किराएदार से मकान केवल न्यायालय की डिक्री से ही खाली कराया जा सकता है।
सुमन जायसवाल ने वाराणसी, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मेरा वाराणसी में मकान है और काफी समय से एक किरायेदार इस में रह रहा है जिस कोहमारे पिता जी किराये पर दिया था। अब वह आदमी मेरा मकान खाली नहीं कर रहा है। पता चला है कि उस ने कोर्ट से किसी तरह का स्टे ले लिया है। क्या कोई ऐसीयुक्ति है जिसके माध्यम से मैं अपना मकान वापस पा सकूँ।
समाधान-
हम अनेक बार बता चुके हैं कि किराएदार कभी मकान का मालिक नहीं हो सकता। उक्त मकान के स्वामी आप हैं तो आप ही रहेंगे। लेकिन वाराणसी नगरीय क्षेत्र है। जहाँ नगरीय किराया कानून लागू होता है। नगरीय क्षेत्र में किसी भी किराएदार से मकान तभी खाली कराया जा सकता है जब कि कानून के अन्तर्गत आधार आप को उपलब्ध हों। इन आधारों में किराया न देना और छह माह से अधिक लगातार किराया देने में चूक करना, मकान मालिक को खुद के लिए सद्भाविक आवश्यकता होना, न्यूसेंस करना आदि हैं। उत्तर प्रदेश किराया कानून आप खुद देखेंगे तो आप को पता लग जाएगा कि आप के पास मकान खाली कराने के क्या आधार हो सकते हैं। आप चाहें तो इस के लिए वाराणसी में किसी वकील से मिल कर पता कर सकते हैं कि आप के पास क्या आधार उपलब्ध है जिस के कारण आप मकान खाली करवा सकते हैं। यदि आप का आधार साबित कर सके तो न्यायालय से आप को मकान खाली करने की डिक्री मिल जाएगी।
न्यायालय में मकान खाली करने के मुकदमे में समय लगता है। इसी कारण लोग बरसों बरस मकान खाली करने का मुकदमा नहीं करते। लेकिन जितनी वे देरी करते हैं उतनी ही मुसीबत में उलझते जाते हैं। मकान खाली कराने का और कोई तरीका नहीं है सिवा इस के कि आप मुकदमा करें। अक्सर किराएदार को भी यह भय रहता है कि मकान मालिक किसी तरह जोर जबरदस्ती मकान खाली न करा ले। इस कारण किराएदार न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर इस आशय का स्टे प्राप्त कर लेता है कि मकान मालिक उसे किराएदारी परिसर से न्यायालय की डिक्री के सिवा अन्य तरीके से बेदखल न करे। ऐसा ही कोई स्थगन आप के मामले में किराएदार ने लिया हो सकता है। लेकिन मकान मालिक को स्थगन के मुकदमे की नोटिस तामील हुए बिना ऐसा स्थगन होना लगभग असंभव है। इस कारण स्टे वाली बात मात्र अफवाह भी हो सकती है।
आप को चाहिए कि आप वाराणसी में किराएदारी के मुकदमे करने वाले किसी अच्छे वकील से मिलें और उस से राय करें। वह आप को मकान खाली कराने के लिए उचित सलाह और रास्ता सुझा सकता है। एक बार राय ले लेने के उपरान्त देरी न करें। मुकदमा अवश्य कर दें। क्यों कि जितनी आप देरी करेंगे उतनी ही देरी आप को आप का मकान खाली कराने में होगी।
मै बागरी गाव जिला विदशा का रहने वाला हु मेरे गाव मे एक 200 साल पुराना मकान है पहले वह मकान जमीदारो का था जो पता नही कितने साल तक उसका उपयोग करते रहे फिर 1940 के लगभग उस मकान मे घनश्याम दास रहने लगे 1995 तक उनहोने उसका उपयोग किया फिर 1995 मे उनहोने वह मकान मेरे पिताजी को 30000 रू मे दे दिया लेकिन पिताजी कोई लिखापडी न करवा सके 2005 मे घनश्याम दास का निधन हो गया अव घनश्याम दास के बेटा ब्रजेश हमे परेशान नही कर रहे लेकिन वह अव कोर्इ लिखापडी करने को तैयार नही है कहते है हमे कुछ पता नही
समस्या यह है कि जमीदारो का एक वंशज जीतेन्द्र हमसे कहता है कि यह मकान हमारा है आपके पास इसके कोर्इ पेपर नही है न ही घनश्याम दास के पास थे जीतेन्द्र कहता है मेरे पास जमीदारी का पटटा रखा है जिससे इस मकान पर मेरा अधिकार है मकान खाली करवा दुगा
मकान का उपयोग हम 20 साल से कर रहे है
आप उपाय बताए