कब्जा सच्चा, दावा झूठा
| प्रियंका जी ने पूछा है –
हमारा गाँव में पैतृक मकान है जो खाली पढ़ा है, जिस की रजिस्ट्री नहीं है, पर बंटवारानामा है। इस मकान के बरामदे में पड़ौसी ने हमारी पुरानी दीवार तोड़ कर नई बना के उस पर पटरे डाल दिए हैं, जिस की नींव व आगे का भाग हमारे मकान में आ रहे हैं। अब हम नया मकान बना रहे हैं तो उस ने दीवार और पटरे हटाने से मना कर दिया है। शायद उस की रजिस्ट्री में भी ये दीवार नहीं है जो उस के पुराने मकान मालिक से पता चली थी जो अब नहीं है। पुलिस के अलावा कोई और जल्दी वाला रास्ता बताएँ।
उत्तर –
प्रियंका जी,
आप का सवाल वर्ष का पहला सवाल है। यह संपत्ति और उस के स्वामित्व, आधिपत्य और सीमाओं से संबंध रखता है। सब से पहले तो यह जान लें कि किसी भी संपत्ति के स्वामित्व का सब से प्राथमिक साक्ष्य उस का आधिपत्य है। हमारे यहाँ एक कहावत प्रचलित है ” कब्जा सच्चा, झगड़ा झूठा”। यह कहावत सही है। आप के कब्जे में संपत्ति है तो आप की ही मानी जाएगी। कोई बिना कब्जे वाला आ कर कहे कि वह संपत्ति आप की नहीं उस की है तो उसे पहले तो स्वामित्व के दस्तावेजों और अन्य साक्ष्य से यह साबित करना होगा कि वह संपत्ति उस की है। जब यह साबित हो जाएगा तो न्यायालय उसे संपत्ति के कब्जे की डिक्री दे देगा। फिर डिक्री की पालना के लिए उसे निष्पादन की कार्यवाही करनी होगी। निष्पादन पूरा होने पर ही उसे अपनी संपत्ति का कब्जा प्राप्त हो सकेगा।
यदि आप बात को समझ रही हैं तो गाँव वाले मकान के मामले में आप के पास कोई शॉर्टकट नहीं है। एक तो संपत्ति के स्वामित्व के सही दस्तावेज आप अपने पास नहीं बता पा रही हैं। आप के पास केवल बंटवारा नामा है। वह भी पंजीकृत नहीं है। बंटवारानामा पंजीकृत नहीं है तो उसे साबित करने के लिए भी कब्जे के ही साक्ष्य काम करेंगे। आप के अनुसार आप का मामला पडौसी की रजिस्ट्री पर निर्भर करता है। आप उस की रजिस्ट्री के विवरण पता करें कि वह कब हुई थी। यह आप को उस संपत्ति के पूर्व स्वामी से पता लग सकते हैं जिस ने आप के पड़ौसी को वह संपत्ति विक्रय की है। फिर आप उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय से उस पंजीकृत विक्रय पत्र की प्रमाणित प्रति प्राप्त कर सकती हैं उस से स्पष्ट हो जाएगा कि वह दीवार आप की है या उस की है।
यदि पड़ौसी ने आप की दीवार को तोड़ कर नई दीवार बनाई है तो नई दीवार का चरित्र भी वैसा ही होगा जैसी पहली का था। यदि पुरानी दीवार आप की थी तो उस के स्थान पर बनी नई दीवार भी आप की होगी। वह किस ने बनाई यह बात बेमानी है, यदि स्वामित्व के दस्तावेजों से यह साबित कर दिया जाए कि वह पहले आप की थी। यदि ऐसा है तो वह दीवार आप की ही है। लेकिन आगे की कार्यवाही करने के पहले इस बात की दस्तावेजी साक्ष्य आप के कब्जे में होनी चाहिए कि वह दीवार आप की है। इस लिए आप सब से पहले पडौसी द्वारा मकान खरीदने के विक्रय
पत्र की प्रमाणित प्रति अवश्य प्राप्त कर लें।
पड़ौसी ने आप की दीवार पर पटरे डाल कर कब्जा कर लिया है। एक मार्ग तो यह है कि आप उस का कब्जा हटवाने के लिए अदालत में दावा करें और दावे में सफल होने पर डिक्री का निष्पादन करवाएँ। लेकिन इस में बहुत समय लग सकता है, यह आप के यहाँ की अदालत की स्थिति पर निर्भर करता है कि उस अदालत में कितने मुकदमे हैं और आम तौर पर कितने दिन में उन में निर्णय हो जाता है। पहली अदालत से निर्णय हो जाने पर अपील आदि भी समय लेती हैं। इस तरह उस दीवार का तुरंत इस्तेमाल होना संभव नहीं है। इस के लिए अदालती फैसले के अंतिम होने और निष्पादन तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
दूसरा एक मार्ग और है। जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप की ताकत कितनी है। यदि आप की अनुपस्थिति में आप के मकान पर लगा आप का ताला तोड़ कर दूसरा कोई ताला जड़ जाए तो आप क्या करेंगी? स्वाभाविक कृत्य यही होगा कि आप वह ताला तोड़ कर मकान में प्रवेश करें और जब भी बाहर जाएँ तो अपना ताला लगा दें। यह गलत नहीं है। यदि आप में ताकत है तो आप की दीवार पर रखे पड़ौसी के पटरे हटा दें और आप जैसा चाहें वैसा निर्माण कार्य करना जारी रखें। यदि आप ताकतवर हैं तो आप का पड़ौसी कुछ न कर सकेगा और खुद न्यायालय जाएगा और कहेगा कि आप उस के मकान में दखल दे रहे हैं। तब आप अदालत में जा कर यह सबूत पेश कर सकती हैं कि आप अपनी ही संपत्ति पर निर्माण कर रही हैं और उस का दावा सच्चा नहीं है। आप जब अदालत में अपनी बात को साबित कर देंगी तो आप का पड़ौसी कुछ नहीं कर सकेगा। नैतिक रूप से वह गलत काम कर चुका है इस लिए फिर आप के साथ बैठ कर समझौता करेगा, या फिर चुपचाप पीछे हट जाएगा। यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस मार्ग का चुनाव करती हैं। कुल मिला कर मामला आसान नहीं है।
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11 Comments
dhanyavad achhi jankaree
आप की बात सही है। लेकिन स्वामित्व का प्राथमिक साक्ष्य तो वस्तु का आधिपत्य ही है। आप बाजार से सब्जी ले कर घर आ रहे हैं। थैला आप के पास है तो प्राथमिक रूप से आप को ही उस का स्वामी माना जाएगा। यदि कोई कहता है कि थैला और सब्जी उस के स्वामित्व की है तो उसे यह साबित करना पड़ेगा कि ऐसा है। आप उस के स्वामित्व को झुठला सकते हैं और सब्जीवाले की साक्ष्य तथा थैला आप की होने की साक्ष्य के आधार पर उसे अपना साबित कर सकते हैं। ठीक ऐसा ही अचल संपत्ति के बारे में है।
यह कानून तो असभ्य युग का प्रतीक है | जनतंत्र में स्वामित्व का आधार स्वमित्व विलेख होना चाहिए अन्यथा जिसकी लाठी उसकी भेंस कहावत चरितार्थ होगी | लोकतंत्र क अभिप्राय ही बेमानी होगा , जो शक्तिशाली होगा कब्ज़ा करके स्वामी बन जायेगा और न्यायालय भी उसके पक्ष में निर्णय देंगे | क्या हमारी न्याय व्यवस्था का यही असली चेहरा है ? यही लोकतंत्र की परिभाषा है जिसे न्यायविद पसंद करते हैं ?
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इस अच्छी जानकारी के लिये, ओर अच्छी सलाह के लिये, आप का धन्यवाद
अच्छी जानकारी.
जानकारी के लिए आभार।
———
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
'.क़ब्ज़ा' सच्चा है, 'दावा' झूठा है,
बस चला जिसका उसने लूटा है.
लाटरी जैसे…लगते 'निर्णय' है,
भाग्य अच्छे तो, छींका टूटा है.
अब सड़क भी तो उसके अब्बा की,
पहले जिसने भी गाढ़ा खूँटा है.
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
सुन्दर
बधाई
नये साल की हार्दीक शुभकामनाए..
सही और व्यावहारिक सलाह।