आम रास्ते के लिए समर्पित भूमि पर पट्टा नहीं दिया जा सकता।
|समस्या-
हर गोविन्द अग्रवाल ने मुकुन्दगढ़ जिला झुन्झुनु से पूछा है-
देश आजादी से पूर्व संवत 1998 सन 1941 में जागीरदार द्वारा जारी पट्टे में पश्चिम दिशा में आम रास्ते का उल्लेख है जब इस आम रास्ते पर विवाद हुआ तो मामला कोर्ट में चला गयाI अब प्रतिवादी ने आम रास्ते को कोर्ट में स्वीकार कर लिया और कहा कि इस पट्टे के पश्चात इस आम रास्ते के बतत्कालीन जागीरदार ने संवत 1999 एवं 2000 में पट्टे जारी कर दिएI
1. क्या जागीरदार को आम रास्ते के पट्टे जारी करने का अधिकार था ?
2. क्या कोर्ट इन आम रास्ते के पट्टो को वैध मानेगा क्या ?
समाधान-
एक बार जब कोई भूमि आम रास्ते के रूप में आम लोगों को समर्पित कर दी जाती है तो उसे वापस लेना या उसे किसी अन्य काम के लिए आवण्टित करना संभव नहीं है। ऐसा काम तो सरकार भी नहीं कर सकती।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने दिनांक 10.01.2019 को तापसी करणसिंह बनाम परमानन्द व अन्य के मुकदमे में निर्णय पारित करके इस सिद्धान्त को एक बार फिर से पुष्ट किया है।
इस तरह एक बार यह मान लेने पर कि कोई भूमि आम रास्ते के लिए निर्धारित कर दी गयी थी तो उस पर पट्टा देना सम्भव नहीं है। न्यायालय आम रास्ते पर दिए गए पट्टे को किसी भी स्थिति में वैध नहीं मान सकता।