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अपराधिक मुकदमा सीधे अदालत में कैसे दर्ज कराएँ?

समस्या-

मेरे पति के विरुद्ध केवल 125 का मुकदमा चल रहा है। पुलिस 498, 406 आदि का मुकदमा लिखने में आनाकानी कर रही है। मेरे विवाह को 7 वर्ष होने वाले हैं। क्या घरेलू हिंसा व 498 के मुकदमे बिना पुलिस रिपोर्ट के दायर नही किये जा सकते?

– जुही, पीलीभीत (उ.प्र.)

समाधान-

धारा 125 दं.प्र.संहिता का मुकदमा तो कोई भी सीधे न्यायालय में दाखिल कर सकता है। उसी तरह आप आपके साथ हुई घरेलू हिंसा के मामले में अपनी शिकायत सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं इस के अंतर्गत आप घरेलू हिंसा के विरुद्ध आदेश के साथ साथ, निवास और भरण पोषण के लिए धनराशि आदि की मांग कर सकती हैं। और इसमें आप को शीघ्र ही अंतरिम राहत मिल सकती है।

धारा 498 तथा 406 आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धाराएँ हैं जो अपराध के लिए दंड का प्रावधान करती हैं। इसकी शिकायत पुलिस थाना में ही की जानी चाहिए। यदि पुलिस थाना आप का मुकदमा दर्ज करने से या उस में कार्यवाही करने से इंन्कार करता है तो थाने में की गयी शिकायत के साथ साथ थाने की शिकायत एस.पी. को तुरन्त करना चाहिए औ       र उन से त्वरित कार्यवाही करने का अनुरोध करना चाहिए। एस.पी. को की गयी इस शिकायत की रसीद भी आप को प्राप्त करनी चाहिए। आम तौर पर एसपी ऑफिस तुरन्त इस की रसीद देता है। यदि रसीद नहीं मिलती है तो आप को एसपी को शिकायत रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित कर देनी चाहिए और डाक की रसीद अपने पास सुरक्षित रखनी चाहिए।

इतना काम करने पर भी एक-दो दिन में पुलिस कोई कार्यवाही न करे तो तुरन्त इलाके के मजिस्ट्रेट की अदालत में अपना परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वह मामले में जाँच करे, एफआईआर दर्ज करे और अन्वेषण कर नतीजा अदालत के सामने पेश करे।

यदि आप को लगता है कि पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है तो आप अदालत में खुद का और गवाहों के बयान करवा कर तथा सबूत पेश कर के सीधे अदालत से अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा चलाने को भी कह सकते हैं। इस तरह आप कोई भी अपराधिक मुकदमा अदालत में दर्ज करवा सकते हैं।

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