प्रेसीडेंसी नगरों में उच्च न्यायालयों की स्थापना भारत में न्यायिक व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव था। इस से पूर्व में प्रचलित दोहरी न्यायिक प्रणाली का अंत हो गया
दीवानी और दांडिक अधिकारिता के अतिरिक्त उच्च न्यायालयों को कुछ अन्य अधिकारिताएँ भी प्रदान की गई थीं। नौकाधिकरण की अधिकारिता- इस के अंतर्गत उच्च न्यायालयों को एडमिरल और
दिसंबर 1885 में जारी लेटर्स पेटेंट के द्वारा उच्च न्यायालयों की दांडिक अधिकारिता भी निश्चित कर दी गई थी। जो इस प्रकार थी- 1- साधारण आरंभिक दांडिक अधिकारिता-
कलकत्ता उच्च न्यायालय भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम-1861 (Indian High Courts Act-1861) से स्वतः ही किसी उच्च न्यायालय की स्थापना भारत में नहीं हुई। इस के लिए ब्रिटेन की
संशोधन अधिनियम-1781 से रेगुलेटिंग एक्ट से उत्पन्न सु्प्रीम कोर्ट और गवर्नर जनरल परिषद के बीच क्षेत्राधिकार विवाद तो हल कर लिया गया था। इस से कंपनी की शक्तियों