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पंजीकृत वसीयत को कूटरचित साबित करने का दायित्व उसे चुनौती देने वाले का है।

समस्या-

श्रीमती मनभर ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से पूछा है।

श्रीमती राधा ने अपनी स्वयं के नाम की 4 संपत्तियां तुषार बोस के नाम पर एक साल पहले जिला पंजीयक कार्यालय में पहले रजिस्टर्ड वसीयत कर दी है। श्रीमती राधा का अपना कोई बच्चा नहीं होने के कारण उसने अपने चचेरे भाई के पुत्र तुषार बोस को अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा किया,शादी की और उसे अपने पास ही रखा। श्रीमती राधा ने चचेरे भाई का पुत्र होने के कारण तुषार को गोद लेने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की ताकि तुषार का अपने भाईयों के बीच प्रेम बना रहे। राधा के बुजर्ग हो जाने पर उसका पुत्रवत तुषार अपनी पत्नी के साथ श्रीमती राधा का जिसे व माताजी बोलता रहा वह नियमित रुप से उनका देखभाल, इलाज इत्यादि करता रहा। श्रीमती राधा का छह महीने पहले निधन होने के बाद अब तुषार बोस ने उनकी संपत्ति को वसीयतनामा के आधार पर अपने नाम पर कराने के लिए नजूल और तहसील कार्यालय में आवेदन दिया है।
 इस पर एक अन्य व्यक्ति गुरु कुमार (श्रीमती राधा का चचेरे भाई का पोता) ने परेशान करने यह कह कर आपत्ति की है कि तुषार व्दारा प्रस्तुत आवेदन व दस्तावेज कूटरचित प्रतीत होता है, श्रीमती राधा उसकी रिश्तेदार है और उसकी दादी थी। वह राधा की संपत्तियों के नामांतरण पर पर रोक लगाने हेतु आवेदक (तुषार) व्दारा प्रस्तुत आवेदन का अवलोकन कर आपत्ति लगाना चाहता है। इसीलिए उसके नाम पर संपत्ति का नामांतरण नही किया जाए। कृपया मार्गदर्शन करें कि…..
(1) श्रीमती राधा की चारों संपत्तियां उनके स्वयं के नाम की थीं तथा सभी रिकार्ड में उसके नाम पर है तथा उसने अपने पुत्रवत तुषार बोस के नाम पर रजिस्टर्ड वसीयत की है। गुरु कुमार ने दुर्भावनावश लालच में आपत्ति लगाई है जिसमें कोई तथ्य या प्रमाण नहीं है। ऐसे में तुषार को क्या करना चाहिए?
(2)  क्या तुषार बोस गुरु कुमार के खिलाफ परेशान करने के लिए कोई पुलिस रिपोर्ट या न्यायालय में प्रकरण दायर कर सकता है ? यदि हां तो किस धारा के अंतर्गत कार्रवाई करना चाहिए?

समाधान-

सभी संपत्तियाँ स्वंय श्रीमती राधा के नाम की थीं। स्त्रियों के नाम की संपत्तियाँ उनकी एब्सोल्यूट प्रोपर्टी होती हैं। इस कारण से उन संपत्तियों को वसीयत करने का अधिकार श्रीमती राधा को था। उन्होंने वसीयत द्वारा संपत्तियाँ तुषार बोस को दे दीं।

अब गुरु कुमार ने नामान्तरण पर रोक लगाने हेतु जो दावा प्रस्तुत किया है वह इस आरोप के साथ किया है कि वसीयत कूटरचित है। क्यों कि वसीयत पंजीकृत है इस कारण जिसने इसे चुनौती दी है उसे साबित करना होगा कि यह कूटरचित है। जो साबित किया जाना लगभग असम्भव है। तुषार को इस वाद और आपत्ति को पूरी सतर्कता के साथ डिफेंड करना चाहिए। क्योंकि कभी कभी मुवक्किल की कमजोरी के कारण वह मुकदमा हार जाता है।

गुरु कुमार के विरुद्ध अभी कोई पुलिस रिपोर्ट या अदालत में मुकदमा नहीं किया जा सकता। क्यों कि अपने हक के लिए लड़ना हर एक का अधिकार है। न्यायालय द्वारा निर्णय दे दिए जाने पर और कोई अपराधिक इरादा साबित होने पर कुछ किया जा सकता है या नहीं यह उसी समय निर्धारित किया जा सकता है।

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