पक्षकार को सूचना न होने पर उस के विरुद्ध एकतरफा निर्णय अपास्त हो सकता है।
प्रमोद जी. देशमुख ने नागपुर, महाराष्ट्र से पूछा है-
मेरी पत्नी और मैं आज नागपुर में रहते हैं। हमारी शादी 1998 में हुई। मेरी पत्नी अपनी माँ की इकलौती संतान है। वैसे ही मेरी सास भी अपने परिवार में मेरी पत्नी के तीन भाईयों में अकेली संतान थी। वह बालाघाट बूढी मध्यप्रदेश की निवासी थी। उनका स्वर्गवास मेरी पत्नी कीउम्र लगभग 13 वर्ष की थी तब हो गया था। मेरी पत्नी की माँ का हिस्सा उनकीपैतृक संपत्ति में था जिसका आधार 7/12 में उनका नाम दर्ज है। वैसे ही नक्शाभी कटा है। वैसे ही तहसील में भी पैतृक संपत्ति का हिस्सा बटवारे में (1.40 डीसीमील यांनी देड एकर जिसकी कीमत लगभग 2 करोड है।) मेरी सासके देहांत के उपरांत मेरी पत्नी का नाम दर्ज है। पर मेरी पत्नी के मामाओंने मेरी पत्नी को अंधेरे में रखकर सन 2001 मे अर्जी लगाया की वह नाबालिगहै। (जब की उसकी शादी मेरे साथ सन 1998 में हुई थी जब वह 19 साल की थी) उन्होंने चालाकी से उसके नाम से बैहर कोर्ट में अर्जी में ऐसा दर्शाया किउसे संपत्ती का हिस्सा न मिले, और उसके लिये बडे मामा ने अपनी भांजी को नाबालिग दिखाया। जब कोर्ट ने उन्हे मेरी पत्नी को हर बार कोर्ट में खडाकरने का आदेश दिया पर उन्होंने जान बूझकर अपनी भांजी को कुछ भी नहीं बताया तथा अपनी भांजी को कोर्ट में खड़ा नहीं किया और कोर्ट ने एकतरफा निर्णय दियाकि आपकी भांजी कोर्ट में हाजिर नहीं हो रही इस लिये कोर्ट केस खारिज करताहै। मेरी पत्नी को उनके मामाओं ने 2012 तक अंधेरे में रखा 2012 मेंमेरी पत्नी को शक हुआ की तीनो मामाओं के नाम से जमीन जायजाद का बटवारा हुआ है तो उसके माँ के नाम से भी कुछ ना कुछ तो हिस्सा होगा तब उसने अपनेमामाओं को जमीन जायदाद के पेपर दिखाने को कहा। उस समय मेरी पत्नी को अपनीमाँ के नाम से कुछ जमीन है करके पता चला तब उसने अपनी माँ का हिस्सा उसेमिलना चाहिऐ करके तकाजा लगाया तो मेरी पत्नी के मामाओं ने उसकेनाम की जमीन जायजाद प्लाट बनाकर बेच दी और पैसे चट कर गये हैं।
हमें ऐसाज्ञात हुआ की हमारी सास के नाम से कुछ तो जमीन जायजाद होगा तब उन्होंनेगल्ती से मेरे हाथों पेपर दे दिये जिससे हमें जानकारी प्राप्त हुई कि मेरीसास के नाम से जमीन थी तथा उसकी मृत्यु के बाद उसकी वारिस करके मेरी पत्नी कानाम निचे है। उन्हों ने हमें 2001 कोर्ट का फैसला दिखाकर चुप कराया की आप कहीभी जाये आपकी सुनवाई नही होंगी।
(हमारे पास पुरे पेपर के झेरॉक्स प्रतीया है। ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए आपसे कानून सलाही की अपेक्षा रखते है।)
समाधान-
आप ने अपनी समस्या में बहुत कुछ लिखा है लेकिन काम की बात नहीं लिखी है। आप ने न्यायालय के निर्णय का उल्लेख किया है। लेकिन यह नहीं लिखा कि मुकदमा किस बात का था? और किस न्यायालय का था? आप ने बँटवारे का उल्लेख किया है तो बँटवारे का मुकदमा किसी एक पक्षकार के उपस्थित न होने से एक तरफा हो सकता है लेकिन बँटवारे में हर व्यक्ति को उस का हिस्सा जरूर मिलेगा।
यदि बँटवारे के संबंध में कोई निर्णय हुआ है और आप की पत्नी के विरुद्ध एक तरफा हुआ है, जब कि आप की पत्नी को कभी समन की तामील नहीं हुई। वैसी स्थिति में आप उस निर्णय को अपास्त करवा सकते हैं। निर्णय अपास्त होने पर वह मुकदमा पुनर्जीवित हो जाएगा। बँटवारा दुबारा होगा। तब आप शिकायत कर सकते हैं कि जायदाद का एक हिस्सा परिवार के कुछ लोग बेच चुके हैं। वैसी स्थिति में बेचा हुआ हिस्सा बेचने वालों के हिस्से में माना जा कर आप की पत्नी को उस का हिस्सा प्राप्त हो सकता है।
बिना आप के दस्तावजों का अध्ययन किए और अन्य जरूरी दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपियाँ प्राप्त कर उन का अध्ययन किए बिना आप के मामले में किसी स्पष्ट निर्णय पर नहीं पहुँचा जा सकता है। इस कारण आप को आप के पास के वर्तमान दस्तावेज ले कर जहाँ उक्त संपत्ति स्थित है वहाँ के किसी वकील से मिल कर सलाह करना चाहिए। उस की सलाह के अनुसार आवश्यक रिकार्ड की प्रतिलिपियाँ प्राप्त करनी चाहिए और फिर वकील की सलाह के अनुसार आगे की कार्यवाही करनी चाहिए।
सर इससे सिखने को काफी मिलता है
नीस
कृप्या आप लोग मुझे ये बताये की मै सदस्यता कैसे लू क्यो कि मैने जब सदस्या ली तो मेरे पास कोई पासर्वड नही आया
मेरे पिता जी की दो शादी हुई थी पहली पत्नी ५ साल के बाद छोड़ कर चली गई और उसने दूसरी शादी करली उसी समय में उसने एक फर्जी बसियत बनाई उस समय मेरे बाबा की मृत्यु हो चुकी थी बाबा के नाम की बसियत में लिखा कि मेरे ससुर ने पूरी जायजात १/३ एक तिहाई का अपने नाम २/३ मेरे पिता का लिख लिया और दो फर्जी गवाह भी बना लिए १९८० क़ी बसियत बनाई गई जिस समय बाबा जिन्दा थे बाबा क़ी मृत्यु के बाद उसने अपना नाम भी चढ़वा लिया पिता जी ओब्जेक्सन किया केस तहसील चला में चलाता रहा और केस हार गए फिर एस.डी.एम कोर्ट में चला जीतने के बाद भी खेत को उस महिला ने बेच दिया केस चलता रहा यह खेत रामवीर को बेच गया और रामवीर ने भी दाखिला ख़ारिज करा ली उसके बाद पिताजी ने केस को ट्रांसफर करवा लिया वहां पर पिता जी जीत गए फिर भी हमारे को नहीं चढ़ाया गया रामवीर ने भी खेत किताब सिंह को बेच उसने भी दाखिला ख़ारिज करा ली बसियत के गवाहों क़ी गवाही हुई उन्होंने भी बसियत को गलत बताया लेकिन कुछ नहीं हुआ केस हाई कोर्ट तक चला हाई कोर्ट के समय चकबंदी आ गई सारे ऑर्डर रद्द करके चकबंदी में चलने लगा और किताब सिंह क़ी मृत्यु हो गयी मेरे पिता जी ने फिर अपना नाम चढ़ बाने क़ी कोसिस क़ी तो मेरे पिता जी को मरवा दिया आज में केस क़ी रिपोर्ट लिखाने २ माह से ज्यादा समय लगा पुलिस ने किताब के लड़को से ३००००० रुपये लिए थे काफी भागने के बाद ही रिपोर्ट लिखी गई अब में चकबंदी ऑफिस गया तो केश क़ी जानकारी लेकर पहरोकारी क़ी तो पता चला १९८० से चले केस क़ी फायल गायब करा दी गई है जिसमें मेरे फेबर के आदेश थे जिससे में जायजात ले सकता था अब में क्या करू रे दे