सीमित देयता भागीदारी विधेयक-2008 ( Limited Liability Partnership Bill-23008) को राज्य सभा ने पारित कर दिया है, इस से इस के शीघ्र कानून बनने और लागू होने की
तीसरा खंबा और अनवरत के आलेखों “लिव-इन-रिलेशनशिप और पत्नी पर बेमानी बहस” और “लिव-इन-रिलेशनशिप 65% से अधिक भारतीय समाज की वास्तविकता है” पर जो सब से बड़ी आपत्ति
कानूनी कार्यवाहियों में रोड़ा बनने वाले अनुबंध शून्य हैं।प्रत्येक अनुबंध ….(क) जिस के द्वारा उस के किसी पक्षकार को किसी भी कंट्रेक्ट के अंतर्गत और उस के संबंध में प्राप्त अधिकारों को प्रवर्तित
व्यापार में अवरोधक अनुबंध शून्य हैं … ऐसा प्रत्येक अनुबंध जो किसी भी व्यक्ति के किसी भी वैधानिक वृत्ति (प्रोफेशन), व्यापार या कारोबार करने पर रोक लगाता है,