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वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और संरक्षण

समस्या-

मैं जानना चाहती हूँ कि यदि कोई माता या पिता अपनी संपत्ति या पुश्तैनी संपत्ति में अपना हिस्सा किसी एक संतान को दे दे और बाद में वही संतान उन का भरण पोषण न कर के उन्हें परेशान करने लगे तो ऐसे माता-पिता क्या कर  सकते हैं?

– प्रतिभा साहनी, नई दिल्ली

समाधान-

संतानों पर अपने वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके) माता-पिता  का तथा निस्सन्तान वरिष्ठ नागरिकों के ऐसे संबंधियों पर जो उन की संपत्ति पर कब्जा रखते हैं या उस का उपभोग करते हैं, या उन के देहान्त के उपरान्त उन की संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त करने वाले हों ऐसी रीति से भरण-पोषण का दायित्व है जिस से वे अपना सामान्य जीवन जी सकें। इस अधिनियमं के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए अभिभावकों और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम-2007 में विशिष्ठ उपबंध किए गए हैं। इस अधिनियम की शक्तियों के द्वारा प्रत्येक जिले में एक या अधिक भरण पोषण अधिकरण स्थापित किए गए हैं जिन का पीठासीन अधिकारी उपखण्ड अधिकारी या उस से उच्च पद का अधिकारी ही हो सकता है।

स अधिनियम में यह उपबंधित किया गया है कि ऐसे वरिष्ठ नागरिक जो अपना भरण पोषण करने में सक्षम नहीं हैं वे भरण पोषण और संरक्षण प्राप्त करने के लिए जहाँ वे स्वयं निवास करते हैं या जहाँ उन की संतानें निवास करती हैं उस क्षेत्र के भरण पोषण अधिकरण के समक्ष स्वयं या किसी पंजीकृत संस्था के माध्यम से आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। सूचना प्राप्त होने पर अधिकरण स्वयं भी कार्यवाही कर सकता है। यह अधिकरण संक्षिप्त सुनवाई के उपरान्त आवेदन का निपटारा करते हुए संतानों और निस्संतान वरिष्ठ नागरिकों के संबंधियों के विरुद्ध वरिष्ठ नागरिकों को प्रतिमाह भरण पोषण की निश्चित राशि जो दस हजार रुपए प्रतिमाह तक की हो सकती है अदा करने का आदेश दे सकता है। आदेश की पालना न करने पर दायित्वाधीन व्यक्ति पर जुर्माना किया जा सकता है और एक माह तक के कारावास से दंडित भी किया जा सकता है।

स अधिनियम में यह भी यह भी उपबंधित किया गया है कि इस अधिनियम के लागू होने के उपरान्त यदि कोई नागरिक अपनी संपत्ति को इस शर्त के अंतर्गत कि संपत्ति प्राप्त करने वाला व्यक्ति संपत्ति अन्तरित करने वाले व्यक्ति को जीवन के लिए आवश्यक सुख सुविधाएँ और भौतिक साधन उपलब्ध कराएगा। यदि संपत्ति प्राप्त करने वाला व्यक्ति संपत्ति अंतरित करने वाले व्यक्ति को उक्त  आवश्यक सुख सुविधाएँ और भौतिक साधन प्रदान करने से मना करता है या प्रदान नहीं करता है तो उक्त अधिकरण संपत्ति के अंतरण को धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया मानते हुए उसे निरस्त कर सकता है।

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