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क्या मुझे तलाक मिल सकता है?

  
 छत्तीसगढ़ से विप्लव साहु ने पूछा है- 

मेरी शादी को 8 वर्ष हो चुके हैं मेरी पत्नी शहरी पृष्ठभूमि से है। शादी के तुरन्त बाद उस ने गाँव के घर में परेशानी पैदा करनी आरंभ कर दी। मेरे परिवार वालों पर टोने-टोटके का आरोप लगाया, घर को भी भूतिया बताने लगी। उस ने कपट, झूठ, प्रपंच का सहारा ले कर मुझे अपने माता-पिता, गाँव से दूर कर दिया। मैं उस के साथ कस्बे में रहने लगा। यहाँ आ कर भी उस का रवैया नहीं बदला और मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करती रही। वह अपने माता-पिता, भाइयों की बातें मानती रही। उस के सामने ही मेरे ससुराल वाले मेरा अपमान करते रहे, तब भी वह उन का ही साथ देती रही। इस बीच इन सब ने मुझे अदालत, पुलिस, दहेज-प्रताड़ना, मारपीट आदि के मुकदमे की धमकियाँ कई बार दी हैं। मेरे ससुर की आर्थिक हैसियत मुझ से बहुत ज्यादा है। इस का प्रभाव मेरी पत्नी पर है और वह गुस्सा, अहंकार, गाली-गलौच, बच्चों को बुरे संस्कार देने के रूप में नजर आता है। मैं ने शान्त भाव से उसे समझाने की बहुत कोशिश की मगर वह समझने, मानने को तैयार ही नहीं है। उलटे कहती है माँ बाप को यहीं ले आओ यहीँ उन की सेवा जतन करूंगी। लेकिन यह उस की कूटनीतिक चाल रहती है। एक दिन के लिए भी वह माता पिता के साथ रहे तो ताने मार-मार कर उन का जीना मुहाल कर देती है। सेवा करना तो दूर रहा उस के मन में प्रेम, दया, सहिष्णुता और पारिवारिक भावना तक बिलकुल नहीं है। बेटी को भी वह मेरे खिलाफ भड़काती रहती है। वह केवल अपने माता-पिता का कहना मानती है, मेरे ससुराल वालों का अति हस्तक्षेप रहता है। उन्हों ने मेरे स्वाभिमान को चोट पहुँचाते हुए मुझे घर बनाकर या दौलत देने का लालच दिया, जिसे मैं ने ठुकरा दिया। उन का पूरा मकसद यही रहता है कि उन की बेटी पूरी तरह मेरे परिवार, गाँव से दूर रहे। किराए के दूसरे महंगे मकान में भी जबर्दस्ती शिफ्ट करवा दिया, जिस से मेरी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। अब मेरी पत्नी का हौसला इतना अधिक बुलन्द हो चुका है कि उस घर से मुझे निकल जाने को कहती रही। ये सारी बातें मैं यह सोच कर बर्दाश्त करता रहा कि मेरी बेटी पर और मेरे माता-पिता के मान सम्मान पर अधिक चोट न पहुँचे। मानसिक तनाव में रहने के कारण मेरे स्वास्थ्य बीमारियों से घिरता जा रहा है। अब उस की मकान छोड़ देने की धमकी और अपमान के चलते मैं ने एक माह से वह मकान छोड़ दिया है। अब मुझे वह फिर से बुला रही है, माफी मांग रही है। वह विगत आठ सालों में कई बार झगड़े कर के माफी मांग चुकी है फिर बाद में हर बार गलती करती है। उस का व्यवहार ऐसे इंसान की तरह लगता है जो रहता तो मूर्ख है लेकिन खुद को अक्लमंद और होशियार समझता है। मुझे ये लगता है कि मेरा उस के साथ रह कर गुजारा मुश्किल है अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं तलाक ले सकता हूँ?

  
 सलाह –
विप्लव जी,

प की समस्या विकट है। अक्सर इस तरह की समस्याएँ तब उत्पन्न होती हैं जब पति-पत्नी उन परिवारों से आते हैं जिन के आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर में अधिक अंतर होता है। यह आप के मामले में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। आप ग्रामीण परिवेश से हैं जब कि आप की पत्नी नगरीय परिवेश से। निश्चित र
ूप से जहाँ ग्रामीण समाज अभी भी बहुत अंधविश्वासों से ग्रस्त है वहीं नगरीय समाज ने इस से एक सीमा तक मुक्ति पायी है। ग्राम में रहन सहन की सुविधाएँ अभी भी नगर या कस्बों की अपेक्षा बहुत कम हैं। नगर का व्यक्ति कस्बे में और कस्बे का व्यक्ति गाँव में खुद को अत्यधिक असहज महसूस करता है। आप के ससुराल वाले आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उन का रहन-सहन भी आप के परिवार के ग्रामीण परिवेश से अच्छा है। जहाँ आप में ग्रामीण परिवेश के कारण पुराने सामंती समाज के जीवन मूल्य गहरे पैठे हुए हैं वहीं आप की पत्नी का पालन पोषण नगरीय परिवेश में होन के कारण उस ने इन में से अनेक मूल्य कभी ग्रहण ही नहीं किए, वह उन्हें पिछड़े हुए मू्ल्य समझती है और अपनी पुत्री को भी हस्तांतरित नहीं करना चाहती। माँ ही संतानों को संस्कार देती है। जब वह आप के मूल्यों को और आप को मूल्यों के स्तर पर पिछड़ा हुआ समझती है तो निश्चित रूप से आप के मूल्यों और जीवन शैली की आलोचना अपनी पुत्री के सामने करती होगी। उसे ही आप समझते हैं कि वह आप आप का निरादर कर रही है और की पुत्री को आप के विरुद्ध भड़का रही है।

प की पत्नी गाँव में रहने तो तैयार नहीं थी। उस ने उस के लिए कई प्रपंच किए और अंततः आप नगर/कस्बे में चले आए। आप की पत्नी कहती है कि माता-पिता को भी यहाँ ले आएँ यहीं उन की सेवा करेंगे। एक तरह से आप ने अपना घर तो छोड़ ही दिया। फिर जो आवास आप ने किराए पर लिया वह भी रुचिकर नहीं लगा तो पत्नी ने महंगा आवास ले लिया जिस से आप की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई। आप के बीच मूल्यों और रहन-सहन के विवाद तो थे ही आर्थिक स्थिति की गंभीरता ने बीच के विवाद को और बढ़ाया। तनाव में पत्नी ने आप को घर से निकल जाने को कहा और आप चले आए। अब वह माफी मांग रही है, भविष्य में गलती नहीं करने का वादा कर रही है और आप को बुला रही है। उधर आप की ससुराल वाले मकान दिलाने को और मदद करने को तैयार हैं लेकिन आप लेने को तैयार नहीं हैं। लेकिन वे मकान तो आप को नहीं अपनी पुत्री को दिला रहे हैं। पुत्री का पिता की संपत्ति में अधिकार है, वह ले सकती है। आप लेना नहीं चाहते इस तरह आप अपनी पत्नी को उस का अधिकार प्राप्त करने में बाधक बने हुए हैं। यह आप के बीच विवाद का एक मुख्य कारण बना हुआ है। आप को अपने माता-पिता का साथ छूटने का दर्द सालता है। लेकिन उन्हें तो आप पहले ही पीछे छोड़ आए हैं। उस कदम से पीछे लौटना तो मुमकिन नहीं है। आप की पत्नी की आर्थिक स्थिति इसलिए अच्छी है कि उस के पिता और भाई आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उस की मदद करना चाहते हैं। वह यह मदद ले कर आप के साथ बराबरी का रिश्ता कायम करना चाहती है। यदि ऐसा है तो करने दें। यह आप की पत्नी का मुगालता भी हो सकता है कि उस के पिता और भाई मकान बना कर देने को तैयार हैं। यदि आप पत्नी को मकान और आर्थिक सहायता लेने से मना नहीं करेंगे और पिता और भाई उसे मकान नहीं देंगे या आर्थिक मदद से हाथ खींचते हैं तो उस का यह मुगालता भी टूट जाएगा।

न तमाम तथ्यों से लगता है कि आप और आप की पत्नी के बीच विवाद इतना गंभीर नहीं है। आप की पत्नी का माफी मांगना, भविष्य में गलती न करने का वादा करना और आप को वापस घर बुलाना इस बात का द्योतक है कि वह आप का साथ छोड़ना भी नहीं चाहती है। समस्या केवल आप के और आपकी पत्नी के बीच मूल्यों और संस्कृति को ले कर है। आप चाहें तो इस समस्या को हल कर सकते हैं। आप की पत्नी आप के गाँव से नगर में आ गई है वह वापस गाँव नहीं लौटेगी यह निश्चित
है। वह हमेशा कस्बे या नगर में ही रहेगी। यहाँ आवास महंगा है तो उस का इलाज यह है कि आप की पत्नी के माता, पिता व भाई आप की पत्नी को मकान दिलाना चाहते हैं तो उस के लिए सहमति देदें। इस से आप की नगर में आवास की समस्या हल हो जाएगी। जब पत्नी अपने पति के मकान में रह सकती है तो पति भी पत्नी के मकान में रह सकता है। आप की पत्नी को मकान मिल जाए तो उस में रहने में आप को परेशानी नहीं होनी चाहिए। आप अपनी पत्नी के साथ रहें। कभी अपने माता पिता को संभालने के लिए गाँव चले जाएँ। जितनी हो सके पत्नी को परिवार चलाने में मदद करें। यदि यह संभव हो सके तो धीरे-धीरे यह स्थिति भी उत्पन्न होने लगेगी कि आप की पत्नी यदा-कदा गाँव भी जाने लगे और आप के माता-पिता का आप की पत्नी के पास आ कर रहना भी संभव हो सकता है। मुझे लगता है कि आप को अपनी संतान के लिए पत्नी से रिश्ते को समाप्त करने के बारे में सोचना नहीं चाहिए।

प ने कानूनी बात पूछी है कि क्या आप को तलाक मिल सकता है। मुझे आप के तथ्यों से नहीं लगा कि आप के पास तलाक के लिए कोई ठोस आधार उपलब्ध है। फिर तलाक का मुकदमा कई वर्ष तक चलता रहेगा। आप के मुकदमा करते ही पत्नी भी अपने और अपनी संतान के लिए खर्च मांगने का मुकदमा करेगी। वह दहेज प्रताड़ना और मारपीट का मुकदमा भी कर सकती है। इस से कुछ हल नहीं होगा। आप की परेशानियाँ बढ़ जाएंगी और आप के अपनी पत्नी व पुत्री के साथ भविष्य के संबंध भी खराब हो जाएंगे। मेरी राय है कि आप को अपनी पत्नी के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इस से आप की बहुत सी समस्याएँ हल हो सकती हैं।

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