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मौखिक मानहानि के मुकदमे में सबूतों और गवाहों का महत्व

समस्या –

सुमैधा गौड़ ने जगजीतपुर, कनखल हरिद्वार, उत्तराखंड से पूछा है –

मैं एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका हूं। मेरी शिक्षक साथी ने मेरे बारे में अनर्गल असत्य बातें अन्य लोगों के सम्मुख फैलायी। पता चलने पर मैंने उनसे बात की तो किसी दूसरे व्यक्ति का नाम लेकर माफी मांग ली। लेकिन यह उनके दिमाग का ही खेल था। उसने इतनी घटिया हरकत की कि हमारे पुरूष अध्यापक भाई के घर उनकी पत्नी को मेरे गलत आचरण के आरोप लगाते हुए उन्हें फोन किया। वो तो अच्छा है कि वह मेरी पड़ोसी हैं और मुझे बहुत अच्छे से जानती हैं। बात करने पर वह एकदम मुकर गई और बोली मैंने उन्हें ऐसा फोन किया ही नहीं है। लेकिन मैं बहुत आहत हूं कि उसने बिना सोचे समझे मेरे आचरण पर उंगली उठाई है, मैं नहीं जानती कि वह ऐसा क्यों करती है। मैं जानना चाहती हूं कि मैं उसके विरुद्ध किस तरह की कानूनी कार्रवाई कर सकती हूँ?

समाधान –

आप के विरुद्ध किया गया अपमानजनक कथा फैलाने का यह कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में परिभाषित है और धारा 500 के अंतर्गत दो वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडनीय है। इस के लिए आप उन शिक्षक साथी के विरुद्ध अभियोजन संस्थित कर उन्हें दंडित करवा सकती हैं। इस के अलावा आप मानहानि का दीवानी वाद प्रस्तुत कर अपनी मानहानि के लिए क्षतिपूर्ति की मांग भी कर सकती हैं।

लेकिन उस के लिए सब से पहले यह जरूरी है कि आप के पास ऐसे सबूत और गवाह हों जो यह साबित कर सकें कि आप की शिक्षक साथी ने इस तरह की बातें कुछ लोगों को कही हैं, अर्थात जिन्हें उन्हों ने यह कहा है वे गवाह के रूप में यह सब कहने को तैयार हों कि उन महिला ने आप के बारे में अपमानजनक बातें उन से कही हैं। यह भी जरूरी है कि जब कोर्ट में सुनवाई हो तो वे ऐसा बयान कोर्ट में देने से इन्कार न कर दें। दूसरे आप पुरुष अध्यापक की पत्नी गवाही दें कि उन्हें फोन पर ऐसी बात कही गयी थी। फोन डिटेल्स निकलवा ली जाए जिस से यह साबित हो कि फोन किया गया था। यदि आप के पास फोन डिटेल्स और एक दो गवाह भी हों तो आप इस मामले में आगे बढ़ सकती हैं।

हमारे समाज का दिमाग पुंसवादी तरीके से काम करता है। वह सोचता है कि यदि किसी स्त्री के बारे में कोई अपमानजनक अभद्र बात की गयी है तो उस स्त्री को चुप रहना चाहिए जिस से उस की बदनामी और आगे न फैले। ऐसी मानसिकता के लोग अपमानजनक बात फैलाने के आधार पर मुकदमा कर दिए जाने पर जो अभियुक्त होता है उस के लिए यह भी सोचने लगते हैं कि बेचारे को सजा हो जाएगी, नतीजे के रूप में उससे सहानुभूति प्रकट करने लगते हैं और एक अच्छा खासा गवाह भी अदालत में गवाही देने से मुकर जाता है। वैसी स्थिति में गवाह को बिलकुल पक्का कर लें।

यदि ऐसा है तो किसी स्थानीय वकील से संपर्क कर के इस मामले में एक लीगल नोटिस दिलवाएँ, जिस में उनसे जवाब मांगा जाए कि क्यों न उनके विरुद्ध अपराधिक मामला संस्थित किया जाए और हर्जाने के लिए दावा किया जाए। हर्जाने की राशि भी इस नोटिस में अंकित हो। नोटिस की अवधि समाप्त हो जाने पर आप मजिस्ट्रेट के सन्मुख अपराधिक परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं और समानान्तर रूप से दीवानी न्यायालय में क्षतिपूर्ति के लिए भी वाद संस्थित कर सकती हैं।

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