लॉर्ड कार्नवलिस द्वारा किए गए सुधार के प्रयत्न महत्वपूर्ण थे। उस ने न्यायालय के कर्मचारियों के वेतनों में वृद्धि कर दी थी, जिन में भारतीय सहायक कर्मचारी भी
लॉर्ड कॉर्नवलिस के गवर्नर बनने के समय अपराधिक न्याय प्रशासन में पूरी अराजकता थी। दंड न्यायालयों में शोषण, दमन और भ्रष्टाचार व्याप्त था। जेलें अपराधियों से भरी पड़ी
हेस्टिंग्स की 1772 की न्यायिक योजना में प्रान्तीय परिषदों के निर्णयों के विरुद्ध अपीलों और कुछ अन्य दीवानी मामलों की सुनवाई का दायित्व सपरिषद गवर्नर जनरल पर था।