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आतंकवाद के विरुद्ध एक अनुभवी लड़ाका की सलाह

शानदार ट्रैक रेकॉर्ड वाले एक आईपीएस अधिकारी एस.एस. विर्क ने आतंकवाद की मौजूदा परिस्थितियों से निबटने और उसे परास्त करने के लिए विचारणीय सुझाव दिए हैं :-

  1. मुंबई पर हुए आतंकी हमलों में पकड़े गए आतंकवादी अजमल आमिर कसब के कुबूलनामे को टीवी पर दिखाया जाए  इस से इन आतंकी हमलों में पाकिस्तान के सीधे हाथ होने की बात दुनिया के सामने आ जाएगी।  कसब को टीवी पर यह बताने दीजिए कि वह कहां से आया है? उसे कैसे? और किन लोगों ने तबाही मचाने की ट्रेनिंग दी?  विर्क के मुताबिक ऐसा करने से पाकिस्तान का भांडा पूरी तरह से फूट जाएगा। तब वह इस सचाई से इनकार नहीं कर सकेगा। 
  2. सरकार को स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। बल्कि मुस्लिम नेताओं की मदद से सिमी के नेटवर्क का इस्तेमाल सही दिशा में किया जाना चाहिए। जिस से उस की ऊर्जा का बेहतर और सकारात्मक प्रयोग हो सके। अल्पसंख्यक (माइनॉरिटी) समुदाय के युवाओं और आम लोगों से बातचीत की जाए। आतंक के खिलाफ इस लड़ाई को अकेले या अलग-थलग रहकर नहीं जीत सकते।
  3. आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में हमें तकनीक, हथियारों, मानव संसाधन और बेहतर रणनीति का सही अनुपात में इस्तेमाल करना चाहिए। आतंकवाद को परास्त करने के लिए बहुत ज़्यादा या अतिरिक्त धन की दरकार नहीं है बल्कि जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनका भरपूर इस्तेमाल कर हम इस लड़ाई को जीत सकते हैं।
  4. उन्हें पंजाब में रूरल टेररिज़्म (ग्रामीण नेटवर्क पर आधारित आतंकवाद) का मुकाबला करने का तजुर्बा है। अगर मुंबई पुलिस को आतंकवाद का मुकाबला करने का अनुभव होता तो शायद मुंबई पर हमले की धार कुंद की जा सकती थी। 26 नवंबर को बिल्कुल जंग जैसे हालात थे और ऐसे हालात में मुंबई पुलिस ने जिस तरह से प्रतिक्रिया की, वह काबिल-ए-तारीफ है। मुंबई पुलिस की रणनीति बहुत सामयिक थी। उन्होंने पुलिस का ऐसा रिएक्शन और कहीं नहीं देखा। लेकिन आतंक से लड़ने के तौर-तरीकों से नावाकिफ होना मुंबई पुलिस को थोड़ा महंगा पडा़।

विर्क की सलाह और मु्म्बई हमले का मूल्यांकन दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।  निश्चित रूप से हर लड़ाई में साधनों का अपना महत्व होता है। लेकिन साधन जुटाए जाने तक लड़ाई को रोका तो नहीं जा सकता। इस दृष्टि से उन के सुझाव बहुमूल्य हैं। दूसरी और उन का सिमी का उपयोग करने की सलाह भी बहुत उपयोगी है। यदि हमारी सरकारें और राजनैतिक दल अपने क्षुद्र स्वार्थों को त्याग कर इस पर सोचें और देश में आतंकवाद के विरुद्ध माहौल को सही दिशा देने की पहल करें। आखिर देश की मुस्लिम जनता से कट कर तो आतंकवाद की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती।

इस मामले में कतिपय समाचार पत्रों ने यह प्रकट किया है कि कि आतंकवादी अजमल आमिर कसब के कुबूलनामे को टीवी पर प्रदर्शित करने में कानूनी अड़चन है। मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई बाधा है। हालांकि किसी भी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता।

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