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किसी अधिकारी द्वारा अकारण कर्तव्य निर्वहन से इन्कार नहीं किया सकता।

समस्या-

प्रिंस कुमार वर्मा ने जिला- छतरपुर, मध्य प्रदेश पूछा है-

मै मध्य प्रदेश के लिए घोषित अरख जनजाति का सदस्य हूँ। पूर्व में मेरे पिता, पिता के भाई और उनके बेटों अर्थात् मेरे कुल के, परिवार के सदस्यों के जनजाति प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। लेकिन मेरा जनजाति प्रमाणपत्र केवल इसलिए नहीं बनाया जा रहा है कि मैं अपने उपनाम मे “वर्मा “लेख करता हूँ कृपया कुछ हल सुझाएँ?

समाधान-

कोई अपने नाम के साथ उपनाम का प्रयोग करता है या नहीं या किस उपनाम का प्रयोग करता है इस के लिए कोई नियम या कानून नहीं है। किसी भी व्यक्ति द्वारा कोई उपनाम प्रयोग कर लेने से उस की जाति नहीं बदलती। कोई उपनाम धारण कर लेने से उसे उस की जाति का प्रमाण पत्र जारी करने से मना नहीं किया जा सकता है।

आप ने स्पष्ट नहीं किया है कि क्या आप को जाति प्रमाण पत्र बनाने से इन्कार कर दिया है या बनाया ही नहीं जा रहा है। यदि प्रमाण पत्र बनाने से इन्कार कर दिया है तो क्या लिखित में किया गया है? इस तरह बिना कोई कारण बताए जाति प्रमाण पत्र न बनाना कर्तव्य निर्वहन से इन्कार करना है। कोई सरकारी अधिकारी ऐसा नहीं कर सकता।

यदि आप को लिखित में इन्कार नहीं किया है तो बेहतर है कि आप जिला कलेक्टर को मिल कर इस बारे में उन्हें लिखित ज्ञापन दें, उस से समस्या का हल हो जाएगा। यदि फिर भी समस्या हल नहीं होती है तो आप सूचना के अधिकार के अंतर्गत एक आवेदन सूचना अधिकारी को दें कि आप ने जो आवेदन दिया था उस पर इतने दिन व्यत्तीत हो जाने पर भी प्रमाण पत्र क्यो नहीं बनाया जा रहा है और यदि खारिज कर दिया गया तो क्यों खारिज कर दिया गया है। हमें लगता है कि आप को आरटीआई का उत्तदर मिलने से पहले आप की समस्या का हल हो जाएगा।

यदि फिर भी समस्या समाप्त न हो और लिखित में यह कहा जाए कि वर्मा उपनाम के कारण आपका जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा सकता है तो आप सीधे उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करें, उच्च न्यायालय संबंधित अधिकारी और विभाग को आदेश देगा कि आप का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाए और इस तरह किसी का भी जाति प्रमाण पत्र जारी करने से नहीं रोका जाए।

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