अपराधिक मुकदमों में दस्तावेज व वस्तुएँ प्रस्तुत कराने हेतु न्यायालय के आदेश का उपबंध
समस्या-
वाराणसी, उत्तर प्रदेश से आई. एन. सिंह ने पूछा है –
अपराधिक प्रकरण में परिवादी का प्रतिपरीक्षण (जिरह) चल रहा है। अभियुक्त से परिवादी जैल में मिलने जाती थी, लेकिन जिरह में उस ने इस तथ्य से इन्कार कर दिया और कहा कि मैं कभी मिलने नहीं गयी। मैं चाहता हूँ कि न्यायालय जैल से वह दस्तावेज मंगवाए जिस पर परिवादी के हस्ताक्षर/अंगूठा निशानी है। न्यायाधीश ने पूछा है कि किस उपबंध के अंतर्गत न्यायालय उक्त दस्तावेजों को जेल से मंगवा सकती है? कृपया मार्गदर्शन करें।
समाधान-
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 निम्न प्रकार है –
91. दस्तावेज या अन्य वस्तु प्रस्तुत करने के लिए समन-
(1) जब भी कोई न्यायालय या पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी यह समझता है कि किसी ऐसे अन्वेषण, जाँच, विचारण या अन्य कार्यवाही के प्रयोजनों के लिए. जो इस संहिता के अधीन ऐसे न्यायालय या अधिकारी के द्वारा या उस के समक्ष हो रही है, किसी दस्तावेज या अन्य किसी चीज का पेश किया जाना आवश्यक या वाँछनीय है तो जिस व्यक्ति के कब्जे या शक्ति में ऐसी दस्तावेज या चीज होने का विश्वास है उस के नाम ऐसा न्यायालय एक समन या ऐसा अधिकारी एक लिखित आदेश उस से यह अपेक्षा करते हुए जारी कर सकता है कि उस समन या आदेश में उल्लखित समय और स्थान पर उसे प्रस्तुत करे अथवा हाजिर हो और उसे प्रस्तुत करे।
(2) यदि कोई व्यक्ति, जिस से इस धारा के अधीन दस्तावेज या अन्य कोई वस्तु पेश करने की ही अपेक्षा की गई है उसे पेश करने के लिए स्वयं हाजिर होने के स्थान पर वह उस दस्तावेज या वस्तु को प्रस्तुत करवा दे तो यह समझा जाएगा कि उस ने उस अपेक्षा का अनुपालन कर दिया है।
इस धारा की कोई बात-
(क) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 पर प्रभाव डालने वाली नहीं समझी जाएगी, अथवा
(ख) डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा में किसी पत्र, पोस्टकार्ड, तार या अन्य दस्तावेज या किसी पार्सल या चीज पर लागू होने वाली नहीं समझी जाएगी।
आप जेल का रिकार्ड न्यायालय में मंगवाने के लिए उक्त धारा 91 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत एक आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करें जिस में यह लिखें कि किस तरह उक्त दस्तावेज उक्त प्रकरण में प्रासंगिक हैं और न्याय को प्रभावित करने वाले हैं और जिन्हें न्यायालय के समक्ष नहीं लाए जाने के कारण अभियुक्त द्वारा अपराध नहीं किया होने पर भी दोषी ठहराया जा सकता है। न्यायालय आप के आवेदन पर यथोचित आदेश पारित करेगा। यदि वह आप के दस्तावेज मंगाए जाने के आवेदन को निरस्त कर देता है तो आप उस आदेश के विरुद्ध सत्र न्यायालय में रिविजन याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं।
जिस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए आप उक्त दस्तावेज मंगाना चाहते हैं वह आ जाने पर भी आप को उस दस्तावेज को प्रमाणित करने के लिए उस दस्तावेज को तैयार करने वाले अधिकारी/कर्मचारी को साक्ष्य हेतु बुलाना होगा। जो अपने बयान में कहेगा कि वह लड़की अभियुक्त से मिलने आती थी और तभी उस पंजिका में उस के हस्ताक्षर/अंगूठा निशानी कराए गए थे और उसी के सामने किए गए थे। तभी परिवादी के जैल में जा कर अभियुक्त से मिलने का तथ्य आप साबित कर सकेंगे।
Am not sorry 2 say nigeria govt is not thinking about d 2morrow of dis country. Ogun n lagos state do not have boundary, oyo n osun do not no d tru owner of OSU. N if all dis issues are not settled now!!!! D time BOMB is counting
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