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पति/पत्नी की नपुंसकता के कारण विवाह का उपभोग न हो तो विवाह को अकृत किए जाने की डिक्री प्राप्त की जा सकती है।

समस्या-

नमिता ने पटना, बिहार से पूछा है-

एक मेट्रीमोनी साइट के माध्यम से हमारा परिचय हुआ। वह मुझ से आठ वर्ष बड़ा था और एक निजी बैंक में नौकरी करता था। 2016 में हमारी शादी हो गयी। विवाह मेरे मायके में ही हुआ। तब से मैं उस के साथ पूना में रह रही थी। दो वर्ष तक साथ रहने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकती। वह शारीरिक रूप से अक्षम है और अधिकांश समय तनाव में रहता था। उसके कारण मैं भी साल भर से गहरे डिप्रेशन में आ गयी थी। 2018 में मैं वापस अपने मायके आ गयी। 8-9 माह से हम अलग अलग हैं। अब हमारा उसके साथ कोई संपर्क नहीं है न उसके परिवार के साथ। उस ने मेरी सामाजिक स्थिति को बरबाद कर दिया है। मैने महसूस किया कि उसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन की अक्षमता है। पहले मुझे इस का आभास नहीं था। उस में कोई आग्रह नहीं था। मैं ने उसे कई बार डाक्टर के पास जाने को कहा लेकिन वह हमेशा उसे टाल देता था।

समाधान-

आप ने जो विवरण दिया है उस से यह तो पता चलता है कि आप का पति शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है पर यह पता नहीं लगता कि विवाह के बाद आप दोनों के बीच किसी तरह का यौन संबंध स्थापित हुआ है या नहीं। यदि एक बार भी यौन संबंध स्थापित नहीं हुआ है तो इस का अर्थ यह है कि आप के और आप के पति के बीच विवाह का उपभोग नहीं हुआ है और इस का कारण आप के पति की इरेक्टाइल डिसफंक्शन या अन्य कोई शारीरिक व मानसिक अयोग्यता है तो आप के पास हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 12 में विवाह को अकृत (Nullity of Marriage) की डिक्री प्राप्त करने के लिए पर्याप्त आधार है। इस डिक्री से किया हुआ विवाह शून्य घोषित किया जाता है।

इस के अलावा जिस तरह आप ने दो वर्ष उस के साथ तनाव में बिताए हैं उस का व्यवहार मानसिक और शारीरिक रूप से क्रूरता पूर्ण होने की श्रेणी का हो सकता है। आप अपने आवेदन में क्रूरतापूर्ण व्यवहार के आधार पर विवाह विच्छेद की राहत की मांग भी वैकल्पिक रूप से कर सकती हैं।

आप का विवाह आप के मायके में ही संपन्न हुआ है इस कारण से आप यह आवेदन आप के मायके में ही प्रस्तुत कर सकती है। आप इस के साथ ही भरण-पोषण के लिए आवेदन हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत अथवा धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत प्रस्तुत कर सकती हैं। यह सब करने के लिए आपको तुरन्त किसी अच्छे वकील से संपर्क करना चाहिए और सारे तथ्य उसके सामने रखते हुए आवश्यक कार्यवाहियाँ की जानी चाहिए। जिस से आप विवाह को अकृत घोषित कराने अथवा विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने के लिए अपने आधारों को न्यायालय के समक्ष ठीक से रखते हुए उन्हें साबित कर सकें।

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