आप की दूसरी शादी क्या शरीयत के मुताबिक है?
|मोहम्मद अबरार शेख ने बिहार से पूछा है-
मेरी शादी ११/०१/२०१० को हुई। मेरी पत्नी मेरे घर पे नहीं रहना चाहती थी। मैं ने उस के मायके वालों के दबाव मे उस के साथ चार साल गुजारे पर मेरे साथ बदसलूकी करती थी मैं जब अपने माँ बाप से बात करता तो मुझ से लफड़ा करती थी और जब मैं कहता था कि मेरे घर पे चल तो कहती थी कि मुझे तलाक दे दो इस से परेशान होकर मैं ने दूसरी शादी कर ली। मैं फिर भी अपनी पहली पत्नी को रखना चाहता हूँ लेकिन वह कहती है कि दूसरी पत्नी को छोड़ो तो रहूंगी। उस ने धारा 498ए और धारा 125 के मुकदमे कर दिए हैं। मुझे क्या करना चाहिए क्या वह मुझे सजा करवा देगी।
समाधान-
शरीयत कहती है कि यदि पहली बीवी के रहते दूसरी शादी करो तो पहले पहली बीवी की सहमति प्राप्त करो। दोनों बीवियों को समान तरीके से रखो।
अब शरीयत ने एक पत्नी के रहते दूसरी शादी की इजाजत यूँ ही तो नहीं दी है। आप ने दूसरी शादी न तो पहली पत्नी की मर्जी से की है और न ही आप दोनों बीवियों को एक जैसा रख सकते हैं। अब शरीयत की आधी मानोगे और आधी नहीं तो कष्ट तो भुगतने पड़ेंगे।
धारा 125 में तो आप की बीवी आप से सिर्फ खर्चा मांग रही है जो बीवी होने के नाते उस का हक है। आप को दे देना चाहिए। दूसरा 498 ए का मुकदमा यदि आप की पत्नी ने बिना किसी आधार के किया है तो घबराने की जरूरत नहीं है आप मुकदमा जीत कर बरी हो जाएंगे। बस इन दोनों मामलों में आप का वकील अच्छा होना चाहिए।
आपका जवाब पूरी तरह सच नहीं है क्योकि सुन्नी धर्मशास्त्र के अनुसार पहली बीवी से इजाजत लेना जरूरी नहीं ह पर अगर दूसरी के चक्कर में पहली को दूसरी के बराबर का हर हक़ नहीं दिया तो अल्लाह के क़हर का सामना जरूर करना पड़ेगा.