मान हानि के लिए कानूनी कार्यवाही करने की अवधि सीमा।
|समस्या-
बागपत, उत्तर प्रदेश से बीजेन्द्र कुमार ने पूछा है –
मेरे गाँव की ही एक औरत ने मेरे बड़े भाई पर बलात्कार का झूठा केस लगा दिया था। इस केस में पुलिस भाई को थाने ले गयी। केस को झूठा पा कर गाँव के बहुत से व्यक्तियों ने थाने में जाकर झूठे केस की बात बताई तब जाकर केस का निपटारा हुआ। अगर गाँव के लोगो का साथ न मिलता तो मेरे भाई को बलात्कार के केस में सजा हो गए होती। यह घटना दिनांक 26.04.2009 की है। मेरे भाई बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं। तब से लेकर अब तक वे इस केस से बेइज्जती महसूस करते हैं और परेशान रहते हैं। क्या हम उस औरत के खिलाफ हम कुछ कर सकते है?
समाधान –
उस औरत ने मिथ्या आरोप लगा कर पुलिस में रिपोर्ट कराई और आप के भाई को मिथ्या आरोप में अभियोजित कराने की कोशिश कर के उन की मानहानि की है। इस तरह मानहानि करना भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के अंतर्गत अपराध है और यह अपराध धारा 500 के अंतर्गत दो वर्ष के साधारण कारावास और जुर्माने या दोनों से दंडनीय है। लेकिन इस अपराध के अंतर्गत अपराध घटित होने से तीन वर्ष की अवधि में परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत करना जरूरी है। आप के भाई के इस मामले में तीन वर्ष की अवधि 26.04.2012 को समाप्त हो चुकी है। इस कारण से इस मामले में परिवाद प्रस्तुत किया जाएगा तो वह निर्धारित अवधि में प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण निरस्त कर दिया जाएगा।
इस तरह के मामलों में सम्मान की क्षति के लिए क्षतिपूर्ति हेतु दीवानी वाद भी प्रस्तुत किया जा सकता है लेकिन उस के लिए वाद प्रस्तुत करने की अवधि वाद कारण उत्पन्न होने के एक वर्ष तक की ही है। इस कारण दीवानी वाद भी आप के भाई प्रस्तुत नहीं कर सकते। इतना समय व्यतीत हो जाने के कारण आप के भाई उस औरत के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकते। उन्हें मान लेना चाहिए कि समय निकलने के साथ ही उस औरत को उस के अपराध के लिए आप के भाई ने क्षमा कर दिया है।
मेरा उत्तर सर नहीं मिला
सारण जिला ग्रा =औदालपट्टी पोस्ट नागरा मेरे घर में आग लगा दिया जिसका आवेदन हमारे पिता जी के दवारा दिया गया जिस दिन आवेदन दिया उसी दिन मेरे ऊपर पुलिस के सामने मुझे केस ना करने के लिए दवाव बनाया गया धमकी दिया गया हम नहीं मने तो अगले दिन जाकर उस दिन की तारीख में केस कर दिया गया जिसमे मैंने कुछ वीडियो बनाया जो हमने पुलिस को दिया घटना के 7 महीने तक कुछ नहीं हुआ पुलिस बोलती होगा बात कानेने
जव हैम बेल दाखिल किये तो पुलिस बोली मंटु के ऊपर झूठा केस कीया गया है आग लगाने वाले के खिलाफ साबुत मिला की आग लगाया है पुलिस कौर्ट को सही जानकारी नहीं दे रही आग लगाने वाले को बचा रही है गवाह को भी धमकाया गया काया करू
सर एक बहुत ही जरूरी आलेख जिसकी टाइमिंग बहुत ही कमाल की रही है । रमेश निर्भीक जी की जिज्ञासा भी शांत करिए । वैसे मेरे विचार में मानहानित वाद दायर करने के लिए समयावधि उस दिन से निर्धारित की जाएगी जिस दिन से आरोपी को पूरी तरह दोषमुक्त कर दिया जाए
अजय कुमार झा का पिछला आलेख है:–.बेटा डोइचेवैले ! पटना, दिल्ली , नखलऊ होते तो ………ढिच्क्याउं , ढुम ढुम ढुम
गुरुदेव जी, यदि उपरोक्त विवाद अदालत में चलता और फैसला होने में कोई भी अवधि लगती तो भी मान हानि का केस डालने की अवधि तीन साल ही रहती. जैसे २००९ में केस दर्ज हुआ और २०१४ में फैसला आता कि उपरोक्त केस झूठा था. तब क्या होता ? आपकी ही किसी पोस्ट में पढ़ा था कि मानहानि का केस अपराधिक विवाद का निपटारा होने पर ही किया जा सकता है. थोडा स्थिति स्पष्ट करें.
रमेश कुमार निर्भीक का पिछला आलेख है:–.रूपये के प्रतीक चिह्न पर खेला गया खेल (नया घोटला)
रमेश कुमार निर्भीक: जी अदालत के निर्णय में निर्दोस होने के बाद से ३ साल तक कर सकते हैं