DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

धारा 144 बीएनएसएस के अंतर्गत भरण पोषण की राहत आदेश या प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से ही प्राप्त हो सकती है

“पति ने दिनांक 16.11.2015 को फैमिली कोर्ट, दिल्ली में तलाक लेने के लिए केस फाइल किया। पत्नी ने (मैंने) 07.07.2016 को हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत भरण पोषण के लिए दावा फाइल किया। तलाक का मुकदमा अभी चल रहा है। आज तक भरण पोषण के दावे पर कोई आदेश नहीं हुआ है और न ही कोई आर्थिक लाभ दिया गया है। जज महोदय तथा वकील भी  मुझे मौखिक रूप से धारा 125 के अंतर्गत भरण पोषण का दावा करने को कह रहे हैं।
मेरा प्रश्न है कि:-
(1)  यदि मैं अब धारा 125 के अंतर्गत भरण पोषण का दावा पेश करूं तो क्या  मेरा  यह  दावा धारा 24 का दावा पेश करने की तारीख से प्रभावी माना जाएगा; और,
(2)   उपरोक्त परिस्थिति में मुझे धारा 125 के अंतर्गत अब दावा पेश  करने की सलाह पर आपके क्या विचार हैं?”

आपको न्यायालय को एक आवेदन इस आशय का प्रस्तुत करना चाहिए कि धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम के आपके आवेदन को धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता का आवेदन मान कर उसे उसके नंबर पर दर्ज कर सुनवाई की जाए। यदि न्यायालय आपको इस परिवर्तन की अनुमति देता है तो आपको आवेदन की तिथि से राहत दी जा सकती है।

आप धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता अब धारा-144 बीएनएसएस हो गयी है। दंड प्रक्रिया संहिता रिपील कर दी गयी है। धारा-144 बीएनएसएस के अंतर्गत यह प्रावधान है कि न्यायालय राहत आदेश की तिथि से अथवा प्रार्थना पत्र की तिथि से भरण पोषण भुगतान के लिए आदेश दे सकता है। इस कारण से आपके धारा-144 बीएनएसएस के आवेदन में धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से राहत प्राप्त नहीं हो सकेगी।

यदि धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम के आपके आवेदन को धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के आवेदन में परिवर्तिति करने का आवेदन स्वीकार नहीं होता है तो आपको धारा 144 बीएनएसएस का आवेदन प्रस्तुत कर देना चाहिए। इस आवेदन के अंतर्गत राहत उस आवेदन को प्रस्तुत करने की तिथि से ही प्राप्त हो सकेगी।