लाभकारी शत्रुतापूर्ण व्यवहार
|“एक कुशल न्यायिक व्यवस्था के लिए यह जरूरी है कि बार (वकीलों की जमात) भी मजबूत और कुशल हो। एक ऐसी बार जो कि दिखने में न केवल स्वावलंबी और निर्भय हो और पूरे आदर के साथ मामले के विवादित बिंदुओं को मजबूती से अदालत के सामने पेश करे। चापलूसों की तरह न्यायाधीशों की हाँ में हाँ मिलाने वाली बार एक गलती करने वाले जज की गलतियों में ही वृद्धि करती है। जजों को मस्का लगाना उन्हें न्याय के उचित और सही मार्ग से सदैव विचलित कर देता है। अपनी सोच के विपरीत तथ्यों को मजबूती से रखे जाने पर एक जज मामले पर गंभीरता से विचार करने को बाध्य हो जाता है और एक सही निर्णय पर पहुँचता है। एक कमजोर बार न्याय प्रशासन की सब से बड़ी शत्रु है। एक हावी होने वाले जज के लिए एक कमजोर वकील न तो उस के पेशे के लिए ही ‘रत्न’ है और न ही न्याय प्रणाली के लिए। वास्तव में एक कमजोर और हाँ में हाँ मिलाने वाला वकील एक जज के विकास में सब से बड़ी बाधा है।
शत्रु की तरह व्यवहार करने वाला मजबूत वकील अच्छे कैरियर के महत्वाकांक्षी जज के लिए सब से अधिक लाभकारी है। वकीलों के मजबूत और नए तर्कों का सामना करते हुए ही एक अच्छे जज का निर्माण होता है। एक पुराने ढर्रे पर चलने वाली बार एक बुरी न्यायपालिका के लिए जिम्मेदार होती है। जज और वकील दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। न्याय व्यवस्था की ये दोनों भुजाएं एक साथ बराबरी के साथ विकास करनी चाहिए। दोनों एक दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए एक दूसरे से सीखते हुए आगे बढ़ते हैं तो एक स्वतंत्र और मजबूत न्याय प्रणाली विकसित होती है। अच्छे जज अच्छी आलोचना को सहृदयता के साथ स्वीकार करते हैं और अच्छे वकील हमेशा जजों को गलती करने से रोकते हैं।”
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3 Comments
एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुये वटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?
सार्थक आलेख.
आपके लेख में व्यक्त विचारों से पूरी तरह से सहमत हूँ. जज और वकील दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.