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ओ.सी.डी. (जुनूनी बाध्यकारी विकार) ऐसा रोग नहीं जो विवाह विच्छेद का आधार हो सके।

समस्या-

प्रशान्त ने इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी उम्र २६ वर्ष है और मैं एक हिन्दू परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। मेरी शादी मार्च 2014 में हुई थी मेरी बीवी ओसीडी नाम की मानसिक बीमारी से शादी के पहले से ही ग्रसित है जिसका पता मुझे शादी के बाद पता चला। अन्य कई तरह की बातें मेरी बीवी की घर वालो ने मेरी बीवी बारे में मुझसे शादी की पहले छुपाई थी जो धीरे धीरे अब मेरे सामने आ रही है। उसकी इस ओसीडी बीमारी का शादी से पहले ३ साल से उसका इलाज चल रहा है और मैंने भी शादी की बाद १ साल तक इलाज कराया लेकिन कोई आराम नही मिल रहा है। इस बीमारी की कारण वह रोज ३ घंटे नहाती है घर की साफ सफाई वाले कामों में दिन भर व्यस्त रहती है उसको साफ सफाई वाले कामो में संतुष्टि नहीं मिलती और दिन भर उसी में वयस्त रहती है। जिस की वजह से हमारी दिनचर्या पूरी अस्त-वयस्त हो गयी है, न टाइम पर खाना न सोना न और ही बाकी कोई और काम, सब कुछ मेरी लाइफ में बर्बाद हो गया है। मेरी बीवी और मेरे ससुराल वाले चाहते हैं कि हमारी कोई संतान हो जाये, लेकिन मैं इसकी बीमारी से डर कर अभी तक इस विषय में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। मैं बहुत परेशान रहता हूँ, मुझे तलाक चाहिए बताइये मैं क्या करूं?

समाधान

प को आप की पत्नी के मायके वालों ने बहुत सी बातें नहीं बताईं इस बात की आप को शिकायत है। वैसे भी विवाह के पहले अपने लड़के और लड़की की बात खुल कर कोई नहीं बताता। यह आप का दायित्व था कि विवाह के पहले अपनी पत्नी को ठीक से जान लेते। इस कारण से कि पत्नी की ससुराल वालों ने ओसीडी या अन्य तथ्यों के बारे में नहीं बताया न्यायालय कोई तलाक नहीं देता यहाँ तक कि कोई राहत प्रदान नहीं करता।

प की पत्नी ओसीडी रोग से ग्रस्त है। लेकिन ओसीडी रोग ऐसा नहीं कि जिसे सामान्य रूप से तलाक का आधार बनाया जा सके। हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 (iii) के अनुसार ठीक नहीं हो सकने वाली विकृत-चित्तता ही तलाक का आधार हो सकती है। ओसीडी ऐसा रोग नहीं है। इस के अतिरिक्त मानसिक विकार इस प्रकार और इस गंभीरता का हो कि आप का उस के साथ यथोचित रीति से रहना संभव नहीं हो। आप के मामले में आप की पत्नी आप के साथ केवल 15 दिन रही है, ऐसी अवस्था में यह कहना कि आप का उस के साथ इस रोग के कारण यथोचित रीति से निवास कर सकना संभव नहीं है, उचित नहीं है और इसे न्यायालय में साबित नहीं किया जा सकेगा।

स तरह आप के पास आप की पत्नी से तलाक लेने का कोई आधार वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। ओसीडी रोग लक्षणानुसार अनेक प्रकार का होता है। इस रोग में किसी काम को करने की बार बार इच्छा होती है और रोगी उस काम को बार-बार करता है। यह रोग ऐसा नहीं है कि एक व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी सके। अनेक प्रसिद्ध और सफल व्यक्ति इस रोग से ग्रसित रहे हैं लेकिन उन्हों ने अपना सामान्य जीवन ही नहीं जिया अपितु सामाजिक जीवन में अपने कामों से प्रसिद्धि भी पाई। इसलिए इस स्तर पर यह कहना कि आप अपनी पत्नी के साथ सहज जीवन नहीं बिता सकते संभव नहीं है। अभी तक किसी भारतीय न्यायालय ने इस रोग के आधार पर तलाक की अर्जी मंजूर नहीं की है। जितने भी प्रकरण प्रकाश में आए हैं उन में इस रोग के आधार पर प्रस्तुत की गयी तलाक की याचिकाएँ निरस्त ही की गई हैं।

प के मन में दो बातें हो सकती हैं कि विवाह के पूर्व आप की पत्नी के रोग के बारे में आप को नहीं बताया गया, दूसरा यह कि चिकित्सा का व्यय अधिक है जो हमेशा आप के लिए एक अतिरिक्त व्यय बना रहेगा। लेकिन आप की भावी पत्नी के बारे में आप को स्वयं भी पूरी जानकारी विवाह के पूर्व ही करनी चाहिए थी। निश्चित ही आप ने यह जानकारी नहीं की होगी कि आप की पत्नी कहीं किसी गंभीर रोग की रोगी तो नहीं है। इस तरह इस मामले में आप की भी गलती रही है। आप को इस बात को विस्मृत कर देना चाहिए कि आप के साथ धोखा हुआ है। दूसरी बात यह है कि यदि विवाह के उपरांत आप की पत्नी को यह रोग हो जाता तो आप को चिकित्सा तो करानी ही होती। या दुर्भाग्य से यह रोग आप को हो जाता तो भी यह खर्च आप को करना होता। इस कारण से ये दोनों बातें आप अपने मन से निकालें।

मारी राय में आप को अपनी पत्नी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। आप के अपने व्यवहार और आप की सहायता से भी आप की पत्नी के इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। संतान होने में भी कोई बाधा नहीं है। हो सकता है कि संतान होने से इस रोग की तीव्रता में कमी आए। फिर आप की पत्नी आप के साथ कुछ समय और लगातार रहे तो इस बात का भी पता लगेगा कि आप का उस के साथ जीवन बिताना संभव है या नहीं। साथ रहने की इस अवधि में आप उसे इस रोग से मुक्त होने में सहायता करें। हो सकता है वह आप के व्यवहार और सहायता से इस रोग से मुक्ति प्राप्त कर ले और आप दोनों का संपूर्ण जीवन सुखमय गुजरे। हमारी भी यही कामना है।

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