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कानून संबंधी और एक पक्षकार की तथ्य संबंधी भूल का कंट्रेक्ट पर प्रभाव

कानून सम्बन्धी भूल का प्रभाव

कोई भी कंट्रेक्ट केवल इस कारण से शून्यकरणीय नहीं हो सकता कि वह भारत में प्रवृत्त किसी कानून से संबंधित भूल का परिणाम है; लेकिन यदि यह भूल किसी भारत में अप्रवृत्त कानून के संबंध में हुई है तो वह भूल ऐसी ही मानी जाएगी जैसे कि वह तथ्य संबंधी भूल है।

दृष्टांत- क और ख इस गलत विश्वास पर कंट्रेक्ट करते हैं कि एक खास कर्जा भारतीय मियाद कानून द्वारा बाधित है। यह कंट्रेक्ट शून्यकरणीय नहीं होगा। (धारा-21)

यहाँ भारत में प्रवृत्त कानून की स्थिति भारत में कानून की है इस कारण से उस के संबंध में हुई भूल को कानून उचित नहीं मान सकता। सिद्धान्त यह है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी मामले में कानून से इस कारण से छूट प्राप्त नहीं कर सकता कि उसे देश के कानून का ज्ञान नहीं था। यदि ऐसा होने लगे तो सभी अपराधिक मामलों में अभियोजन पक्ष को और दीवानी मामलों में दावा करने वाले पक्ष को यह साबित करना पड़ेगा कि अपराधी/प्रतिवादियों को कानून का ज्ञान था और कानून का कोई महत्व ही नहीं रहेगा। लेकिन यही बात भारत में लागू नहीं होने वाले कानून (विदेशी कानून) के मामले में लागू नहीं हो सकती क्यों कि वह कानून भारत के लिए कानून की नहीं अपितु केवल तथ्य की हैसियत रखता है। यही कारण है कि भारत में अप्रवृत्त कानून की गलती/भूल को कंट्रेक्ट को शून्यकरणीय करने के मामले में तथ्य के समान माना गया है।

लेकिन, व्यक्तिगत सिविल अधिकार तथ्य का विषय है, हालांकि वह किसी कानून पर निर्भर करता है। इस कारण से किसी व्यक्ति के सिविल अधिकार संबंधी भूल दोनों पक्षकारों से हुई हो तो कंट्रेक्ट शून्य होगा और उस पर कानून के इस भाग का कोई प्रभाव नहीं होगा।

जैसे किसी संयुक्त संपत्ति के विभाजन के मामले में यह मान कर कि कोई संपत्ति विशेष संयुक्त संपत्ति है भागीदारों के भाग निर्धारित कर बंटवारा कर दिया जाता है। बाद में कानूनी रूप से यह पता लगता है कि वह संपत्ति विशेष संयुक्त संपत्ति का भाग न हो कर किसी की व्यक्तिगत संपत्ति थी, तो इसे तथ्य संबंधी भूल ही माना जाएगा और विभाजन को समाप्त कर उस संपत्ति विशेष को संयुक्त संपत्ति से पृथक कर पुनः भागीदारों के भागों का निर्धारण कर विभाजन संपन्न किया जाएगा। 

 एक पक्षकार की तथ्य संबंधी भूल के परिणाम से उपजा कंट्रेक्ट

कोई कंट्रेक्ट एक पक्षकार द्वारा तथ्य संबंधी भूल के परिणाम से उपजा हो तो कंट्रेक्ट इस कारण से शू्न्यकरणीय नहीं होगा। (धारा-22)

एक माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किसी ट्रांसपोर्टर से सौदा हुआ और भाड़े की राशि एक मुश्त तय हो गई। ट्रांसपोर्टर से भूल यह हुई कि उस ने भाड़ा तय करते समय स्थानों की दूरी को कम आंक लिया जिस से उसे कम भाड़ा मिला। यह ट्रांसपोर्टर की खुद की भूल थी, इस कारण से कंट्रेक्ट वैसा ही रहा, और ट्रांसपोर्टर को अधिक भाड़ा लेने का अधिकारी नहीं माना गया।

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