अनिल वर्मा ने पूछा है-
मेरी शादी दो वर्ष पहले हई, मेरी पत्नी बहुत चिड़चिड़े स्वभाव की है जिस के कारण उस की किसी से नहीं बनती है। किसी भी छोटे से काम को कहने पर विवाद कर देती है और कमरे में बंद हो कर मर जाने की धमकी देती है। उस के पिताजी उस के समझाने के स्थान प उस से कह देते हैं कि तुम्हें जो करना हो कर लो हम देख लेंगे अब जब भी आते हैं तब धमकी देते हैं कि तुम्हें बरबाद कर देंगे। मेरी बीमार माता जी भी है। मैं बहुत परेशान रहता हूँ, पागलों की तरह। मुझे झूठे मुकदमों से बचने के लिए सलाह दें।
उत्तर –
अनिल जी,
चिड़चिड़ापन मनुष्य का स्वभाव नहीं है। यह निश्चित रूप से किसी न किसी रोग का लक्षण है। आप अपनी पत्नी को सब से पहले किसी चिकित्सक को दिखाएँ। हो सकता है आप को मनोचिकित्सक की सहायता लेनी पड़े। आप को अपनी पत्नी की चिकित्सा करानी चाहिए। जब यह स्पष्ट हो जाए कि आप की पत्नी को रोग है तो चिकित्सक से यह भी पूछें कि उस के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। चिकित्सक आप को इस मामले में सलाह दे सकता है। वैसे भी यदि कोई व्यक्ति बीमार है तो उसे किसी काम के लिए कहना उचित नहीं है। यदि रोगी काम करने के लिए स्वतः ही प्रेरित होता है और काम करता है तो परिवार के शेष लोगों को उस की मदद करना चाहिए। परिवार के सब लोग उस से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। यही प्रेम आप की पत्नी के व्यवहार को बदल सकता है। आप की पत्नी आप के परिवार की अभिन्न सदस्य है उस के प्रति आप सब का व्यवहार सद्भावना पूर्ण और प्रेममय होना चाहिए। उसी से आप की समस्याएँ सुलझ सकती हैं।
जहाँ तक कानूनी सलाह का प्रश्न है तो मेरी राय है कि किसी की भी धमकी से डरना नहीं चाहिए। उस का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जैसी धमकी आप के ससुर ने आप को दी है वह भी एक तरह से अपराधिक कृत्य है आप विवाह से अब तक की सारी घटनाओं का विवरण लिखते हुए आप के क्षेत्र के पुलिस थाना में आप के ससुर द्वारा धमकी देने की घटना की सूचना दें और उस की प्राप्ति स्वीकृति सुरक्षित रखें। आप इसी सूचना की एक प्रति आप के क्षेत्र पर क्षेत्राधिकार रखने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट को संबोधित करते हुए रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से प्रेषित करें। डाक की रसीद और प्राप्ति स्वीकृति प्राप्त हो जाने पर उन्हें सुरक्षित रखें। यदि आप के ससुर या आप की पत्नी कोई कार्यवाही करती है तो उस समय ये प्रतियाँ आप के काम आएंगी।
चिडचिडापन रोग का लक्षण भी है,
आमोद और प्रमोद का भक्षण भी है,
प्रश्न पेचीदा 'अनिल जी' आपका,
'राय' के उत्तर में आरक्षण भी है.
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
सलाह तो आपकी सौ टके सही है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि इसका इलाज डॉ. के पास हो ही.
आभार.
पहले वाली टिप्पणी में लिंक गलत जुड़ गया था:-अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
श्री राज भाटिया जी के विचारों से मैं भी सहमत हूँ. मेरे सुसराल वालों की शह से मेरा घर परिवार बर्बाद हो गया. मुझे भी पत्नी और सुसराल वालों की ऐसे ही धमकी मिलती थीं और मैंने कभी धमकियों पर जयादा कभी गौर नहीं किया बल्कि घर बसने के प्रयास में पत्नी द्वारा किये अन्याय को सहता रहा था.मैंने इलाज करवाने की कोशिश की तो दवाइयां कूड़ेदान में फैक दी जाती थीं. तब मुझे इन्टरनेट की जानकारी नहीं थीं और मेरे पास कोई अच्छा गुरुवर भी नहीं था. जो किसी प्रकार की सावधानियां बरत लेता.आज अनेकों फर्जी केसों में फंसा हुआ हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
सही सलाह दी आप ने, लेकिन यह चिडचिडा पन कोई बिमारी के कारण नही बाल्कि इस लडकी के बाप की शाह के कारण हे… जिस का इलाज नही हो सकता, बस घर ही बरबाद हो जाता हे , मैने देखा हे ऎसी ऒरतो को जो अपने संग एक पुरे खान दान का जीवन खराब कर देती हे
ऐसे ब्लॉग सही दिशा में चल रहे हैं. आपका शुक्रिया.
मेरे ब्लॉग दुनाली पर देखें-
मैं तुझसे हूँ, माँ
सही सलाह। आभार।
बढिया सलाह दी है सर .
.लेकिन फ़िर भी आपको चिडचिडेपन के लिए कोई आयुर्वेदिक दवाई भी प्रेस्क्राईब करनी चाहिए थी .
..ई भईया जी इश्माईल कैटेगरी वाली टिप्पी थी