कानूनी समस्या को किस तरह प्रस्तुत करना चाहिए?
|समस्या-
मेरे पिताजी ने अपनी ३/४ जमीन अपने भाई की विवाहिता बेटी को रजिस्ट्री कर दी है। मैं उनका इकलौता पुत्र हूँ बाकी भी मुझे नहीं देना चाहते। मैं क्या करूँ ?
-इन्द्र कुमार, मऊ, उत्तर प्रदेश
समाधान-
आप ने अधूरी समस्या सामने रखी है। विधि से संबंधित कोई भी प्रश्न पूछने के साथ प्रत्येक विवरण देना चाहिए। इस प्रश्न में यह नहीं बताया गया है कि पिताजी के पास जो जमीन थी वह उन की स्वअर्जित थी या उन्हें उन के पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी या फिर उन के पास दोनों प्रकार की जमीन थी? यह भी स्पष्ट नहीं है कि उन्हों ने भाई की विवाहिता पुत्री के नाम रजिस्ट्री किस तरह की करवाई है वह दानपत्र है या रिलीज डीड है या फिर विक्रय पत्र है? प्रश्न वास्तव में इस प्रकार होना चाहिए कि ‘मेरे पिता के पास कुल 4.6 हैक्टर जमीन थी, जिसमें से 3.2 हैक्टर जमीन उन्हें उन के पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी तथा 1.4 हैक्टर जमीन उन्हों ने स्वयं खरीदी थी। उन्हों ने 3.2 हैक्टर जमीन जो उन्हें पिता से प्राप्त हुई थी उस के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री अपने भाई की बेटी के नाम रजिस्ट्री करवा कर हस्तांतरित कर दी है। मैं उन का इकलौता पुत्र हूँ, वे मुझे कुछ भी नहीं देना चाहते। मुझे क्या करना चाहिए? ‘
मैं यह मान कर चलता हूँ कि आप के पिता के पास सारी जमीन ऐसी थी जो उन्हें अपने पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी। वैसी स्थिति में वह जमीन पुश्तैनी हुई तब उस जमीन में आप का हक भी है और आप के पिता आप की सहमति के बिना उसे विक्रय या हस्तांतरित नहीं कर सकते थे। आप को उस विक्रय पत्र के पंजीयन को निरस्त करवाने के लिए तथा जमीन के बंटवारे के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन यदि आप के पिता की जमीन स्वअर्जित है तो आप कुछ भी नहीं कर सकते। यदि उन के पास कुछ जमीन स्वअर्जित है और कुछ पुश्तैनी (उत्तराधिकार में प्राप्त) है तो आप पुश्तैनी जमीन के लिए उक्त कार्यवाही कर सकते हैं लेकिन पिता की स्वअर्जित जमीन के लिए कुछ भी नहीं कर सकते।
मैं आशा करता हूँ कि आप को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। यदि न मिला हो तो समस्या को स्पष्ट कर के भेजें। समस्या का समाधान होगा। अन्य पाठकों को भी इस से समझ आ गया होगा कि समस्या को किस तरह प्रस्तुत करना चाहिए।
आदरणीय द्विवेदी जी
प्रश्न कर्ता इन्द्र कुमार जी की समस्या उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि के उत्तराधिकार से जुडी आम समस्या है । दरअसल उत्तर प्रदेश में भूमि की विभिन्न श्रेणियों को समाप्त करते हुये मात्र तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिसमें से सर्वोच्च श्रेणी संक्रमणीय अधिकार प्राप्त भूमिधर की श्रेणी 1.क है इस श्रेणी के भूमिधर को उसके जीवन काल मे भूमि को अंतरित करने से प्रतिबंधित करने संबंधी कोई प्राविधान उ0प्र0 जमींदारी विनाश एवं अधिनियम में नहीं है । संक्रमणीय अधिकार वाले भूमिधर के भूमि अंतरण करने संबंधी अधिकार को कुछ गिनी चुनी परिस्थितियों में ही प्रतिबंधित हैं जिसकी चर्चा फिर कभी विस्तार से करेंगे।
उत्तर प्रदेश में भूमि विधि में पुत्र का जन्म से अधिकार ( sons right by birth ) पैत्रिक भूमिधरी सम्पत्ति में प्राप्त नहीं है । मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद में निर्णित वाद सूरजदीन बनाम रामचन्द्र के वाद में यह तत्य सिद्व हो चुका है जिसमें पुत्र द्वारा पिता द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त भूमि के बैनामे को चुनौती दी गयी थी तथा उसके निस्तारण में मा0 न्यायालय ने यह निर्णित किया कि कोई वादी पुत्र पिता द्वारा निष्पादित विक्रय पत्र को इस आधार पर चुनौती नहीं दे सकता कि वह बिना विधिक आवश्यकता (जैसा कि यहां पर प्रश्न कर्ता इन्द्र कुमार जी के केस में पिता द्वारा निष्पादित बैनामें में मकान बनावाने के लिये पैसा लेने संबंधी तथ्य का अंकन है) के निष्पादित किया गया है।
मा0 उच्च न्यायालय का आब्जरवेशन है कि जब तक पिता जीवित है तब तक वादी का वादग्रस्त भूमि में कोई अधिकार या स्वत्व नहीं हो सकता। अतः पिता द्वारा निष्पादित विक्रय पत्र को रद्द किये जाने का वाद सफल नहीं हो सकता।
एक उपयोगी तथ्य और अवगत कराना चाहूंगा कि कालान्तर में कुछ प्रकरणों में खेतिहर भूमि पर अपना अधिकार पाने के लिये पुत्र द्वारा पिता की हत्या तक किये जाने संबंधी प्रकरणों के संज्ञानित होने पर वर्ष 2009 में हत्यारोपी को कृषि भूमि के उत्तराधिकार से वंचित करने संबंधी प्राविधान को भी उ0 प्र0 जमींदारी विनाश अधिनियम में जोडा गया है।
अशोक कुमार शुक्ला
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इंद्र कुमार ने अपनी समस्या को विस्तार से निम्न प्रकार प्रेषित किया है…
मेरे पिता के पास कुल 3 बीघा जमीन थी, जिसमें से पूरी जमीन उन्हें उन के पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी उनकी स्व अर्जित कुछ नहीं है । उन्हों ने 2.7 बीघा जमीन जो उन्हें पिता से प्राप्त हुई थी उस के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री अपने भाई की बेटी के नाम रजिस्ट्री करवा कर हस्तांतरित कर दी है।विक्रय पत्र में उन्होंने बताया है की दवा के लिए तथा मकान बनवाने के लिए पैसा लिया है जबकि कुछ भी प्राप्त नहीं है ! मैं उन का इकलौता पुत्र हूँ, वे मुझे कुछ भी नहीं देना चाहते। मुझे क्या करना चाहिए? क्या मुझे उसमे से हक प्राप्त हो सकता है और कितना ? हमारे यहाँ दीवानी में वकील कहते है की जमीन उनके नाम है तो वे विक्रय कर सकते है कृपया मार्गदर्शन करें की वाद कहाँ और किस आधार पर होगा ?
आदरणीय द्विवेदी जी
हांलिांकि चुनाव में व्यस्त् हूं परन्तु आपकी आज्ञा का तत्काल पालन करने हुये सथासंभव उत्तर दे रहा हुं
अशोक कुमार शुक्ला
शुक्ल जी,
आप का अत्यन्त आभार! मैं तो विस्मृत ही कर गया था कि आप चुनाव में अत्यन्त व्यस्त होंगे। पर इस से मुझे भी एक पाठ मिला कि प्रश्न का जो उत्तर मुझे नहीं मिल रहा था उसे मैं उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णयों में तलाश सकता था।
I think you’ve just captured the answer petfcerly
Surprising to think of something like that
उचित सलाह ।
और काम की जानकारी ।
दराल साहब! यहाँ पधारने के लिए धन्यवाद!
You’re the one with the brains here. I’m wanhticg for your posts.
Excelent information sir