से
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अवयस्क की संपत्ति के विक्रय के लिए न्यायालय की अनुमति प्राप्त करनी होगी।

समस्या- मेरे मकान की बगल में एक मकान है। उसे खरीदने की बात चल रही है, लेकिन वो सम्पत्ति दान से प्राप्त की गयी है। जिसके नाम से
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1955 तक हिन्दू विधि में विवाहिता पुत्री को पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था।

समस्या- मेरे नाना के दो संताने थी, एक लड़का और एक लड़की मेरे नाना की मृत्यु 1925 के लगभग हो गई थी और मेरे माँ की मृत्यु लगभग
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संपत्ति सहदायिक नहीं है इस कारण उसमें आप को कभी कोई अधिकार उत्पन्न नहीं हुआ।

समस्या- संपत्ति मेरे चाचा जी के द्वारा सन् 1948 में खरीदी गई थी, उस समय मेरे पिताजी की उम्र मात्र 16 वर्ष थी , जब मेरे पिताजी 24
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