केवल सूचना देने वाले के विरुद्ध ही धारा 182 भा.दं.सं. का मामला दर्ज किया जा सकता है
|समस्या-
मेरे गांव के एक व्यक्ति ने एक होमगार्ड महिला के खिलाफ जिसके यहां वो पूर्व में काम किया करता था, हरिजन उत्पीड़न अधिनियम के तहत मारपीट की रिपोर्ट लिखायी थी। पुलिस ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी है तथा अपनी रिपोर्ट में मेरे कुछ विरोधियों के इशारे पर उक्त होमगार्ड महिला के कहने पर मेरे खिलाफ 182 की रिपोर्ट भेज दी है। जबकि उक्त व्यक्ति तथा उस मामले से मेरा कोई लेना देना नहीं है। हां, उपरोक्त महिला से हमारा विवाद है जो कि न्यायालय में प्रक्रियाधीन है। क्या पुलिस मेरे खिलाफ कोई कार्यवाही कर सकती है? तथा क्या मैं इस मामले में पुलिस के विरुद्ध न्यायालय में कार्यवाही सकता हूँ?
-भूरिया, गोण्डा, उत्तर प्रदेश
समाधान-
भारतीय दंड संहिता की धारा 182 निम्न प्रकार है-
182. इस आशय से मिथ्या इत्तला देना कि लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति कारित करने लिए करे- जो कोई भी लोक सेवक को कोई ऐसी इत्तला, जिस के मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, इस आशय से देगा कि वह उस लोक सेवक को प्रेरित करे या यह संभाव्य जानते हुए कि वह उस को तदद्वारा प्रेरित करेगा कि वह लोक सेवक –
(क) कोई ऐसी बात करे या करने का लोप करे जिसे वह लोक सेवक, यदि उसे उस सम्बन्ध में, जिस के बारे में ऐसी इत्तला दी गई है, तथ्यो की सही स्थित का पता होता तो न करता या करने का लोप न करता, अथवा…
(ख) ऐसे लोक सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग करते जिस उपयोग से किसी व्यक्ति को क्षति या क्षोभ हो,
वह दोनो में से किसी भाँति के कारावास से, जिस की अवधि छह मास तक की हो सकेगी. या जुर्माने से जो एक हजारा रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
धारा 182 भा.दं.संहिता के उक्त पाठ से स्पष्ट है कि इस धारा का उपयोग केवल उस व्यक्ति के विरुद्ध किया जा सकता है जिस ने पुलिस को साशय कोई इत्तला दी हो। आप द्वारा वर्णित मामले में किसी अन्य व्यक्ति ने पुलिस को इत्तला दे कर रिपोर्ट दर्ज करवाई है। इस मामले में आप की भूमिका केवल इतनी हो सकती है कि पुलिस ने अन्वेषण किया हो और आप का बयान धारा 161 भा.दंड.संहिता के अंतर्गत लिया हो. यदि पुलिस ने ऐसा किया है तो भी पुलिस आप के विरुद्ध धारा 182 में किसी अपराध की कार्यवाही करने हेतु न्यायालय से आवेदन नहीं कर सकती। इस कारण से आप को निश्चिंत रहना चाहिए।
इस मामले में जब तक पुलिस आप के विरुद्ध कोई कार्यवाही न करे आप पुलिस के विरुद्ध न्यायालय में कोई कार्यवाही नहीं कर सकते। लेकिन यदि पुलिस आप के विरुद्ध कोई कार्यवाही करती है तो आप न्यायालय में कार्यवाही कर सकते हैं। इस के अतिरिक्त वह व्यक्ति जिस ने होमगार्ड महिला के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाई है वह पुलिस द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट को चुनौती दे सकती है और न्यायालय में अपने साक्षियों के बयान करवा कर मामले में न्यायालय से प्रसंज्ञान लेने का आग्रह कर सकती है।
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धारा१८२ सिर्फ न्यायालय द्वारा पोलिसे की अंतिम रिपोर्ट कोस्वीकार करने इ बाद ही पोलिसे द्वारा फ..इ..र लिखाने और धारा १६१ या धारा १६४के तहत झूठी साक्ष्य देने वाले के खिलाफ इस्तगासा न्यायालय मैं दाखिल किया जाता है. जिसमे पोलिसे को स्वयं माम्सले का अन्वेश्हन करने अ अधिकार नहीं होता है अतः आप पोलिसे के खिलाफ प्रथ्स्क से कोई मामला दायर नहीं कर सकते . वल्कि अपने वकील के माध्यम से सम्बंधित न्यालय के समक्ष अपनी बचाव की साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं .बहुत संभव है रिपोर्टकरता n इ न्यालय के सामने अपनी असत्य रिपोर्टकरने की गलती स्वीकार कर ली हो तभी न्यालय ने पोलिसे की अंतिम रिपोर्टस्वीकार की होगी..