मेयर न्यायालय और सपरिषद गवर्नर के बीच आपसी विवाद और टकराव : भारत में विधि का इतिहास-24
|तीनों प्रेसिडेंसियों में मेयर न्यायालय की अपील का अधिकार सपरिषद गवर्नर को दिए जाने से न्यायिक व्यवस्था पर कार्यपालिका का नियंत्रण स्थापित हो गया था और दोनों के मध्य मतभेद पनपने लगे थे। इस से विभिन्न प्रेसिडेंसियों में दोनों के मध्य टकराव और संबंधों में कटुता के बहुत से विवादास्पद मामले सामने आए …
- शपथ पर विवाद- मद्रास मेयर न्यायालय में गवाहों को शपथ दिलाने पर ही विवाद खड़ा हो गया। हिन्दू गवाहों को पेगोडा की शपथ ग्रहण करने के लिए कहा जाता था। एक गुजराती व्यापारी के पेगोडा की शपथ लेने से इन्कार कर देने पर उस पर जुर्माना अधिरोपित कर दिया गया मामले की अपील सपरिषद गवर्नर को करने पर जुर्माना माफ कर दिया गया। 1736 में तो गाय के स्थान पर पैगोडा की शपथ लेने से इन्कार करने पर दो हिन्दुओं को जेल भेज दिया गया। इस से हिन्दुओं में रोष व्याप्त हो जाने और नगर की शांति व्यवस्था को खतरा होने पर गवर्नर ने स्वयं हस्तक्षेप कर बंदियों को पैरोल पर छोड़ा।
- धर्म परिवर्तन का मामला- 1730 में मुम्बई में एक सिन्धी महिला द्वारा ईसाई धर्म ग्रहण कर लेने के कारण उस ेक 12 वर्षीय पुत्र ने माता को छोड़ कर अपने संबंधियों के यहाँ रहना आरंभ कर दिया। माता ने शरण देने वाले संबंधियों के विरुद्ध पुत्र को अवांछित रीति से निरुद्ध करने और उस के आभूषण अवैध रूप से रखने का वाद संस्थित किया। मेयर न्यायालय ने पुत्र को माता को सौंपने का आदेश दिया। अपील करने पर सपरिषद गवर्नर ने कहा कि मेयर न्यायालय धार्मिक रीति के मामलों और देशज व्यक्तियों के मामलों में मेयर न्यायालय को अधिकारिता न होने का निर्णय पारित कर दिया और न्यायालय को चेतावनी जारी की कि उसे ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। न्यायालय ने गवर्नर का विरोध करते हुए कहा कि मामला धार्मिक और 1726 के चार्टर के प्राधिकार से न्यायालय इस तरह के मामले निपटाने के लिए सक्षम है। मेयर ने घोषित किया कि जब तक वह न्यायालय का प्रमुख रहेगा ऐसे मामले निपटाता रहेगा और न्यायालय के अधिकार की रक्षा करेगा। वह किंग इन काउंसिल तक जाने में संकोच नहीं करेगा। गवर्नर कोबाल ने मेयर को गवर्नर परिषद के सचिव पद से हटा दिया। सूचना कंपनी के निदेशक मंडल को इंग्लेंड में मिली तो उन्हों ने परिषद के अविवेकपूर्ण रवैये की भर्त्सना की और भविष्य में ऐसी तनावपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न न होने देने का आदेश दिया।
- अरब व्यापारी का मामला-एक अन्य मामले में एक अरब व्यापारी ने अपने मोतियों की कीमत दिलाए जाने के लिए मेयर न्यायालय के समक्ष वाद प्रस्तुत किया। उस का कहना था कि गुजरात के तट पर उसे जलती हुई नौका से बचाने के समय प्रतिवादी ने उस के मोती लूट लिए। सपरिषद गवर्नर ने न्यायालय को सलाह दी कि प्रतिवादी पहले ही जलदस्युता के मामले में निरपराध साबित हो चुका है इस कारण से वाद मान्य नहीं है। न्यायालय ने परामर्श को न मान कर व्यापारी के पक्ष में निर्णय दे दिया। अपील किए जाने पर न्यायालय का निर्णय सपरिषद गवर्नर ने उलट दिया। इस से न्यायालय और सपरिषद गवर्नर के मतभेद तीव्र हो गए।
- मेयर और सचिव टेरियानों का मामला- मद्रास सरकार के सचिव टेरियानो और मेयर नाएश के बीच एक रात्रि भोज में शर्त लगी, जिस में मेयर हार गया लेकिन उस ने शर्त की राशि देने से मना कर दिया। इस पर टेरियन
More from my site
4 Comments
It’s a joy to find soneome who can think like that
बहुत रुचिकर एवं हैरतअंगेज उदहारण !
आप कहां कहा से ऎसे मामले ढुढ कर लाते है, बहुत अच्छा लगा इस लेख को पढ कर, धन्यवाद
अच्छी जानकारी दे रहे हैं आप