अपराधी अदालतों को अपराध में सहभागी बनाने लगे
|मुझे एक पाठक सुनील ने ई-पत्र में लिखा –
“मैं ने एक व्यक्ति से 25000/-लोन लिया.इस के एवज़ में मैं ने उसे एक खाली स्टाम्प और दो खाली चैक हस्ताक्षर कर के दिए। कुछ दिनों बाद मैं ने उसे 20000/- रुपया चुका दिया जिस की उस ने मुझे अपने हाथ से कच्ची रसीद बना कर दे दी जिस पर उस ने अपने हस्ताक्षर नहीं किए। कुछ समय बाद मैं ने उस को बाकी के पैसे भी लौटा दिए। उस के बाद जब मैं ने उस से अपने दस्तावेज खाली स्टाम्प और खाली चैक मांगे तो उस ने कहा कि मेरे बैंक के लॉकर मे रखे हैं कल आ कर ले लेना। उसी दिन शाम को दो पुलिस वाले मेर घर पर आए और मुझ से कहने लगे कि तुम ने उस व्यक्ति से छह लाख पचास हजार रुपया लिया जो उस को दे दो नहीं तो वह तुम पर केस कर देगा। वह व्यक्ति मेरे दिए हुए खाली चैक और स्टाम्प पर 6,50,000.00 रुपया भर कर और पुलिस का दबाव बना कर मुझ से और पैसे लेना चाहता है। मेरे पास सबूत के तौर पर उस के हाथ की 20,000.00 की रसीद है जिस पर उस ने हस्ताक्षर नहीं कर रखे हैं उस ने मुझे धारा 138 और धारा 420 के अंदर फँसाने की धमकी दे रखी है।
“मैं ने एक व्यक्ति से 25000/-लोन लिया.इस के एवज़ में मैं ने उसे एक खाली स्टाम्प और दो खाली चैक हस्ताक्षर कर के दिए। कुछ दिनों बाद मैं ने उसे 20000/- रुपया चुका दिया जिस की उस ने मुझे अपने हाथ से कच्ची रसीद बना कर दे दी जिस पर उस ने अपने हस्ताक्षर नहीं किए। कुछ समय बाद मैं ने उस को बाकी के पैसे भी लौटा दिए। उस के बाद जब मैं ने उस से अपने दस्तावेज खाली स्टाम्प और खाली चैक मांगे तो उस ने कहा कि मेरे बैंक के लॉकर मे रखे हैं कल आ कर ले लेना। उसी दिन शाम को दो पुलिस वाले मेर घर पर आए और मुझ से कहने लगे कि तुम ने उस व्यक्ति से छह लाख पचास हजार रुपया लिया जो उस को दे दो नहीं तो वह तुम पर केस कर देगा। वह व्यक्ति मेरे दिए हुए खाली चैक और स्टाम्प पर 6,50,000.00 रुपया भर कर और पुलिस का दबाव बना कर मुझ से और पैसे लेना चाहता है। मेरे पास सबूत के तौर पर उस के हाथ की 20,000.00 की रसीद है जिस पर उस ने हस्ताक्षर नहीं कर रखे हैं उस ने मुझे धारा 138 और धारा 420 के अंदर फँसाने की धमकी दे रखी है।
कृपया मुझे सलाह दें कि मैं उस के बिछाए जाल से कैसे बच सकता हूँ?”
इस ई-पत्र से स्पष्ट है कि सुनील जी, एक अपराधिक व्यक्ति के शिकंजे में फँस गए हैं। यह व्यक्ति ऐसे लोगों को जिन्हें अचानक जरूरी कामों के लिए मामूली राशियों की जरूरत होती है, ऋण देता है और उन्हें अपने विश्वास में ले कर उन से खाली चैक हस्ताक्षर करवा कर ले लेता है। जब उसे धन वापस मिल जाता है तो किसी बहाने से चैक लौटाने से मना कर देता है। फिर चैक पर मनमानी राशि भर कर अदालत में चैक प्रस्तुत कर देता है। इस तरह एक अपराधिक व्यक्ति सहज विश्वास का लाभ उठा कर अपराध करता है और उस अपराध को पूरा करने में देश के कानून और अदालत को भी उस में भागीदार बना लेता है। ऐसा इसलिए होता है कि इस कानून में लौंचा है। मैं कानून में मौजूद इस छेद के बारे में पहले भी बता चुका हूँ।
कानून में मौजूद इस छेद के कारण बहुत अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने अब कानून का सहारा ले कर अपराध करना आरंभ कर दिया है। इस तरह के अपराध की मौजूदा स्थिति यह है कि अपराधी सबूतों के सहारे छल करने का अपराध करता है और कानून और अदालत की संरक्षा में अपराध करता है। इस अपराधी को दंडित करने और भले लोगों को इस अपराध से बचाने का कोई साधन अभी न कानून के पास है और न वकीलों के पास वे मौजूदा कानून के दायरे में इस के हल तलाशते हैं। वे केवल मौखिक सबूत पेश कर सकते हैं ,जो कि अपराधी के पास उपलब्ध सबूतों के सामने कमजोर सिद्ध होते हैं।
इस मामले में मैं ने सुनील को सलाह दी कि “आप तुरंत किसी विश्वसनीय और समझदार फौजदारी वकील से मिलें और उस के विरुद्ध धोखाधड़ी और ब्लेक मेलिंग का मुकदमा चलाने के लिए अदालत में शिकायत प्रस्तुत कराएँ। अपने और अपने गवाहों के बयान करवा कर मुकदमा दर्ज कराएँ। आप ने खाली स्टाम्प पर और चैकों पर हस्ताक्षर कर के खुद के हाथ तो काट ही रखे हैं। आप केवल इसी रास्ते से बच सकते हैं। वह भी आप का वकील बहुत ही होशियार हो तो ही। वैसे कर्ज देने वाले से यह सवाल किया जा सकता है कि वह आप को देने के लिए उस दिन 650000.00 रुपया कहाँ से लाया था।
मैं ने उन से यह भी पूछा कि यदि वे बता सकें कि वे कहाँ से, किस प्रांत और शहर से हैं? जिस से यदि संभव हो तो मै
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12 Comments
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बहुत नेक सलाह दीआप ्ने धन्यवाद
जब इंसान की मजबूरी आ जाती है और उसका निजी आदमी उसे कोरा चेक व अन्य कागजात पर साइन करने को कहता है तो उसे आगे पीछे का कुछ नही सूझता है, वह साईन कर देता है । मैने ज्यादातर इस प्र्कार के केस किस्तों मे खरीदी करते वक्त भी देखे है । सामान बेचती तो कम्पनी है लेकिन वसूली लठैत लोग करते है ।
जैसा की आपने कहा यकीनन सुनील जी के लिए इससे निजात पाना अत्यन्त दुष्कर कार्य है। लेकिन इस समस्या का प्रकाशन निश्चित रूप से कुछ लोगो के लिए भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा होने से बचायेगा।
मुझे लगता है कि अदालत मे यदि केवल उस व्यक्ति से यह पूछा जाए कि उस दिन उसके पास 650000 रु. कहाँ से आये तो कुछ हो सकता है ? आगे कानून मालिक । लेकिन यह एक सबक तो है । शरद कोकास
बहुत सुन्दर, मगर मुझे अफ़सोस ऐसे लोगो पर होता है जो खुद अपने लिए परेशानी का सबब बनते है ! जौन सी भी मजबूरी हो यह निहायत बेवकूफी है कि कोई कोरे चेक और स्टांप पर दस्तखत कर के किसी को दे दे !
बिलकुल सही सलाह दी आप ने, ओर इस से कई अन्य लोगो का भला भी होगा.
धन्यवाद
bahबुत अच्छी जानकारी है आपकी ये लोकसेवा सराहनीय है धन्यवाद्
इसके माध्यम से एक बहुत ही जरुरी सलाह प्राप्त हुई. बहुत धन्यवाद आपका.
रामराम.
सही सलाह , इस घटना से यह सबक तो सभी को मिलता है की कोई कितना भी विश्वसनीय क्यों न हो कभी खाली दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए |
सही परामर्श दिया है आपने । आभार ।