क्या क्या नहीं है कॉपीराइट का उल्लंघन
|अब तक के अंकों में हम जान चुके हैं कि –
1- कॉपीराइट क्या है?
2- वे कौन कौन सी कृतियाँ हैं, जिन में कापीराइट उत्पन्न होता है तथा अवस्थित रहता है?
3- कॉपीराइट का उल्लघंन कब-कब होता है,जिन्हें भारतीय कॉपीराइट एक्ट की धारा-51 में समाहित किया गया है?
विगत अंक में हमने यह जानना प्रारंभ किया था कि वे कौन से कृत्य हैं, जो कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं हैं। इन कृत्यों को कॉपीराइट एक्ट की धारा 52 में समाहित किया गया है। यह धारा बहुत विस्तृत है इस कारण पहले इसे अनेक भागों में प्रस्तुत करने का विचार था और विगत अंक में एक भाग प्रस्तुत भी कर दिया गया था। किन्तु इस का अनुवाद करते समय यह महसूस हुआ कि इस पूरी धारा को एक साथ ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस कारण से विगत अंक की सामग्री को विलोपित कर दिया गया है और इस धारा की समस्त सामग्री इस अंक में प्रस्तुत की जा रही है-
- 52. वे कृत्य जो कापीराइट का उल्लंघन नहीं हैं-
(1) निम्न नामांकित कार्य कॉपीराइट का उल्लघंन नहीं होंगे-
(क) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक कृति (जो एक कम्पयूटर प्रोग्राम नहीं है)
(i) का व्यक्तिगत उपयोग, जिस में शोध सम्मिलित है;
(ii) की आलोचना एवं समीक्षा चाहे वह उस कृति या किसी अन्य कृति पर क्यों न हो;
के लिए किया गया उचित-व्यवहार।
(कक) एक कम्प्यूटर प्रोग्राम की प्रति के विधिपूर्ण धारक द्वारा उस प्रति की प्रतियाँ बनाना या उस का रूपान्तरण करना-
(i) उन उपयोगों के क्रम में, जिन के लिए वह कम्प्यूटर प्रोग्राम वितरित किया गया था; या
(ii) उन उपयोगों के लिए, जिन के लिए वह कम्प्यूटर प्रोग्राम वितरित किया गया था केवल मात्र हानि, विनष्टि और क्षति से सुरक्षा के लिए एक प्रति बनाना;
(कख) कम्प्यूटर प्रोग्राम की प्रति के विधिपूर्वक धारक द्वारा, किसी एक स्वतंत्र रूप से सृजित कम्प्यूटर प्रोग्राम की, अन्य प्रोग्राम के साथ अन्तर्परिचलन (inter-operability) के लिए सूचना प्राप्त करने हेतु कोई कार्य करना, जहाँ ऐसी सूचना पहले से प्राप्य नहीं हो।
(कग) जिन उद्देश्यों के लिए कम्प्यूटर प्रोग्राम वितरित किया गया था, उन्हें पूरा करने के दौरान प्रोग्राम के किसी तत्व के रेखांकन की धारणाएं (ideas) और सिद्धान्त (principles) तय करने के क्रम में कम्प्यूटर प्रोग्राम की कार्यप्रणाली (functioning) का प्रेक्षण (observation), अध्ययन, या परीक्षण;
(कघ) कम्प्यूटर प्रोग्राम की वैधानिक रुप से प्राप्त व्यक्तिगत प्रति से गैर-वाणिज्यिक व्यक्तिगत उपयोग के लिए प्रतियां बनाना या ऱूपान्तरण करना।
(ख) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक कृति का सामयिक घटनाओं को रिपोर्ट करने के लिए किया गया समुचित उपयोग –
(iii) एक समाचार-पत्र, पत्रिका या समान प्रकार के आवधिक पत्रों, या
(iv) सिनेमा फिल्म या चित्रों में प्रसारण हेतु
स्पष्टीकरण- जनता में किए गए संबोधनों या भाषणों के संग्रह का प्रकाशन इस उपवाक्य के अर्थों में उन कृतियों के साथ उचित-व्यवहार नहीं है।
(ग) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक कृति की न्यायिक कार्यवाहियों, या न्यायिक कार्यवाहियों की रिपोर्ट के उद्देश्य से पुनरुत्पादन;
(घ) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक कृति की, विधायिका के सचिवालय या, जहाँ विधायिका के दो सदन हों वहाँ दोनों में से किसी भी सदन के सचिवालय द्वारा केवल मात्र उस सदन के सदस्यों के उपयोग हेतु पुनरुत्पादन या प्रकाशन।
(ङ) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक कृति की तत्समय प्रभावी कानून के अनुसार प्रमाणित प्रति के निर्माण या वितरण में पुनरुत्पादन।
(च) किसी भी प्रकाशित साहित्यिक या नाटकीय कृति के उचित सार का जनता के बीच पठन-पाठन।
(छ) शैक्षणिक संस्थाओं के उपयोग के लिए सद्भाविक आशय से मुख्यतः कॉपीराइट से मुक्त सामग्री ,से निर्मित एक संग्रह में प्रकाशन, जो उसके शीर्षक में अंकित किया गया हो, और प्रकाशित साहित्यिक या नाटकीय कृति से वाक्यांशों का प्रकाशक या उस की ओर से प्रकाशित किसी विज्ञापन, जिस में कॉपीराइट अवस्थित हो, जो अपने आप में शैक्षणिक संस्थाओं के लिए प्रकाशित न हो, में उपयोग:
-लेकिन ये वाक्यांश उसी प्रकाशक द्वारा पाँच वर्षों में प्रकाशित कृतियों में से दो से अधिक नहीं हों।
स्पषटीकरण – एक संयुक्त कृतित्व के मामले में इस उपवाक्य में कृतियों से वाक्यांशों, वाक्यांशों के किन्हीं एक या अधिक कृतिकारों के वाक्यांशों या उन वाक्यांशों के एक या अधिक कृतिकार और सहकृतिकार सम्मिलित हैं।
(ज) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक कृति का पुनरुत्पादन –
(i) किसी अध्यापक या प्यूपिल द्वारा निर्देशों के क्रम में; या
(ii) किसी परीक्षा में उत्तर देने के लिए किसी प्रश्न में;या
(iii) उन प्रश्नों के उत्तर के रुप में; या
(iv) एक साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय कृति का किसी शैक्षणिक संस्थान की गतिविधियों के क्रम में उस के विद्यार्थियों और स्टॉफ द्वारा प्रस्तुतिकरण, या एक सिनेमा फिल्म या एक ध्वन्यांकन का प्रस्तुतिकरण, यदि श्रोता (दर्शक) ऐसे विद्यार्थियों और स्टॉफ, विद्यार्थियों के माता-पिता व संरक्षकों व संस्था की गतिविधियों के साथ सीधे संबद्ध व्यक्तियों तक सीमित हो, या सिनेमा फिल्म या ध्वन्यांकन का ऐसे श्रोताओं (दर्शकों) तक संप्रेषण।
(झ) एक साहित्यिक, नाटकीय, या संगीतीय कृति के सम्बन्ध में ध्वन्याकंन का निर्माण, यदि
(i) यदि उस कृति का ध्वन्यांकन उस कृति में कॉपीराइट के स्वामी की स्वीकृति या लायसेंस पर निर्मित हो;
(ii) ध्वन्यांकन निर्माण करने वाले व्यक्ति ने ऐसे ध्वन्यांकन करने के आशय की सूचना दी हो, बशर्ते कि सभी कवर्स और लेबलों प्रतियाँ उपलब्ध कराई हों, जिन के साथ ध्वन्यांकन विक्रय के लिए जारी किया जाना हो, और उस के द्वारा इस प्रकार निर्मित सभी ध्वन्यांकनों के सम्बन्ध में कृति के कॉपीराइट के स्वामी को कॉपीराइट बोर्ड द्वारा निर्धारित दर से विहित रीति से रॉयल्टी अदा कर दी गई हो:
-लेकिन :
(i) कोई ऐसा परिवर्तन नहीं किया जाएगा जो कॉपीराइट के स्वामी द्वारा या उस की पूर्व स्वीकृति से नहीं किया गया हो, या जो कृति के रुपान्तरण के ध्वन्यांकन के लिए उचित रूप से आवश्यक नहीं हो;
(ii) ध्वन्यांकन को ऐसे किसी भी पैकिंग के रुप में, या लेबल के साथ जारी नहीं किया जाएगा जो जनता को उस की पहचान के बारे में गुमराह या भ्रमित करता हो।
(iii) ऐसा कोई भी ध्वन्यांकन कृति के पहले ध्वन्यांकन के वर्ष के दो कैलेण्डर वर्षों की समाप्ति तक निर्मित नहीं किए जाएंगे।
(iv) इस प्रकार के ध्वन्यांकन से सम्बन्धित सभी रिकॉर्डस्, और लेखा पुस्तकों का निरीक्षण कॉपीराइट के स्वामी को करने के लिए कॉपीराइट स्वामी, उस के अधिकृत अभिकर्ता या उस के प्रतिनिधि को अनुमत करना, ध्वन्यांकन करने वाले व्यक्ति का दायित्व होगा।
–लेकिन यदि इस उपवाक्य की धारणा के अभिप्राय से निर्मित ध्वन्यांकन के लिए कॉपीराइट के स्वामी को पूरा भुगतान नहीं किए जाने की शिकायत कॉपीराइट बोर्ड के सामने लाई जाती है और कॉपीराइट बोर्ड प्रथम दृष्टया संतुष्ट हो जाता है कि शिकायत वास्तविक है, तो वह ऐसा ध्वन्यांकन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध एक-तरफा (उसे सुने बिना ही) उस ध्वन्यांकन की और प्रतियाँ बनाना रोकने का निर्देश जारी कर सकेगा, और आवश्यक समझी जाने वाली जाँच करने के उपरांत कोई भी उचित आदेश जारी करेगा जिस में रॉयल्टी का भुगतान किए जाने का आदेश सम्मिलित है;
(ञ) एक रिकॉर्डिंग का जनता के बीच सुनाने के लिए निम्न प्रकार उपयोग करना –
(i) किसी आवासीय परिसर में (जो होटल या व्यावसायिक संस्थान न हो) निर्मित किसी बन्द कमरे या हॉल में जो उस के आवासियों की सामुहिक उपयोग हेतु बना हो, केवल मात्र या मुख्यतः उस परिसर के आवासियों की सुविधाओं के भाग के रुप में; या
(ii) लाभ के लिए गठित या संचालित नहीं किए जा रहे किसी क्लब या समानधर्मा संगठन की गतिविधियों के भाग के रुप में;
(iii) लाभ के लिए गठित या संचालित नहीं किए जा रहे किसी क्लब, सोसायटी या अन्य संगठन की गतिविधियों के भाग के रुप में;
(ट) किसी शौकिया क्लब या सोसायटी द्वारा एक साहित्यक, नाटकीय या संगीतीय कृति का प्रदर्शन, यदि प्रदर्शन निःशुल्क श्रोताओं, या किसी धार्मिक संस्थान के लाभ के लिए किया गया हो;
(ठ) एक समाचार पत्र, पत्रिका या अन्य किसी सावधिक-प्रकाशन में सामयिक आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक विषय पर आलेख की पुनर्प्रस्तुति, यदि उस आलेख के लेखक ने विशेष रुप से उस के पुनर्प्रस्तुति अधिकार को विशेष रुप से सुरक्षित नहीं रखा हो;
(ड) एक समाचार पत्र, पत्रिका या अन्य किसी सावधिक-प्रकाशन में जनता के बीच प्रस्तुत किए गए किसी भाषण की रिपोर्ट का प्रकाशन;
(ढ) किसी पुस्तक ( जिसमें पर्चा, संगीतीय शीट, नक्शा चार्ट या प्लान सम्मिलित हैं) की किसी सार्वजनिक पुस्तकालय के प्रभारी के निर्देशन में पुस्तकालय के उपयोग के लिए तीन से अनधिक प्रतियों का निर्माण, यदि वह पुस्तक भारत में बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं हो;
(ण) शोध, या व्यक्तिगत अध्ययन के उद्देश्य से पुनरुत्पादन या अप्रकाशित साहित्यिक, नाटकीय, या संगीतीय कृति को पुस्तकालय, संग्रहालय या अन्य संस्थान जिस में जनता की पहुँच हो, संरक्षित करने की दृष्टि से प्रकाशन
-लेकिन जहाँ ऐसी कृति के कृतिकार की, या संयुक्त कृतित्व के मामले में कृतिकारों में से किसी की भी, पहचान का ज्ञान हो तो इस उपवाक्य के प्रावधान केवल उस पुनरुत्पादन पर लागू होंगे जिसे कृतिकार की मृत्यु या, संयुक्त कृतित्व के मामले में उस कृतिकार की मृत्यु जिस की पहचान का ज्ञान था या, संयुक्त-कृति के एक से अधिक कृतिकारों की पहचान का ज्ञान होने पर कृतिकारों में से सबसे बाद में मृत कृतिकार की मृत्यु की तिथि के साठ वर्ष बाद किए गए पुनरुत्पादनों पर ही लागू होगा;
(त) निम्न का पुनरुत्पादन या प्रकाशन-
(i) एक विधायिका के अधिनियम के अतिरिक्त सरकारी गजट में प्रकाशित किसी भी सामग्री;
(ii) विधायिका का कोई भी अधिनियम बशर्ते कि उसे, उस पर की गई टीका अथवा अन्य किसी मूल कृति के साथ प्रकाशित किया गया हो।
(iii) किसी भी समिति, आयोग, निगम, बोर्ड या सरकार द्वारा नियुक्त इसी प्रकार के किसी निकाय की रिपोर्ट, यदि वह रिपोर्ट विधायिका के पटल पर प्रस्तुत हो गई हो और जिस का प्रकाशन सरकार द्वारा वर्जित नहीं कर दिया गया हो।
(iv) किसी भी न्यायालय, अधिकरण या अन्य किसी न्यायिक प्राधिकारी का निर्णय या आदेश, बशर्ते कि उस का प्रकाशन या पुनर्प्रकाशन निर्णय या आदेश प्रदान करने वाले न्यायालय, अधिकरण या न्यायिक प्राधिकारी द्वारा प्रतिबंधित नहीं कर दिया गया हो।
(थ) किसी विधायिका के अधिनियम या उस के तहत बने नियम या आदेश का किसी भी भारतीय भाषा में एक अनुवाद का उत्पादन या प्रकाशन-
(i) यदि उस अधिनियम या उस के तहत बने नियम या आदेश का उस भाषा में पूर्व में सरकार द्वारा उत्पादित या प्रकाशित नहीं किया गया हो, या
(ii) जहाँ अधिनियम या उस के तहत बने नियम या आदेश का सरकार द्वारा उत्पादित या प्रकाशित एक अनुवाद जनता को विक्रय के लिए उपलब्ध नहीं हो
-लेकिन उस अनुवाद पर महत्वपूर्ण स्थल पर इस आशय का कथन अंकित हो कि यह अनुवाद सरकार द्वारा एक प्रामाणिक अनुवाद के रुप में स्वीकृत या अधिकृत नहीं है;
(द) एक वास्तुकलात्मक कृति की पेंटिंग, ड्राइंग, उत्कीर्णन या छायाचित्र का निर्माण या प्रकाशन, या वास्तुकलात्मक कृति का प्रदर्शन;
(न) एक मूर्तिकला, या अन्य कलात्मक कृति जो कि धारा 2 के वाक्य (ग) के उपवाक्य (iii) में समाहित हो (अन्य शिल्पकारिता की कृति) की पेंटिंग, ड्राइंग, उत्कीर्णन या छायाचित्र का निर्माण या प्रकाशन, यदि वह कृति स्थाई रुप से किसी सार्वजनिक स्थल पर या परिसर जिस में जनता की आवाजाही है स्थित है;
(प) किसी सिनेमा फिल्म में निम्न में से किसी का समावेश-
(i) किसी सार्वजनिक स्थल या परिसर में जहाँ जनता की आवाजाही हो स्थाई रुप से स्थित कोई भी कलात्मक कृति;
(ii) कोई भी अन्य कलात्मक कृति यदि उस का समावेश केवल पृष्ठभूमि या अन्य प्रकार से फिल्म में प्रस्तुत मुख्य अन्तर्वस्तुओं के साथ प्रासंगिक हो;
(प), जहाँ कृतिकार स्वयं की कलात्मक कृति में कॉपीराइट का स्वामी नहीं हो, वहाँ कृतिकार द्वारा किसी मोल्ड, कास्ट, रेखाचित्र, प्लान, मॉडल या कृति के लिए उस के द्वारा किए गए अध्ययन का उपयोग
-लेकिन कृति की मुख्य डिजाइन को उस के द्वारा दोहराया या नकल नहीं किया जाता है;
(फ) 1994 के अधिनियम 38 द्वारा हटा दिया गया;
(ब) वास्तुकलात्मक ड्राइंगों या प्लानों के, जिन के आधार पर भवन या ढाँचे का मूल निर्माण किया गया था, अनुरुप किसी भवन या ढाँचे का पुनर्निर्माण
-लेकिन मूल निर्माण उन ड्राइंगों या प्लानों में कॉपीराइट के स्वामी की अनुमति या लायसेंस के अन्तर्गत किया गया था;
(म) किसी सिनेमा फिल्म में रिकॉर्ड या पुनर्निर्मित की गई एक साहित्यिक, नाटकीय या संगीतीय कृति के सम्बन्ध में, उन में कॉपीराइट की अवधि के अवसान के पश्चात किए फिल्म का प्रदर्शन;
-लेकिन वाक्य (क) के उपवाक्य (ii), वाक्य (ख) के उपवाक्य (क), और वाक्य (घ), (च), (छ), (ठ) तथा (ण) के प्रावधान किसी कार्य पर लागू नहीं होंगे यदि उस कार्य के साथ इस आशय का आभार संलग्न नहीं हो –
(i) जिस से उस कृति को उस के शीर्षक या विवरण से पहचाना जा सके; और
(ii) यदि कृति अज्ञात नहीं हो, या कृतिकार ज्ञात होने पर उस कृति के कृतिकार पहले से सहमत हों या उन्होंने चाहा हो कि उन के नाम का उल्लेख नहीं किया जाएगा।
(य) एक प्रसारण संगठन द्वारा अपने स्वयं के साधनों का उपयोग करते हुए अपने स्वयं के प्रसारण के लिए, एक कृति की जिसे प्रसारण का उसे अधिकार है, एक क्षणिक रिकॉर्डिंग करना, और उस रिकॉर्डिंग को उस के विशिष्ठ प्रलेखीय चरित्र के आधार पुरालेखीय उद्देश्य से संग्रहीत रखना;
(र) एक साहित्यिक, नाटकीय, या संगीतीय कृति या उस के ध्वन्यांकन का जनता के बीच किसी सद्भाविक धार्मिक समारोह या केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा सरकारी समारोह के दौरान प्रस्तुतिकरण या संप्रेषण।
स्पष्टीकरण.- इस उपवाक्य के उद्देश्य से धार्मिक समारोह में विवाह का जुलूस तथा विवाह के साथ संबद्ध अन्य सामाजिक आयोजन सम्मिलित हैं।
(2) उपधारा (1) के प्रावधान किसी एक साहित्यिक, नाटकीय, या संगीतीय कृति के अनुवाद या एक साहित्यिक, नाटकीय, या संगीतीय कृति के रुपान्तरण पर उसी प्रकार लागू होंगे जैसे वे मूल कृति पर हैं।
– खास सूचना –
यह अनुवाद सरकार द्वारा एक प्रामाणिक अनुवाद के रुप में स्वीकृत या अधिकृत नहीं है;
इतनी अमूल्य और आवश्यक जानकारी उपलब्ध करने के लिए धन्यवाद.. यह मेरे बहुत काम आएगी
आपने तो गागर मी सागर भर दिया वकील साहेब…….
आपने इस पोस्ट के माध्यम से जो जानकारी दी है वो हमारे जैसे लोगों के लिये एक eye opener है.धीरे धीरे समझ समझ कर पढ रही हूं, यदि कुछ समझ नहीं आया तो आपको परेशान करूंगी.अनवरत पर भी आपका इन्तज़ार है.कब लिखेंगे?
द्विवेदी जी मैने पोस्ट डीलीट कर दीया!
वो वायरस मैने नही बनाया था।
वायरस का साफट्वेयर साईट पर ऊपल्बध करवाना क्या कानून्न जूर्म है।
क्रिपया वायरस पर बने कानून बताऎं? जो मूझ से जूडा हो। या ईसके अन्य जान्कारी
दिनेश जी आपके इन तमाम ब्यौरों के लिये नमन है आपको । लेकिन मैं रेडियोवाणी पर जो कुछ कर रहा हूं, क्या उसमें कॉपीराईट का उल्लंघन है । आपके ब्यौरे से समझ में आ रहा है कि अगर समीक्षात्मक आलेख के साथ ऑडियो या वीडियो दिया जाये तो इसमें कॉपीराईट का उल्लंघ नहीं होता ।
ममता जी, लेख को लम्बा करना विवशता थी। धारा 52 का सारी सामग्री एक साथ रखना था। इस के लिए पिछली पोस्ट की कुछ सामग्री को मिटा कर इस पोस्ट में सम्मिलित करना पड़ा। यह केवल अधिनियम के प्रावधानों का अनुवाद भर है, इसे ठोस परिस्थितियों में लागू करना एक भिन्न बात है। ब्लॉगिंग में इसे इस तरह लागू किया जा सकता है कि ब्लॉगर किस अन्य कृतिकार की कृति का किस प्रकार से उपयोग करना चाहते हैं, अथवा कर रहे हैं? या किसी ब्लॉगर की किसी कृति का उपयोग होने पर वह कॉपीराइट का उल्लंघन है या नही, इस तरह के प्रश्न मेरे सामने हों तो मैं उन के जवाब अपने आलेखों के माध्यम से प्रस्तुत कर सकता हूँ सवाल टिप्पणी के रुप में अथवा मुझे सीधे मेल कर के भेजे जा सकते हैं। इस तरह से इस कानून की विवेचना अधिक अच्छे तरीके से की जा सकेगी और ब्लॉगर साथी उस का लाभ उठा सकेंगे।
बहुत सी बातों के बारे मे तो पता ही नही था।
पर लेख जरा ज्यादा बड़ा हो गया।
कॉपीराइट एक्ट की धारा 52 में तो काफी गुंजाइश लगती है, थोड़े बहुत हेर फेर के साथ किसी के माल पर अपना ठप्पा लगाने की। आपका क्या सोचना है? ऑफकोर्स, नकल अकल से होनी चहिये!
खैर बाकी तो विशद अध्ययन और दृष्टांतों से स्पष्ट होगा।
दिनेशराय जी आप से बहुत कुछ नया मालुम हुया,नही तो हमे इस बारे बहुत ही कम पता था,आप का धन्यवाद