“अर्थशास्त्र” में अभिव्यक्त की गई विष्णुगुप्त चाणक्य की यह सीख कि राजा को न्याय करना चाहिए, जिस से उस के विरुद्ध विद्रोह नहीं हो। भारत के सामंती युग के
उन्नीस अप्रेल को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब पानी सर के ऊपर
तीसरा खंबा ने अपने पहले ही आलेख “न्याय व्यवस्था की आलोचना” से यह बताना प्रारम्भ कर दिया था कि भारतीय न्याय प्रणाली की मुख्य समस्या अदालतों की अत्यन्त न्यून