कोई भी हिन्दू पुश्तैनी संपत्ति में अपने हिस्से को वसीयत कर सकता है।
|समस्या-
बालोदा बाज़ार, ब्लॉक –बिलाईगढ़, ग्राम पुरगाँव से अशोक जायसवाल ने पूछा है-
हम दो (2)भाई थे। पिताजी ने हमारा बँटवारा कर दिया जिस में मेरे को 085 डिसमिल ,भाई को- 02.45 एकड़, और पिता जी को -02.00 एकड़ ज़मीन मिली। भाई का देहान्त हो गया। पिताजी ने उसके बाद अपनी वसीयत बनवायी और पूरी ज़मीन मेरे नाम वसीयत कर दी। अब मेरी भाभी ने सिविल कोर्ट में दावा किया है उसे पिता जी की ज़मीन से और बँटवारा चाहिए। मेरे पिता जी को ज़मीन उन के पिता जी (मेरे दादा) ने दी थी। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप को भाभी द्वारा किए गए दावे में अपना प्रतिवाद प्रस्तुत करना चाहिए। आप के पिताजी को जमीन उन के पिताजी आप के दादा जी से मिली थी। हम उसे पुश्तैनी मान लेते हैं। इस पुश्तैनी जमीन के तीन सहदायिक हुए। तीनों ने आपसी सहमति से बँटवारा कर लिया। बँटवारे के बाद तीनों के हिस्से अलग हो गए। भाई के देहान्त के उपरान्त उस की भूमि उस के उत्तराधिकारियों अर्थात भाभी और उस के बच्चों को मिल गयी।
आप के पिता ने उन्हें मिली जमीन को आप के नाम वसीयत कर दिया। उन की मृत्यु के बाद पिता के हिस्से की भूमि वसीयत के कारण आप को प्राप्त हो गई। इस में कोई त्रुटि नहीं है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-30 में यह उपबंधित है कि कोई भी व्यक्ति उस के द्वारा हस्तान्तरणीय संपत्ति को वसीयत कर सकता है। इस धारा के स्पष्टीकरण में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी सहदायिक (पुश्तैनी) संपत्ति का बँटवारा न भी हुआ हो तो भी उस सहदायिक संपत्ति में हिस्सेदार कोई भी व्यक्ति उस संपत्ति में अपने शेयर को वसीयत कर सकता है।
आप के मामले मे तो बँटवारा हो चुका था और पिता बँटवारे के बाद उन के हिस्से में आई भूमि को वसीयत कर सकते थे। यदि न्यायालय किसी स्तर पर इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पिता जी ने भूमि का बँटवारा नहीं किया था या वह बँटवारा वैध नहीं था तो भी कानून के अनुसार यह माना जाएगा कि पिताजी के देहान्त के ठीक पूर्व बँटवारा हो चुका था। वैसी स्थिति में कुल भूमि के तीन हिस्से होना माना जा कर एक हिस्सा आप के भाई के उत्तराधिकारियों को और दो हिस्से आप को प्राप्त होंगे क्यों कि आप के पिता जी ने उन के हिस्से की सारी भूमि आप को वसीयत कर दी थी।