ऑनलाइन शॉपिंग में छल होने पर पुलिस को रिपोर्ट दर्ज कराएँ और उपभोक्ता न्यायालय को शिकायत करें
|समस्या-
मैं जानना चाहता हूँ कि अगर कोई वेबसाइट लोगों के साथ धोखाधड़ी करे तो उस वेबसाइट की शिकायत कहाँ की जा सकती है। एक वेबसाइट टिमतारा.कॉम है जो बहुत बड़े बड़े डिस्काउंट आफ़र देती है और जब कोई ग्राहक वहाँ से ऑनलाइन पेमेंट करके सामान खरीद लेता है तब वह सामान नहीं भेजती है और कितनी भी शिकायत करें किसी शिकायत पर भी ध्यान नहीं देती है, पैसा भी वापस नहीं करती है। इसके खिलाफ इन्टरनेट पर हजारों शिकायतें मिल जाएंगी मगर जानकारी के अभाव में कोई इसके खिलाफ कुछ कर नहीं पा रहा है। इसका वेबसाइट का एक शिकार मैं भी हूँ। मेरे 3500/- रुपए ये साइट वाले खा गए हैं। क्या ऐसी धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइटों की कहीं शिकायत की जा सकती है?
-पप्पू सोनी, रीवा, मध्यप्रदेश
समाधान-
एक बार धन प्राप्त कर लेने के बाद माल सप्लाई न करने और देरी से माल सप्लाई करने की अनेक शिकायतें इस वेबसाइट के विरुद्ध इंटरनेट पर मौजूद हैं। यहाँ क्लिक करने पर खुलने वाले वेब पेज पर इस के मालिक का तथा इस वेबसाइट को संचालित करने वाली ऐजेंसी का संभावित पता भी आप को मिल जाएगा। हो सकता है यह पता सही हो और यह भी हो सकता है कि यह सही नहीं हो।
यदि आप द्वारा आदेश दिए जाने और माल का भुगतान किए जाने तथा अनेक शिकायतें किए जाने के बावजूद भी आप का माल आप को प्राप्त नहीं हुआ है तो यह सीधे सीधे धारा 420 आईपीसी के अंतर्गत अपराध हो सकता है। आप को इस की रिपोर्ट उस पुलिस स्टेशन को देनी चाहिए जिस की स्थानीय अधिकारिता के अंतर्गत स्थित कंप्यूटर से आप ने आदेश दिया था। पुलिस को इस मामले पर कार्यवाही करनी चाहिए। यदि पुलिस कार्यवाही करने से आनाकानी करती है या फिर झिझकती है तो आप उसी पुलिस स्टेशन की स्थानीय अधिकारिता पर क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय में शिकायत प्रस्तुत कर यह प्रार्थना कर सकते हैं कि शिकायत को अन्वेषण के लिए पुलिस को प्रेषित किया जाए।
इस के अतिरिक्त इस वेबसाइट के स्वामी और संचालकों के पते इंटरनेट पर आप को मिल जाएंगे। आप उन का उपयोग करते हुए अपने क्षेत्र के जिला उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। लेकिन आप को पहले अपराधिक कृत्य के लिए पुलिस को शिकायत अवश्य ही दर्ज करवाना चाहिए। आप के बैंक खाते से पैसा जिस खाते में स्थानान्तरित हुआ है उस के आधार पर पुलिस को वास्तविक अपराधियों को खोज निकालने में सुविधा होगी।
ईस मामले मे मेरी मदद करे
(Star India) यह कम्पनी रिर्चाज पेनल बनाने पर 15000 का ऑपनिग wallet बेलेंस मागती है जब मेने उनके ICICI BANK – Star India, A/c No 188105000181 मै मेने ऑनलाईन 15000 रुपिये 08/07/2016 को डाला था लेकिन उसने मेरा जो रिर्चाज पेनल बनाया था उसमे 15 हजार का wallet कही बार कहने पर भी नही डाला ओर मुजे बातो ही बातो गुमाने लगा फिर सर पता चला की यह लोग feak wark करके कही भोले भाले लोगो के साथ ऐसा करके 15-15 हजार रुपये ऐटने का काम करते है
Star India New Mumbai कम्पनी की डिटेल –
BALAJI BHAVAN OFFICE NO.126 PLOT NO.42
SETOR 11 CBD BELAPUR NAVI MUMBAI
MEN MOBAIL NO. 9867253997
मोबाईल न. 1. 8433750554 2. 8268861413 3. ८४३३७५०७५६
BANK DETAILS
ICICI BANK
A/c Name Star India
A/c No 188105000181
IFSC Code ICIC0001881
Branch Name Navi Mumbai vashi
MERI SUJHAW HAI KI SABSE PAHLE DAHEJ KESH TO STOP,
FALTU KE LOGO KO POLLICE ME NA FASAYA JAYE,
बहुत अच्छा जानकारी है, कई लोगो को पता नही होता है ईसलिए पैसा वापस नही ले पाते हैं, ईस लेख को पढने के बाद अब कोई आनलाईन बदमासी नही करुंगा|
– क्रेडिट कार्ड्स से पेमेंट किये होंगे तो चार्जबेक कर सकते हैं
– किसी भी नए साईट से कुछ भी खरीदने से पहले रिव्यु जरुर देखें
गुरुदेव जी, आपने बहुत अच्छी जानकारी दी. लेकिन आपकी एक बात समझ नहीं आई कि-आप अपने क्षेत्र के जिला उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
मेरी जानकारी के अनुसार पीड़ित(उपयोक्ता) को दुकानदार या कम्पनी के क्षेत्र में आने जिला उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज करवानी होती है. क्या ऑनलाइन खरीददारी में उपयोक्ता संरक्षण अधिनियम में अलग से कोई नियम या धारा है. जिससे अपने क्षेत्र के जिला उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। यदि हाँ तो कौन सी है ? जरा अपने सभी पाठकों को भी विस्तार से बताएं.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.सिरफिरा-आजाद पंछी
रमेश जी ,आज देश में उपभोगता परेशान तो है लेकिन जागरूक नहीं है इसलिए पहले तो हमें उपभोगता के अधिकार पता होने चहिये और उसके बाद वह कार्यवाही कहाँ और कैसे करे ये पता होना चहिये |इस के लिए मैंने कुछ दिन पहले दिनेश सर से लोगो को जागरूक करने के लिए ये सलाह मांगी थी लेकिन दिनेश सर जी को शायद मेरी मांगी हुई सलाह पसंद नहीं आई इसलिए उन्होंने उसपर कोई जवाब नहीं दिया या हो सकता है और कोई वजह हो ? इस संदर्व में आपके पास जानकारी हो तो आप लोगो से सेयर करें | धन्यबाद ……
आदरणीय दिनेश जी,
आपने मेरी और मुझ जैसे बहुत से और परेशान लोगों के लिए जो मार्गदर्शन दिया है, उसका मै और भी बहुत से अन्य इस समस्या पीड़ित लोग लाभ उठाएंगे और हम सभी आपके बहुत आभारी रहेंगे।
हा सही भी है पुलिस अभी प्रशिक्षित नहीं है ऐसे मामलो में ! दोनों ही राय अच्छी हे जो भी अपनाये ! अनुभव से ही जाना जा सकता है न्याय केसे जल्दी मिलेगा
भाई पप्पू सोनी जी,
बढ़ते साइबर क्राइम को रोक पाने के फ़िलहाल सरकारी उपाय कारगर नहीं हैं और मुकदमें और एफ़आइआर के बीच उलझ कर आप अपने डूबे धन से कहीं ज्यादे पैसा गँवां देंगे. लिहाजा मैं आपको आसान तरीका बता रहा हूँ- ये सारी कम्पनियाँ आनलाइन फ़ण्ड रिजर्व बैंक के निर्देशों को अधीन वसूलती हैं, लिहाजा चोट आपको वहीं करनी है. ये वेबसाइट सीसीएविन्यू का इस्तेमाल करती है, अतः आप एक लीगल नोटिस अपने आर्डर नम्बर के साथ उसे भेजें और पैसा वापसी के सन्दर्भ में एक शिकायती पत्र रिजर्व बैं को भी लिखें मेरे विचार से आपके पैसा वापस मिल जाए. इस बारे में आप और अधिक सहायता मुझसे ले सकते हैं. मेरा मोबाइल नम्बर है- 9336909030
रवि जी आपकी दी हुई इस जानकारी से मुझे बहुत सहायता मिलेगी, इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
रवि श्रीवास्तव जी,
उचित सलाह के लिए आप का आभार। आप से अनुरोध है कि इसी तरह तीसरा खंबा से जुड़े रहें। इस से तीसरा खंबा के पाठक आप के अनुभव एवं ज्ञान का लाभ ले सकेंगे।
मेरा मानना है कि इस तरह पैसा तो वापस मिल जाएगा, लेकिन गलती करने वाले को दंड नहीं मिलेगा जो जरूरी है। इस कारण से कम से कम पुलिस मे प्रथम सूचना रिपोर्ट अवश्य करानी चाहिए। यदि पुलिस इस रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं करती है तो भी ऐसी अनेक रिपोर्टें दर्ज होने पर पुलिस को इस तरह की शिकायतों पर ध्यान देना होगा।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.ऑनलाइन शॉपिंग में छल होने पर पुलिस को रिपोर्ट दर्ज कराएँ और उपभोक्ता न्यायालय को शिकायत करें
आदरणीय दिनेशराय द्विवेदी जी, आपके ब्लाग का नियमित पाठक हूँ और विधि क्षेत्र में आपके योगदान का मुरीद भी. आपका कथन सही है कि ऐसे लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए. दरअसल कम्पनी ऐक्ट 1956 के तहत गठित होने वाली फ़्राड कम्पनियँ अब आनलाइन शापिंग की तरफ़ ग्राहकों के बढ़ते रुझान का फ़ायदा उठा रही हैं. इसके लिए वो कम्पनी पंजीकृत कराते वक्त गलत और फ़र्जी़ दस्तावेजों का सहारा लेते हैं, न तो इनका पता सही होता है और न ही निदेशक आदि का नाम. प्रमाण-पत्र के जरिए प्राइवेट बैंक में एकाउंट खोला जाता है और इसी के बाद शुरू हो जाता गोरखधन्धे का ये खेल. पुलिस पैसा खाकर बैठ जाती है और फ़रियादी थोड़ी हिम्मत दिखाने के बाद पस्त हो जाता है. इसी नाते मैंने पप्पू जी को सलाह दी थी कि अपना पैसा निकाल लें और आइन्दा के लिए तौबा कर लें.
आजकल दिल्ली से कई लोगो को एक फ़ोन आ रहा है जिसमे कहटे है सैमसंग के 25 साल होने की खुशी पर आपका नंबर randomly select हुआ है जिसमे आपको सैमसंग गैलेक्सी ग्रैंड जिसकी मार्किट प्राइस value 15000 है ये आपको मात्र 3150 में मिल रहा है। इसके बाद ये आर्टिकल वो COD में भेजते है जब लोग इसे खोलते है तो किसे मे बालू तो किसी में हनुमान जी की मूर्ति निकलती है। कृपया बताये इसकी शिकायत कहाँ की जाये ताकि और लोग ढगी का शिकार होने से बाख सके।