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Tag: विधिक इतिहास

लॉर्ड हेस्टिंग्स के सुधार : भारत में विधि का इतिहास-56

लॉर्ड हेस्टिंग्स को 1813 में बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया। वह एक कुशल प्रशासक और कुशाग्र बुद्धि का व्यक्ति था। उस ने तत्कालीन न्यायिक व्यवस्था का
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न्याय प्रणाली के विकास में लॉर्ड मिंटो का योगदान : भारत में विधि का इतिहास-55

अधीनस्थ न्यायालयों में सुधार   लॉर्ड मिंटो ने अधीनस्थ न्यायालयों के काम काज मे सुधार के प्रयत्न भी किए। उस ने प्रांतीय न्यायालयों की अपील की अधिकारिता में
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न्याय प्रणाली के विकास में लॉर्ड मिंटो का योगदान : भारत में विधि का इतिहास-54

वारेन हेस्टिंग्स के प्रयासों से आरंभ हुई न्याय प्रणाली को एक मंजिल तक पहुँचाने में लॉर्ड कॉर्नवलिस का महत्तम योगदान था। जॉन शोर और वेलेजली ने उस के
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स्वतंत्र न्याय पालिका की ओर कदम : भारत में विधि का इतिहास-53

जॉन शोर के उपरांत 1797 में लॉर्ड वेलेजली को बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया। जॉन शोर के उपायों से भी न्याय व्यवस्था मुकाम पर नहीं आ
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जॉन शोर ने न्यायशुल्क में और वृद्धि की : भारत में विधि का इतिहास-52

जॉन शोर के 1795 के उपायों से भी अदालतों में दीवानी मामलों की संख्या में अपेक्षित कमी नहीं आई। उस ने 1797 में पुनः न्यायालय शुल्क में वृद्धि
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न्यायालय शुल्क की वापसी और बनारस में न्यायिक प्रणाली : भारत में विधि का इतिहास-51

जॉन शोर द्वारा 1794 में किए गए सुधारों से न्याय प्रणाली में आए अवरोध दूर हुए,  लेकिन गतिशीलता फिर भी नहीं आ सकी। अदालतों में पेश होने वाले
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जॉन शोर के न्यायिक सुधार : भारत में विधि का इतिहास-50

वारेन हेस्टिंग्स  (1772-1786) और लार्ड कार्नवलिस (1786-1793) ने अपने कार्यकाल के दौरान न्यायिक व्यवस्था के सुधारों पर जोर दिया। दोनों के प्रयासों से न्यायिक व्यवस्था ने देश की
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विधि व्यवसाय का नियमन : भारत में विधि का इतिहास-49

लॉर्ड कार्नवलिस ने 1793 के सातवें विनियम के माध्यम से विधि व्यवसाय का नियमन किया। योग्य और चरित्रवान अधिवक्ताओं को लायसेंस प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गई
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राजस्व और दीवानी न्यायालयों का फिर से पृथक्करण : भारत में विधि का इतिहास-47

लॉर्ड कॉर्नवलिस 1787 और 1790 के अपने सुधारों से संतुष्ट न हुआ। ऐसा प्रतीत होता है कि ये दोनों कदम उस के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के
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