अतिक्रमी ने बुआई को बिखेर दिया है, स्थाई उपाय क्या है?
|समस्या-
किसी ने हमारी कृषि भूमि पर अतिक्रमण कर रखा था। तहसीलदार द्वारा म.प्र. भू-राजस्व अधिनियम की धारा 250 के अंतर्गत बेदखली का आदेश हुआ और मौके पर कब्जा हमें दिला दिया गया। अतिक्रमी रोज गाली-गलौच करते हैं। हम ने फसल बोई तो उन्हों ने बिखेर दी। तहसीलदार और पुलिस को कहा तो उन्हों ने हमें ही हिम्मत दिखाने को कहा। अतिक्रमणकारी पर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। कोई स्थाई समाधान बताएँ।
-देवेन्द्र चौहान, भोपाल, मध्यप्रदेश
समाधान-
भूमि आप की थी फिर भी उस पर अतिक्रमण किसी अन्य ने कर लिया और वे खेती करते रहे। इस का स्पष्ट अर्थ है कि पहले आप की कमजोरी रही होगी। फिर आप ने मुकदमा किया और जीत गए। सरकार ने अदालत के आदेश से आप को कब्जा दिला दिया। अब वैधानिक रूप से आप का कब्जा है और आप उस भूमि में खेती कर रहे हैं। आप के खेती करने के लिए फसल की बुआई की। जिसे पूर्व अतिक्रमी ने बिखेर दिया। अतिक्रमी समझता है कि आप कमजोर हैं, आप ने अदालत और सरकारी मशीनरी के बल पर कब्जा ले तो लिया है लेकिन खेती कैसे करेंगे? इसी कारण वह आप की खेती में बाधाएँ उत्पन्न कर रहा है और उस ने आप की बुआई को नष्ट कर दिया।
इस तरह किसी दूसरे के खेत में घुस कर बुआई को नष्ट करना अपराध है लेकिन वह इतना गंभीर नहीं कि उस में पुलिस स्वयं कार्यवाही कर सके। वास्तव में अतिक्रमी ने आप की भूमि पर अपराधिक अतिचार का अपराध किया है जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 447 के अंतर्गत तीन माह तक के कारावास और पाँच सौ रुपए तक के अर्थदंड से दंडनीय है, इस के अतिरिक्त उस ने आप की बुआई नष्ट कर के रिष्टि अर्थात किसी संपत्ति का नाश किया है जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 426 के अंतर्गत तीन माह के कारावास और जुर्माने से दंडनीय अपराध है। लेकिन दोनों ही अपराध संज्ञेय अपराध नहीं है और पुलिस इन दोनों अपराधों में कार्यवाही नहीं कर सकती।
इन दोनों ही अपराधों में अतिक्रमी के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए आप को सीधे अपराधिक न्यायालय के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत करना पड़ेगा, अपना तथा गवाहों के बयान कराने पड़ेंगे इस के बाद न्यायालय उस मामले में प्रसंज्ञान ले कर अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा चलाएगा। आप को यह करना ही होगा, इसी से आप का अतिक्रमियों पर दबाव बनेगा। जब तक आप अतिक्रमियों की हर एक हरकत के लिए उन के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करेंगे तब तक वे काबू में नहीं आएंगे। जब वे देखेंगे कि आप उन की हर हरकत के लिए शिकायत करते हैं और कार्यवाही करते हैं और उस से बचना कठिन है तो ही वे शान्त हो कर बैठेंगे।
चूंकि आप भू-स्वामी हैं और वैधानिक रूप से कब्जा भी आप का ही है, इस कारण आप राजस्व न्यायालय में अतिक्रमियों के विरुद्ध इस आशय का स्थाई निषेधाज्ञा का वाद प्रस्तुत करें कि अतिक्रमी आप के द्वारा खेती करने में बाधा उत्पन्न न करें। इसी वाद में अस्थाई निषेधाज्ञा के लिए आवेदन प्रस्तुत करें और अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करें। इस से अतिक्रमियों द्वारा कोई भी बाधा उत्पन्न करने पर आप उन के विरुद्ध निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए कार्यवाही कर सकेंगे और अतिक्रमियों को बाधा उत्पन्न करने के पहले सोचना पड़ेगा।
मेरे साथ भी यही हुआ है जानकारी के लिए धन्यवाद
बहुत अच्छी जानकारी है आप इसके लिए बधाइ के पात्र है
अपके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद