भारत में कितने कानून हैं? और कहाँ उपलब्ध हैं?
|भाई, रफीक शेख पूछते हैं कि भारतीय संविधान में कितने कानून हैं? कृपया बताएँ या इस की वेबसाइट बताएँ मैं खुद चैक कर लूंगा।
उत्तर
रफीक शेख जी,
भारत का संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है और यह संख्या में एक ही है। भारत का कोई भी कानून या नियम इस के प्रावधानों के विरुद्ध नहीं हो सकता है। यदि कोई कानून ऐसा हो जो भारत के संविधान के किसी भी प्रावधान के विपरीत हो तो उसे सुप्रीम कोर्ट या किसी भी हाईकोर्ट से निरस्त कराया जा सकता है। संविधान के अतिरिक्त देश में असंख्य कानून बने हुए हैं, जिन की गणना करना संभव नहीं है। देश के लिए सभी कानून हमारी संसद बनाती है। हर कानून में कुछ नियम बनाने की शक्ति सरकार को प्राप्त होती है। सरकार कानून से प्राप्त इस शक्ति के अंतर्गत नियम बनाती है। संसद द्वारा बनाए गए कानून केंद्रीय कानून कहे जाते हैं। इस के अलावा प्रत्येक राज्य की विधान सभा को भी कानून बनाने का अधिकार है। किसी भी राज्य की विधान सभा द्वारा बनाए गए कानून उस विधान सभा से संबंधित राज्य में प्रभावी होते हैं। राज्यों के इन कानूनों के अंतर्गत भी नियम बनाने की शक्ति संबंधित राज्य सरकारों को होती है। इस के अतिरिक्त कुछ कानूनों में कुछ विशिष्ठ संस्थाओं को कानून बनाने की शक्ति भी दी गई है, जैसे नगर निगम, पंचायतें, विश्वविद्यालय, कानून द्वारा स्थापित निगम आदि अपने नियम बना सकते हैं।
इस तरह देश में प्रचलित कानूनों की संख्या बहुत अधिक है और इन्हें तभी गिन पाना संभव है जब की केंद्र सरकार और राज्यों के सभी कानूनों की सूचियाँ उपलब्ध हों।
यदि एक ही विषय पर संसद और विधान सभा दोनों ही कानून बना दे तो बहुत विचित्र स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस के लिए हमारे संविधान में तीन सूचियाँ दी गई हैं। प्रथम संघ सूची है जिस में शामिल विषयों पर संसद कानून बना सकती है। दूसरी राज्यों की सूची है जिस के विषयों पर विधान सभाएँ कानून बना सकती हैं। तीसरी एक समवर्ती सूची है जिस पर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाएँ दोनों कानून बना सकती हैं। समवर्ती सूची के विषयो पर संसद और विधानसभा द्वारा बनाए गए कानूनों में मतभेद होने की स्थिति में संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा।
जहाँ तक कानूनों के लिए वेब साइट का प्रश्न है तो आप इस ब्लाग के बाएँ साइड कॉलम में देखें जहाँ लिखा है ‘शायद आप यहाँ जाना चाहें’ उस में एक सूची दी हुई है। आप इस में सब से ऊपर केन्द्रीय कानून पर चटका लगाएँगे तो इंडिया कोड की वेबसाइट का पृष्ट खुल जाएगा। इस पृष्ठ पर बाएँ कॉलम में साइट लिंक दिए हुए हैं वहाँ केन्द्रीय कानूनों की कालानुसार और नामवर्णानुसार सूची दी हुई है। उसे क्लिक करने पर इन सूचियों को डाउनलोड करने का संदेश मिलेगा। जहाँ से आप ये सूचियाँ डाउनलोड कर सकते हैं। यदि आप कोई विशेष कानून पढ़ना चाहते हैं तो उस कानून का
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6 Comments
I’d come to play ball with you one this subject. Which is not something I typically do! I enjoy reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to speak my mind!
I’d have to agree with you on this. Which is not something I usually do! I enjoy reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!
एक बुकमार्क करके रखने/सहेजने वाली पोस्ट….
अजय कुमार झा
मुझे तो नही लगता हमारे देश मै कोई कानून है, नही तो यह अपराधी हम जेसे गरीबो का खुन हमारी छाती पर बेठ कर सरे आम ना पीते, हमारी बहैन बेटियो की इज्जत इस तरह सरे आम ना लुटती, नेता सेवक होता हमारा मालिक ना बनता अगर कोई कानून होता मेरे इस देश मै.
आप ने लेख मै बहुत सी बाते समझाई धन्यवाद
अफसोसजनक स्थिति
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इस सुन्दर ईमारत को देखकर विश्वास नहीं होता की इसके अन्दर नीकृष्टतम दलालों और अनपढ़ अपराधियों का सूअरबाड़ा है.
राज्य सरकारों की कानूनों को वेब साइट्स पर उपलब्ध कराने में रुचि ही नहीं है।
अफसोसजनक स्थिति
बी एस पाबला