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Tag: न्याय

आरक्षण : देश गृहयुद्ध की आग में जलने न लगे

राजस्थान में जो कुछ हो रहा है बहुत शर्मनाक है, लेकिन अप्रत्याशित नहीं। गुर्जर सड़कों पर निकल आए हैं और उनकी मांग है कि उन की श्रेणी अन्य
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सरे आम स्त्री-सम्मान की हत्या की जा रही है और हत्यारे खुले घूम रहे हैं

यह सब उस देश में हो रहा है जिस की राष्ट्राध्यक्ष, सत्तासीन दल की अध्यक्ष और प्रान्त की मुख्यमंत्री स्त्रियाँ हैं। एसएसपी ए. सतीश गणेश बुधवार शाम प्रेस
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कथा फैमिली कोर्ट तक पहुँचने के पहले की

बदरीनाथ मेरा पुराना मुवक्किल बहुत दिनों, करीब पाँच बरस बाद एक दिन मुझे अपने दफ्तर में दिखाई दिया, तो मैं पूछ बैठा- अरे! बदरी, आज कैसे? जो किस्सा
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वकील अदालतों के विकेन्द्रीकण और संख्या वृद्धि से क्यों बिदकते हैं?

वकील जब हड़ताल पर जाते हैं?  नहीं, जब से सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि वकीलों की हड़ताल अवैध है तब से वे हड़ताल पर नहीं जाते। वे न्यायालयों
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भ्रष्टाचार की मुर्गियों का पोल्ट्री फार्म

हम आप को फैमिली कोर्ट की सैर करवा रहे थे। बीच में ही यह पोल्ट्री फार्म आ टपका। जरा इस की ही बानगी देखें…….. देश में आउटसोर्सिंग चल
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स्थाई हड़ताल (स्वैच्छिक अवकाश) का विस्तार

तीसरा खंबा के पुराने पाठकों को विदित है कि हम वकीलों ने कैसे स्थाई हड़ताल के माध्यम से एक और सप्ताह को पाँच दिनों का बना लिया। नए
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अदालतें बाढ़ग्रस्त हैं। ‘कितने मरे? कितने चिकित्सालय में भरती हैं?’

मैं ने कहा था कि संसद और विधानसभाऐं कानून बनाती रहती हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उन में सजा के लिये
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”अंधेर नगरी-चौपट राजा” और सर्वत्र फैली हुई अराजकता।

संसद और विधानसभाएं कानून बनाती हैं। ये कानून किताबों में दर्ज हो जाते हैं। बहुत सारे पुराने कानून हैं और हर साल बहुत से कानून बनते हैं। नयी
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न्याय की स्थापना ही एक समाज को अराजकता से बचा सकती है

आप ने देख लिया। पाकिस्तान में किस तरह बेनजीर की हत्या हुई और उस के बाद किस तरह पूरा पाकिस्तान अराजकता के हवाले है। हालात यह हैं कि
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न्याय का उद्देश्य : विद्रोह को रोकना

न्याय-वध (4) पर मायर्ड मिराज के घुघूती बासूती की छोटी सी टिप्पणी मिली : ‘कुछ लोग इसीलिए मुकदमे नहीं करते‘ यह हमारी न्याय व्यवस्था की चरम परिणति है।
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