कोई वसीयत ऐसी नहीं होती जिसे वसीयतकर्ता अपने जीवन काल में बदल न सके।
|समस्या-
लखनऊ, उत्तरप्रदेश से रोहित पूछते हैं –
एक विधवा हिन्दू महिला है। वह निःसंतान है लेकिन उसकी मृत बहन के वारिस है। उनके पास जो पैत्रृक संपत्ति थी उसका आधा भाग महिला की बहन के वारिसों ने बेच दिया है। वह महिला अपने मकान में रहती है और उसके वारिस आते-जाते रहते हैं लेकिन उसकी सेवा नहीं करते हैं। उस महिला की मै कभी-कभी आर्थिक मदद कर देता हूँ। उस के मकान के अगले हिस्से के दुकान में एक किरायेदार है जो कब्ज़ा किया हुआ है और किराया भी नहीं देता है। उस किरायेदार ने लगभग 5 वर्ष पहले उस महिला को विश्वास में लेकर सादे स्टाम्प पेपर पर उससे साइन करवा लिया है। अब वह महिला चाहती है कि मैं उसकी सेवा-पानी करूँ और बदले में वह मुझे अपना मकान देगी लेकिन वह कहती है कि वह मुझे वसीयत करेगी और वह भी एक साल के बाद। मैंने उसे सुझाव दिया कि वह मुझे बैनामा लिख दे और फिर मुझसे 1 रुपया वार्षिक किराये पर मुझसे पूरा मकान ले ले और अपने जीवनकाल तक रहे किन्तु वह इसके लिए भी राज़ी नहीं है।
आपसे अनुरोध है कि कृपया यह बताये कि क्या कोई ऐसी भी वसीयत हो सकती है जिसे मेरे हक़ में लिखने के बाद वह उस में परिवर्तन ना कर सके, और उसके मरने के बाद उसके वारिस मुझे परेशान ना कर सके और मैं मकान पर कब्ज़ा कर सकूँ, तथा किरायेदार से दूकान भी खाली करवा सकूँ और उसने जो स्टाम्प पर साईन करवाया है वह भी प्रभावहीन हो जाये। बैनामे के अलावा कोई और रास्ता नहीं निकलता है।
समाधान-
उक्त विधवा महिला के पास मकान ही एक मात्र संपत्ति है। उक्त महिला को हर उस व्यक्ति ने छला है जिस पर उस ने विश्वास किया है। यही कारण है कि वह महिला किसी भी व्यक्ति पर विश्वास नहीं कर सकती। आप को भी उस महिला के आश्वासन पर विश्वास नहीं कि आप उस की मदद करें और फिर वह अपनी संपत्ति किसी अन्य को दे दे।
आप उक्त महिला से ऐसी वसीयत करवाना चाहते हैं जिसे बदला नहीं जा सके। लेकिन यह तो सीधे सीधे संपत्ति का न बदले जाने वाला हस्तान्तरण हो गया वसीयत रही ही नहीं। ऐसा हस्तान्तरण पंजीकृत होने पर ही मान्य होता है और उस पर निर्धारित स्टाम्प ड्यूटी लगती है। वसीयत तो किसी भी व्यक्ति का इच्छा-पत्र है जिसे वह अपनी मृत्यु के ठीक पहले भी बदल सकता है। इस कारण ऐसी कोई वसीयत नहीं हो सकती जिसे बदला नहीं जा सके। आप के हक में बैनामा निष्पादित कर उसे पंजीकृत करवाने के बाद यदि आप उस के साथ संबंध ही विच्छेद कर दें तो वह महिला तो पूरी तरह असहाय हो जाएगी। इस कारण वह बैनामा भी नहीं कर सकती। ऐसी स्थिति में यह किया जा सकता है कि वह महिला आप को अपने मकान के संबंध में मुख्तार खास नियुक्त कर दे जिस से आप उस की संपत्ति की देखभाल कर सकें। किराएदार से किराया वसूल करें। जो स्टाम्प उस महिला से किराएदार ने लिखवाया है उसे वापस प्राप्त कर सकें या उसे निरस्त करवा कर निष्प्रभावी कर सकें। इस तरह एक वर्ष हो जाने पर वह आप के नाम वसीयत कर सके।
इस मामले में कोई भी मार्ग कोई भी वकील तभी सुझा सकता है जब उसे सारे तथ्यों की स्पष्ट जानकारी हो और वह आप से व उस महिला के साथ बात कर के कोई उपाय खोज निकाले। इस के लिए किसी स्थानीय अनुभवी वकील की सेवाएँ प्राप्त करना आप दोनों के लिए उचित होगा।
You know what, I’m very much inelincd to agree.
मै रेगुलर आपके द्वारा दी गयी जानकारियों का गहन अध्यन करता हो, जानकारिय काफी उम्दा स्टार की होती है,