DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

न्यायाधीश और अधिवक्ताओं के पूर्वाग्रह न्यायिक निर्णयों को प्रभावित करते हैं।

Justice K Hemaकेरल उच्च न्यायालय की निवर्तमान न्यायाधीश के. हेमा ने उन की सेवा निवृत्ति पर आयोजित समारोह में अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए। अत्यन्त महत्वपूर्ण तथ्य को उजागर किया जिसे सब जानते हैं लेकिन जिस पर खुल कर बात नहीं करते। उन्हों ने कहा कि न्यायाधीश और अधिवक्ता पूर्वाग्रह युक्त होते हैं और उन का यह पूर्वाग्रह न्यायिक निर्णयों को प्रभावित करता है। पूर्वाग्रह सभी इंसानों में मौजूद रहता है। न्यायाधीश और अधिवक्ता भी इन्सान हैं। कोई इंसान नहीं जो पूर्वाग्रहों से मुक्त हो। उन्हों ने कहा कि एक मामले को तीन अलग अलग जजों को निर्णय करने के लिए दिया जाए तो वे तीनों अलग अलग निर्णय देंगे।

न्यायिक प्रणाली में उपस्थित इन पूर्वाग्रहों में कानून की व्याख्या करने वाले पूर्व निर्णयों का अनुसरण करने का पूर्वाग्रह भी शामिल है। अधिवक्ता और न्यायाधीश इस मकड़जाल में बुरी तरह से उलझे हुए हैं। एक बार जब कानून के किसी उपबंध या प्रावधान की पहली या दूसरी बार व्याख्या कर दी जाती है और उस में कोई गलती हो जाती है तो न्यायिक प्रणाली उस गलती का अनुसरण करती है और उस से बड़ी से भी बड़ी गलतियाँ दोहराती चली जाती है।

न निहित पूर्वाग्रहों के कारण अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों से रही गलतियों के कारण न्याय प्रभावित हो रहा है यहँ तक कि एक न्याय करने में सक्षम और ईमानदार जज भी गलतियाँ करने को अभिशप्त होता है।

न्याय को इन पूर्वाग्रहों से मुक्त करने की सख्त की जरूरत है। न्यायमूर्ति हेमा ने कहा कि हमें अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों की मदद से उन तरीकों की खोज करने की सख्त जरूरत है जिन से इन पूर्वाग्रहों की पहचान की जा सके और न्याय प्रणाली को उन से मुक्त किया जा सके। यह कोई आसान काम नहीं है। लेकिन यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो न्यायाधीश और अधिवक्ता न्याय प्रणाली के संरक्षक होने के कारण इस के लिए दोषी होंगे।

Print Friendly, PDF & Email
2 Comments