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एटीएम खाते से धन निकलने के मामले में पुलिस अन्वेषण के लिए न्यायालय में तथा ग्राहक सेवा में कमी के लिए उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें।

समस्या-

नोएडा, उत्तर प्रदेश से भूपेन्द्र प्रताप सिंह ने पूछा है-

मैं पंजाब नेशनल बैंक का खाताधारक हूँ।  पिछले साल जनवरी 2012 में मैं एटीएम में अपनी राशि जाँचने गया था जो कि नॉएडा में मेट्रो स्टेशन पर स्थित है।  जब मैंने अपने अकाउंट से राशि जाँची तो एटीएम सही से काम करने में असमर्थता जता रहा था। मैं वहाँ से चला आया।  तीन  दिन बाद दूसरी जगह अपना अकाउंट चेक किया तो पता चला की उस दिन मेरे खाते से 8000 हज़ार रुपये निकले थे।  जब कि उस एटीएम से पैसे ही नहीं निकल रहे थे।  मैं ने बैंक में शिकायत की तो वहाँ से जवाब आया कि हमारी जांच में पता चला है की पैसे डिलीवर हो गये थे।  मैं ने बैंक से फोटो क्लिप माँग कर देखी तो उस में साफ़ पता चल रहा है कि पैसे कोई और कलेक्ट कर रहा है।  मैं ने इस की शिकायत अपनी शाखा में की जहाँ मेरा खाता है।   मैं ने नॉएडा में भी एक एफ.आई.आर. भी दर्ज करवाई और बैंकिंग लोकपाल को भी पत्र लिखा वहाँ से भी जवाब आया कि यह मामला हमारी जांच से बाहर का है।  मैं ने पीएनबी को बहुत मेल और फोन भी किये, बहुत परेशान हुआ, पैसा भी इस प्रकिया में खूब खर्च हुआ।  पर अब तक न्याय नहीं मिला है। अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मुझे कंजूमर कोर्ट जाना चाहिए?

समाधान-

atm-machineप ने जो तथ्य सामने रखे हैं उस से लगता है कि आप के खाते से किसी युक्ति के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति ने धन निकाला है। आप को हानि हुई है।  दूसरी ओर यह भी स्पष्ट है कि बैंक का धन चला गया है। इस कारण उन का कहना तो यहाँ तक सही है कि आप के खाते से धन निकल चुका है। इस तरह यह मामला आप के खाते से तीसरे व्यक्ति द्वारा चोरी का है जो कि फोटो क्लिप से साबित भी है।

किस व्यक्ति ने धन निकाला है यह तो अन्वेषण के माध्यम से ही पता चल सकता है और पुलिस ही इस छानबीन कर के किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकती है।  इस कारण से आप को पता करना चाहिए कि आप ने जो एफआईआर कराई है उस का क्या हुआ। यह भी हो सकता है कि आपने पुलिस थाने में रिपोर्ट दी हो और उस की एफआईआर नहीं दर्ज की गई हो।  इस कारण आप को पुलिस से जानना चाहिए कि वास्तव में आप की शिकायत का क्या हुआ? एक बार एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद पुलिस को किसी नतीजे पर पहुँचना जरूरी होता है।  यदि एफआईआर दर्ज हुई होती और पुलिस इस नतीजे पर पहुँचती कि अपराध ही नहीं हुआ है या अपराधी का पता लगाया जाना कठिन है तो पुलिस इस की रिपोर्ट न्यायालय को करती जिस की सूचना आप को मिलती। लेकिन यदि सूचना नहीं मिली है तो एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटों की अवधि में उस की एक प्रति संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में जमा होती है। आप संबंधित न्यायालय से भी पता कर सकते हैं कि एफआईआर दर्ज हुई है अथवा नहीं हुई है।

क बार यदि आप को पता लग जाए कि एफआईआर दर्ज नहीं हुई है तो आप को सीधे न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए और उसे अन्वेषण के लिए पुलिस को भेजा जाना चाहिए। यदि आप को पता लगता है कि एफआईआर दर्ज हुई थी लेकिन अभी कोई रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई है तो न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर यह निवेदन किया जा सकता है कि न्यायालय पुलिस से उस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगे।

स मामले में बैंक में आप के खाते से चोरी होने के कारण बैंक को भी पुलिस को एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी। लेकिन बैंक ने ऐसी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है।  चुंकि आप ने अपने खाते को ऑपरेट ही नहीं किया था इस कारण यह आप के बैंक खाते से चोरी है और आप के खाते से गई राशि की भरपाई बैंक को करनी चाहिए। लेकिन बैंक ऐसा नहीं कर रहा है। यह ग्राहक की सेवा में कोताही है। इस कारण से आप को बैंक को एक कानूनी नोटिस देना चाहिए और उस के बाद उस के विरुद्ध उपभोक्ता न्यायालय में अपनी शिकायत प्रस्तुत कर बैंक से आप का धन खाते में डालने, आप को हुई परेशानी के लिए बैंक से हर्जाना दिलाने और न्यायालय खर्चे दिलाए जाने की मांग करनी चाहिए। इस तरह आप को अपराधिक न्यायालय और उपभोक्ता न्यायालय दोनों के समक्ष कार्यवाही करनी चाहिए।

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