राहत प्राप्त करनी है तो रिट याचिका तो करनी होगी।
|समस्या-
राहुल कुमार प्रजापति ने चिल्काडांड बस्ती पोस्ट- शक्तिनगर, जिला- सोनभद्र, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
एनटीपीसी लिमिटेड के सिंगरौली परियोजना की स्थापना के समय मेरे पिता श्री भोला पुत्र दलजीत के नाम से मकान व जमीन अधिगृहीत किया गया जिसके एवज मे पिता जी को नौकरी भी दी गयी लेकिन आवासीय प्लॉट नहीं मिला। प्रार्थी ने एनटीपीसी से प्लॉट मांगा और जिलाधिकारी से भी प्लॉट आवंटन के लिए आवेदन किया परंतु उप जिलाधिकारी द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 29/07/2016 को पारित आदेश का हवाला देकर कहा जा रहा है कि आप उच्च न्यायालय मे अपनी रिट दाखिल कर अनुतोष प्राप्त करें। प्रार्थी बहुत ही असहाय और आर्थिक स्थिति से कमजोर है जिस कारण उच्च न्यायालय मे अपनी पृथक रिट याचिका दाखिल नहीं कर सकता। कृपया समाधान बताएँ।.
समाधान-
आप ने यह नहीं बताया कि उच्चतम न्यायालय का दिनांक 29-07.2016 का निर्णय या आदेश क्या है। फिर भी न्यायालय से बिना मांगे तो वह कोई राहत प्रदान नहीं करेगा। आप को किसी भी प्रकार से रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष अवश्य प्रस्तुत करनी चाहिए।
आप की समस्या आर्थिक है तो रिट में कोई बड़ी शुल्क नहीं लगती। केवल खर्चा और वकील की फीस है। यदि आप एक कमजोर आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति हैं तो उच्च न्यायालय में स्थापित विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन दें। वे आप के वकील की फीस अदा कर देंगे और आप को मुकदमे का खर्च भी देंगे। कुछ तो आप भी खर्च कर ही सकते हैं। यह समझ लें कि आप को रिट करनी ही होगी उस के बिना आप को राहत नहीं मिल पाएगी।
सर, मेरे प्रश्न का हल अभी तक प्रकाशित नहीं किया हुआ है.. ४० दिन से ज्यादा का समय व्यतीत हो गया. आप कहे तो में अपनी समस्या पुनः भेजु ?
mere father ne apni pathrik properties hindu section 8 ,class 1 ke tehet mere naam kar di lekin ab woh ish properties ko mere bhai ke behkave mein aa kar return karvana chateh h kya kanoon asa ho saktha h
mene 22 octber mein bhi question kiya tha
सर में आप से पहले सलाह ले चुकी हु और मेने अपने पिता की पुश्तेनी जमीन पे दावा किया तब से मेरे दावे को कमजोर करने की कोसिस की गयी हे
सर मेरी अंधी और बूढी माँ के बाल काट दिए क्यों की वो मेरा पक्छ लेती हे
सर १९९७ इ मे मेरे भाई ने केवल अपना नाम खाता में जुड़ा लिया और हमे पूछा तक नहीं
हम ने केस करने के बाद स्टे लगा और स्टे लगने के ९ दिन बाद उन्होंने धोखे से मेरी अंधी माँ का हक़ त्याग करवा लिया वो बी पूरी जमीन का बिना मेरी या मेरी माँ की जानकारी के और स्टे बी लगा था
और मेने 1 और नया केस कोर्ट में करा जो ४२० का था जिसमे १९९७ की और अब हक़ त्याग की ४२० का जिक्र था कोर्ट ने जाँच के Ieye केस को पुलिस थाना में भेज दिया और पुलिस ने सारे सबूत होने के बाद भी ६ महीने में केस के फर लगा के बंद कर दिया
अब में क्या कर सर जमीन पे तोई २ २ स्टे लगाए हे मेने
मेने सोचा २- २ ४२० एयर पलिस के दबाव में मेरा काम हो जायेगा लेकिन उनलोगों ने केस को ख़ारिज करवा दिया मेरे पास पुरे सबूत हे उनकी ४२० के अब बताय में क्या कर क्या ये धोखेबाजी कोर्ट मान सकता हे उनकी
बहुत ही सटीक ……. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!! 🙂 🙂