अपराधिक प्रकरण का निर्णय गुणावगुण पर ही होगा।
हबीब ने दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी 2005 में हुई थी। शादी के एक साल बाद मेरी बीवी ने मुझ पर 498ए, 406 भा.दं.संहिता तथा 125 दं.प्र.संहिता के मुकदमे लगा दिए जो आज तक चल रहे हैं। केस लगाने के तीन माह बाद मैं ने उसे लाने के लिए दिल्ली में केस भी किया। लेकिन उस ने विरोध किया और न्यायालय ने मेरे विरुद्ध उस का खर्चा बांध दिया। 2010 में मेरी पत्नी की मृत्यु उस के माता पिता के घर पर हो गयी। मरने से पहले मुकदमों में उस के बयान हो गए, लेकिन डाक्टर और पुलिस के बयान में नहीं हुए। बीवी मरने से 125 दंप्रसं का मुकदमा तो खत्म हो गया। पर 498ए व 406 भा.दं.संहिता का मुकदमा अभी भी चल रहा है। मेरे ससुर के बयान भी हो गए उन्हों ने कहा कि मुझे किसी बात का पता नहीं है। फिर भी मुझे आज महीने में दो बार बुलन्दशहर कोर्ट में जाना पड़ता है। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप के विरुद्ध जो धारा 498ए व 406 भारतीय दंड संहिता का प्रकरण चल रहा है वह अपराधिक है। जिसे पुलिस के आरोप पत्र पर पंजीकृत किया गया है। इस मामले में आप की पत्नी परिवादी थी जिस के परिवाद पर यह आरंभ हुआ था। उस का बयान न्यायालय में पहले ही हो चुका है। अन्य साक्षी सभी जीवित हैं इस कारण से आप की पत्नी की मृत्यु के कारण उस मुकदमे पर कोई असर नहीं आएगा। सभी शेष साक्षियों के बयान दर्ज होने के उपरान्त गुणावगुण के आधार पर ही इस प्रकरण का निर्णय हो सकेगा।
आप अपने वकील को यह कह सकते हैं कि वे आप की ओर से न्यायालय को आवेदन दें कि परिवादी का देहान्त हो चुका है और मुख्य गवाहों के बयान भी हो चुके हैं शेष गवाह औपचारिक हैं इस कारण सब को एक साथ बुला कर बयान करा दिए जाएँ जिस से इस मुकदमे का निर्णय शीघ्र हो सके। आप लगातार न्यायालय पर अभियोजन (पुलिस) की गवाही को समाप्त कराने के लिए दवाब डालेंगे तभी न्यायालय इस में गति से काम कर के मुकदमे को समाप्त कर सकेगा। तब तक आप को पेशियों पर तो उपस्थित होना पड़ेगा।
हम तीन भाई हैं जिनमें मै सबसे बड़ा हूँ। मेरे पिता ने नौकरी के दौरान हम तीनो भाईयों के नाम से अलग अलग जमीने खरीदी थी तब हम नाबालिग थे। जब हम बालिग हुए तब तक मेरे नाम की जमीन उन्होने बेच दी और मेरे छोटे भाईयो के नाम की जमीन पर उनका बालिगाना हक दे दिया। अब जब मै अपने लिए सम्पत्ति पर हिस्सा देने की बात करता हूँ तो मेरे पिता इसके लिए तैयार नहीं है तथा मेरे भाई भी सहयोग करने को तैयार नही है। ऐसे में मैं आपसे परामर्श चाहता हूं कि क्या मुझे कानूनी तौर पर सम्पत्ति में हिस्सा मिल सकता है? साथ ही यह भी बताये कि मुझे क्या करना चाहिए।