अपनी गलती स्वीकार कर के पत्नी में विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करें
|समस्या-
नारायण प्रसाद सोनी, वापी, गुजरात से पूछते हैं-
मेरी शादी अप्रेल 2013 में हुई। हम पति पत्नी के बीच कभी कोई विवाद नहीं था। लेकिन जब भी पत्नी के पिताजी का फोन आता तो उनकी बातों में आलतू-फालतू बोलने लगती (इस दौरान मैं वापी में और वो फरीदाबाद मेरे माता-पिता के पास रहती थी)। उसके बाद वह जून में मेरे पास वापी आ गयी (मेरी माताजी भी उसके साथ थीं) यहाँ पर सब ठीक था। इस दौरान मुझे उस पे शक हुआ कि उसके पिताजी उसको भड़काते हैं तो मैं ने उनकी बातें रेकॉर्ड करनी शुरू कर दीं। जिस में वह उनको पहले तो सब ठीक ठाक बोलती है कि मैं यहाँ खुश हूँ, मुझे इनसे कोई शिकायत नहीं। लेकिन मेरी सास यहीं पर है कुछ दिनों के बाद चली जाएगी। फिर उन दोनों की कुछ बातें मेरी माताजी के खिलाफ थीं। एक दिन उसको पता चल गया कि उनकी बातें रेकॉर्ड होती हैं तो उस ने कुछ बातें डीलिट कर दीं। फिर वो मायके चली गयी। वहाँ उसके पिताजी ने उसको हम लोगों के खिलाफ भड़का दिया और बात डाइवोर्स तक आ पहुँची। लेकिन मेरी तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं है। उसके पिताजी मुझे गालियाँ निकालते हैं, मेरे खानदान के बारे में फालतू बोलते हैं। मुझे नामर्द ओर उग्रवादी बोलते हैं और मुझे धमकियाँ देते है कि मैं बहुत बड़ा नुकसान कर दूँगा ओर उस नुकसान का नाम नहीं बता रहा हूँ। अभी मैं उसको लेने गया तो उन लोगों ने मुझे मार-पीट कर निकाल दिया और बोला कि तुम लोगों के खिलाफ रिपोर्ट करा दूंगा और दहेज के झूठे मुक़दमे में फँसा दूंगा। यह भी कहा कि हम अपनी बेटी को नहीं ले जाने देंगे। हमने 6.50 लाख शादी में लगाए हैं तुम लोग 5 लाख दे दो और तलाक करवा दो।
समाधान-
मित्र, आप ने अपने विवाह की तिथि अप्रेल 2013 अंकित कर दी है। यह सही नहीं है। हो सकता है यह तिथि 2011 हो या फिर 2012 हो। यदि यह 2012 है तो अभी तलाक का आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना संभव नहीं है। हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह विच्छेद के लिए कोई भी आवेदन विवाह की तिथि के एक वर्ष के उपरान्त ही प्रस्तुत किया जा सकता है। हाँ, यदि विवाह 2011 अप्रेल में हुआ है तो विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। यहाँ बात सहमति से विवाह विच्छेद की है। सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत होने पर भी आवेदन प्रस्तुत होने की तिथि के छह माह की अवधि व्यतीत हो जाने के उपरान्त ही विवाह विच्छेद की डिक्री पारित हो सकती है। इस का अर्थ यह है कि यदि आज कोई सहमति बन भी जाए और आवेदन प्रस्तुत कर भी दिया जाए तब भी दोनों पक्षों को सोचने के लिए छह माह की अवधि है।
विवाह होते ही पत्नी और पति के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं होता है। एक तो दोनों लगभग अपरिचित होते हैं और दोनों को एक दूसरे को पहचानने में समय लगता है। जहाँ परिवार के लोग साथ होते हैं वहाँ उन के बारे में भी कोई जानकारी नहीं होती है। फिर सास-बहू के बीच सामंजस्य बिरले ही होता है। सास समझती है कि उस के पास अधिकार ही अधिकार हैं, बहू समझती है कि उस का क्या कोई अधिकार ही नहीं। ऐसे में एक दूसरे को ले कर जो संदेह का वातावरण तैयार होता है वहाँ हमेशा पति की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उस का काम होता है पत्नी को विश्वास दिलाना कि वह उस से प्रेम करता है और हर संभव संकट में उस का साथ देगा। हालाँकि यह विश्वास आसानी से नहीं बनता है। उस में भी समय लगता है।
आप ने उस विश्वास को बनाने के स्थान पर अपनी पत्नी और उस के पिता की बात को रिकार्ड कर के तोड़ दिया है। यह विश्वास जो बना ही नहीं था या जितना बना था वह टूट चुका है। आप का यह कृत्य अच्छा नहीं कहा जा सकता। आगे उस विश्वास के बनने में एक बड़ी रुकावट आप ने स्वयं पैदा कर दी है। आप की पत्नी के पिता निश्चित रूप से इस व्यवहार से खफा हैं, और होना भी चाहिए। आप का विवाह हुए दिन ही कितने हुए हैं? अभी आप अपने माता-पिता पर अधिक विश्वास करते हैं तो आप की पत्नी उस के माता-पिता पर। एक पिता अपनी पुत्री को यूँ ही किसी अपरिचित व्यक्ति के साथ नहीं ब्याह देता है। जब उस की आशाओं पर तुषारापात होता है तो वह गालियाँ भी देता है और गुस्सा भी करता है। उन के इस व्यवहार को आप को क्षमा कर देना चाहिए। आप ने भी आप के साथ ससुराल में हुई मारपीट की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। इस का अर्थ यह है कि आप भी उन के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं चाहते थे।
अब आप यदि इस विवाह संबंध का बनाए रखना चाहते हैं तो निश्चित रूप से पहले तो आप को रिकार्डिंग की अपनी गलती पत्नी और उन के पिता के सामने स्वीकारनी पड़ेगी। साथ ही पत्नी को विश्वास दिलाना होगा कि यह गलती दुहराई नहीं जाएगी। यह राह आसान नहीं है। आप की पत्नी मायके में है और संभवतः उस के और आप के बीच कोई संवाद नहीं है। इसलिए आप को आपसी संवाद की राह बनानी होगी। जब संवाद स्थापित हो जाए तब आप पत्नी को विश्वस्त करने की ओर आगे बढ़ सकते हैं। आप के द्वारा गलती स्वीकार कर लेने के बाद हो सकता है आप के ससुर का पारा भी नीचे उतर आए। हो सकता है यह शर्त भी रखी जाए कि आप की पत्नी आप के साथ रहेगी और आप की माँ भी आप के साथ नहीं रहेगी। इस शर्त को आरंभिक रूप से स्वीकार कर लेने में कोई बाधा नहीं है। बाद में जब भी पत्नी आपके साथ आ कर रहने लगे और एक दो वर्षों में जब वह पूरी तरह आप पर विश्वास करने लगे तब वह आप की माँ के पास भी जाने को तैयार हो जाएगी और आप की माँ को साथ रखने पर भी।
यदि आप दोनों के बीच बात न बनती दिखे तो आप दोनों लेन-देन की बात तय कर के विवाह विच्छेद पर सहमत भी हो सकते हैं। क्यों कि लड़ाई का मार्ग बहुत कठिन है। आप पर कई मुकदमे हो सकते हैं। आप को पत्नी का खर्च भी देना पड़ सकता है और किसी मुकदमे में जेल भी जाना पड़ सकता है। आप के ससुर ने यदि 6.5 लाख रुपए विवाह में खर्च किए हैं और वे पाँच लाख मांग रहे हैं तो यह उचित लगता है। फिर भी यदि बातचीत की जाए तो शायद 4 लाख तक में बात बन जाए। फिर भी मेरी राय है कि आप को अपनी पत्नी और ससुर को विश्वास में ले कर अपनी पत्नी को साथ रखने का ही उपाय करना चाहिए।
आपने अच्छी सलाह दी है।मुझे लगता है ये हल सही होगा।
nirmla.kapila का पिछला आलेख है:–.गज़ल
Sir, aapke salah se mujhe khushi hui, lekin problem yeh hai ki wo ab mere se bat nahi karna chahti. monday ko meri usse bat hui thi per wo kucchhh bhi sunne ko taiyar nahi hai. maine usse yeh tak bhi kaha ki kucchhh salon bad hum dono k parents jab nahi rahenge tab hum dono hi ek dusre k kam aayenge, abhi ye log jo tamasha dekh rahe hai wo sab side me ho jayenge.
abhi main aapse ye janana chahta hun ki agar main use wapas lane ka notice du to kya ho sakta hai. kya wo log bhi mere khilaf dahej or domestic violence ka case kar sakte hai. agar aisa hai to kya unhe ye sabit karna hoga? mujhe nahi lagta ki wo ye sabit kar payenge kyon ki mere pas uske maa ki, uske mamaji ki, uske do or rishtedaron ki recording hai jisme wo kahte hai ki hum logon ne dahej nahi manga. ( kya ye recording kam aa payegi ). or mere or mere pariwar ke khilaf kya bura ho sakta hai.
PLs help.
आप इस बात को देखे की नारायण प्रसाद सोनी ने जो अपनी शादी की तारिख दी है। वह फर्जी है। अप्रेल 2013 अभी कहाँ है ?
कभी कभी टाइपिंग में प्रश्नकर्ता से भी गलती हो जाती है। समाधान में सब से पहले इसी ओर इशारा कर दिया गया है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.अपनी गलती स्वीकार कर के पत्नी में विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करें
its typing error, April 2012.
main aapka dhyan kucchh or baton ki taraf bhi dilan chahta हूँ जिसमे sabse pahle ye ki ye aadmi aise harkate apne bade bete-beti k sasural main bhi kar chuka hai or wahan se mar kha ke aa chuka hai. ye sab baten meri wife k bade bhai ko bhi malum hai or usko ye bhi pata hai ki galti uske pitaji ki hai lekin wo kuch nahi kar sakta. apne pitaji k kahne per wo bhi main atmahatya kar lunga aisa kah ke apni patni ko dhamka chuka hai.
agar me baten record nahi karta to mujhe un logon ki asliyat kaise pata lagti ki uske bhanje ki sali ne bhi apne pati ko unfit bata kar usse paise le chuke hai.
uske khandan main sabko malum hai ki galti uske pitaji ki hi hai par koi kucchh nahi bolta , aisa lagta hia ki wo aadmi mansik rup se bimar hai.
jab meri patni 1 mahine tak mere pariwar k sath thi to mujhe phone kar k bolta hai ki usko apne pas le aao aapko bhi uski rat ko jarurat padti hogi , aap donio dur rahte ho isliye uske dimag me garmi ho gai hai or wo aapki mataji ko ulte jawab deti hai.
नारायण जी,
आप को सभी बातें एक साथ बतानी चाहिए थीं। जिस से उत्तर में कोई गलती न हो।
फिर भी सारी गलती पत्नी के पिता की है तो उस की सजा पत्नी क्यों भुगते?
आप को अत्यन्त चतुराई से काम लेना चाहिए। आपका काम पत्नी से संवाद के माध्यम से ही हो सकता है। आप अभी अप्रेल २०१३ तक तलाक का मुकदमा नहीं कर सकते। अभी छह माह का समय है। इस समय में आप को अपनी पत्नी के साथ संवाद बनाना चाहिए, उस से प्रेम प्रदर्शित करना चाहिए। एक बार पत्नी और पति में प्रेम उत्पन्न हुआ, आपसी विश्वास बना और सारी समस्याएँ एक तरफ हो जाएंगी। यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो अवश्य करें।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.अपनी गलती स्वीकार कर के पत्नी में विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करें
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