विगत आलेख में हमारे पाठक ????? जी ने अपने सवाल का उत्तर मिलने पर कुछ और सवाल सामने रखे थे, पाठक जी की चिट्ठी इस तरह है ……
सर! आप ने मेरी समस्या को पढ़ा और उस का उत्तर भी दिया आप का तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ। सर! मेरे कुछ सवाल हैं जिन का जवाब जानना चाहता हूँ।
1. सर, कोई केस एक्स-पार्टे कैसे और कब होता है? केस एक्स पार्टे होने पर क्या करना पड़ता है?
2. सर, जब लड़की वाले लड़के वालों पर मैंटीनेंस, घरेलू हिंसा, दहेज आदि के केस लगा देते हैं तो क्या लड़के वालों के पास बचाव में कोई ऐसा केस नहीं है जो वे लड़की वालों पर लगा सकें?
3. सर, मैं ने एक वकील से सलाह ली तो वे बोले कि कोई भी लड़की वालों की रजिस्ट्री मत लेना। सर, इस से क्या होगा? क्या यह मेरे पक्ष में होगा? और यदि यह सही है तो कब तक मैं ऐसा करूँ?
4. सर, क्या मैंटीनेंस के, घरेलू हिंसा के तथा दहेज केस में स्टे ले सकता हूँ? और कब तक?
5. सर, मेरी पत्नी तीन साल से अपने मायके में है तो क्या घरेलू हिंसा बनती है?
उत्तर
कोई भी मुकदमा एक्स-पार्टे (Ex-parte) एक पक्षीय कैसे होता है?
जब भी कोई व्यक्ति अदालत में अपराधिक मुकदमे से भिन्न कोई अन्य मुकदमा किसी के विरुद्ध करता है तो अदालत उन लोगों को जिन के विरुद्ध मुकदमा किया गया है, मुकदमे के दावे या प्रार्थना पत्र की प्रति के साथ सम्मन या नोटिस भेजती है, जिन में लिखा होता है कि “आप के विरुद्ध श्री ….. ने मुकदमा किया है, आप को स्वयं अदालत में निश्चित दिन उपस्थित हो कर या इस सम्मन/नोटिस मिलने के 30 दिनों के भीतर इस का जवाब पेश करें और अपने जवाब के समर्थन में दस्तावेज यदि पेश करना चाहें तो साथ में प्रस्तुत करें। अन्यथा आप की अनुपस्थिति में मुकदमा एक-तरफा निर्णीत कर दिया जाएगा।
अदालत से जब भी इस तरह का सम्मन या नोटिस किसी को मिले तो उसे अदालत के समक्ष अपना पक्ष स्वयं अथवा किसी वकील या विधिपूर्वक नियुक्त प्रतिनिधि के माध्यम से समय रहते प्रस्तुत करना चाहिए। यदि जिसे सम्मन या नोटिस प्राप्त हुआ है वह अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हो या उस के उपरांत किसी भी पेशी वह स्वयं अथवा उस का वकील या अधिकृत प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हो तो अदालत यह आदेश दे सकती है कि जो व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ है उस के विरुद्ध एक पक्षीय (Ex-parte) सुनवाई की जाएगी। उसी पेशी पर या आगामी पेशियों पर केवल वादी या प्रार्थी पक्ष की साक्ष्य ले कर तथा सुनवाई करते हुए निर्णय पारित कर दिया जाता है।
जिस पक्ष के विरुद्ध एक पक्षीय सुनवाई किए जाने का आदेश हुआ है वह उचित समय के भीतर निश्चित तिथि पर अदालत के समक्ष अनुपस्थित रहने का युक्तियुक्त कारण बता कर आवेदन कर सकता है कि उस के विरुद्ध किया गया एक पक्षीय आदेश निरस्त किया जाए और उसे सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए। यदि अदालत अनुपस्थिति के कारण को सही और युक्तियुक्त मानती है तो एक पक्षीय सुनवाई का आदेश निरस्त कर देती है और सुनवाई का अवसर प्राप्त हो जाता है। एक पक्षीय हो जाने के उपरांत भी यदि न्यायालय में मुकदमा चलता रहता है तो जिस पक्ष के विरुद्ध एक पक्षीय आदेश हो गया है वह सुनवाई के किसी भी स्तर पर मुकदमे की कार्यवाही में उपस्थित हो कर भाग ले सकता है। लेकिन मुकदमे की जो कार्यवाही उस की अनुपस्
सर जी,
मेरी शादी 11/3/2015 में हुई है। शादी के समय लड़की के पिता ने गलत गलत जानकारी दे कर शादी करवा दी। जिसकी जानकारी शादी के बाद हुई।
1. झूठी कुंडली बनवाकर शादी करवाई गई।
2.जन्मतिथि गलत बता कर शादी कार्रवाई गई।
3. शादी से पहले बताये की लड़की बड़ी है मगर शादी के बाद लड़की को घर में सबसे छोटी बताया गया।
4.लड़की ऊँचाई 5 फ़ीट बताई गई जबकि शादी के मैंने खुद नापा तो 4 फ़ीट 8 इंच निकाला।
5. शादी के समय लड़की को बी ए (स्नातक) पास होना बताया गया। शादी के बाद जब मैंने मार्कशीट मांगने की कोसिस की तो आज तक उन्होंने ने नहीं दिया।
6. मैंने उसकी पढ़ाई से सम्बंधित जानकारी के लिए RTI लगाया था। जिसमे मुझे पता चला की उसकी मार्कशीट नकली है।
अब मुझे समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ।
मैंने फॅमिली कोर्ट में विवाह को शून्य करने की अर्जी लगाई हुई है।
किंतु लड़की वाले नोटिस लेते ही नहीं है।
Please help me……
जानकारी अच्छी लगी आगे भी देखते है क्या लिखा गया है ।
विचारणीय एवं सुंदर जानकारी के लिए आभार.
विचारणीय लेख
बेहद आवश्यक जानकारी देने के लिए शुभकामनाएं द्विवेदी जी !
सुंदर जानकारी के लिए आभार.
इस जानकारी के लिए धन्यवाद.
पाठक जी की वजह से इस मौलिक जानकारी से हम भी लाभान्वित हुए । धन्यवाद ।