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Tag: अदालत

कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट क्या है?

न्यायालय. किसी भी राज्य की अंतिम प्राचीर हैं। बिना किसी सेना के एक राज्य का अस्तित्व हो सकता है लेकिन न्यायालयों के बिना राज्य की प्राधिकारिता में जनता
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आप डॉलर में फीस दे कर अनिवासी भारतीयों के लाभ नहीं ले सकते

देश के विभिन्न तकनीकी और व्यावसायिक (प्रोफेशनल) शिक्षा के संस्थानों में प्रवेश राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय परीक्षा के माध्यम से होता है। इन में कुछ स्थान अनिवासी भारतीयों
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अपने सही काम को उचित साबित कराना ही एक मात्र मार्ग है

तीसरा खंबा पर 1 नवम्बर की कानूनी सलाह पर श्री अरुण द्विवेदी की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। उन्हों ने अपनी समस्या के बारे में कुछ विवरण और प्रेषित किए
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किसी भी शिकायत या दावे को निर्धारित अवधि में ही अदालत ले जाएँ

अदालतों को समय बाधित मुकदमों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। हमारे उच्चतम न्यायालय ने ऐसा ही कहा है। किसी भी विवाद या शिकायत के लिए कानून ने एक
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न्याय प्रणाली को जरूरत की आधी ऑक्सीजन भी नसीब नहीं

तीसरा खंबा की पिछला आलेख मुकदमों के अंबार में न्याय प्रणाली का दम घुट जाएगा एक समाचार था, जिसे सभी समाचार माध्यमों में बहुत स्थान मिला। लेकिन फर्क
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जजों के एक तिहाई पद रिक्त होने से उच्च न्यायालयों मे जाम

आज कानून से संबंधित एक समाचार तीसरा खंबा के सहयोगी ब्लाग अदालत पर है, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 266 पद रिक्त।  यह समाचार न्याय प्रणाली की दुर्दशा
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जेब में रुपया हो जाए तो आदमी सनक जाता है (2)

पिछले आलेख जेब में रुपया हो जाए तो आदमी सनक जाता है से आगे … कमिश्नर से यह तय हुआ था कि वह अपरान्ह साढ़े चार बजे फ्लाई-ओवर
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कानूनी सलाह : डॉक्टर की शिकायत कहाँ की जाए

हैदराबाद से विक्रम प्रताप सिंह पूछते हैं … प्रश्न – मैं एक डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दायर करना चाहता हूँ। असल में मैं ने दाँतों के एक डॉक्टर
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वयस्क अविवाहित पुत्री को धारा 125 दंप्रसं के अन्तर्गत भरण-पोषण के लिए संशोधन हेतु इलाहाबाद उच्च् न्यायालय सुनवाई करेगा।

धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 कहती है … पर्याप्त साधनों वाला कोई व्यक्ति- (क) अपनी पत्नी जो अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, या (ख) अपनी धर्मज
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