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आर्थिक क्षेत्राधिकार न होने पर मुकदमा सही क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु लौटा दिया जाएगा।

rp_judge3.jpgसमस्या-

रज़ाउल हक़ ने संभल, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मैंने 3 साल पहले अपनी माँ से खेती की जमीन का बैनामा कराया था और अपनी माँ को 20 लाख रूपये दिए। जमीन का दाखिल ख़ारिज भी होगया। 15 दिन पहले मेरी माँ का देहांत होगया। मेरा एक बड़ा भाई है उस से माँ नाराज़ रहती थी। अब भाई ने सिविल जज (जू0डी0)के यहाँ यह दावा किया है मैंने माँ के बदले किसी और को रजिस्ट्रार के सामने लेजाकर बैनामा कराया है। जब कि मेरा बैनामा बिलकुल सही है। इस बैनामे में 2 लाख 10 हज़ार की स्टाम्प लगी थी। अब मैं पूछना चाहता हूँ कि 1- क्या सिविल जज (जू0डि0) इतनी मालियत का मुकदमा सुन सकता है? 2- इस मुकदमे में क्या जवाब दाखिल करना चाहिए?

समाधान

हाँ तक आर्थिक क्षेत्राधिकार का प्रश्न है, हमारी जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में जूनियर डिविजन सिविल जज को 25000/- और सीनियर डिविजन सिविल जज को असीमित आर्थिक क्षेत्राधिकार है? इस तरह यदि आपका मुकदमा जूनियर डिविजन सिविल जज के न्यायालय में है तो उसे इस मुकदमे को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। वैसे उत्तर प्रदेश सिविल रूल्स के नियम 19 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक न्यायालय में एक फार्म रखा जाएगा जिस में यह प्रदर्शित होगा कि उस न्यायालय का आर्थिक व अन्य क्षेत्राधिकार क्या है? जिस न्यायालय में आप का मुकदमा लंबित है उस न्यायालय के पेशकार (रीडर) से आप पूछ सकते हैं कि उस न्यायालय का आर्थिक क्षेत्राधिकार क्या है? लेकिन यदि इस न्यायालय को क्षेत्राधिकार न हुआ तो भी न्यायालय मुकदमे के किसी भी स्तर पर इस वाद को वादी को सही क्षेत्राधिकार के न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए लौटा सकता है। हमें लगता है कि आप के भाई ने पंजीकृत विक्रय पत्र को निरस्त कराने का वाद दाखिल करने के स्थान पर और कोई वाद प्रस्तुत किया है, यदि ऐसा है तो अन्त में यह निरस्त हो जाएगा।

आप को विक्रय पत्र आप की माँ ने स्वयं निष्पादित किया है इस कारण आप को डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। विक्रय पत्र पंजीकृत है, उस पर गवाहों को और उसे निष्पादित करने वाली आप की माताजी के पहचान कर्ताओं के हस्ताक्षर हैं। आप उन की गवाही से प्रमाणित कर सकते हैं कि निष्पादन करने वाली आपकी माताजी ही थीं न कि कोई अन्य स्त्री। फिर यह प्रमाणित करने का दायित्व वादी का है कि विक्रय पत्र आप की माताजी ने नहीं अपितु किसी अन्य स्त्री ने निष्पादित किया था। आप को वाद का क्या उत्तर देना चाहिए यह बिना वाद पत्र का अध्ययन किए बताना संभव नहीं है। आप को कोई अच्छा स्थानीय दीवानी मामलों के वकील की सेवाएँ इस के लिए प्राप्त करनी चाहिए। फिर भी आप को अपने भाई के कथनों को अस्वीकार करते हुए कहना चाहिए कि विक्रय पत्र माँ ने ही निष्पादित किया था।